पटना धमाका : बात सिर्फ मोदी की नहीं
rohitash kumar
गोदी में बैठा रखे, रहें पोषते नित्य |
उंगली डाले नाक में, कर विष्टा से कृत्य |
कर विष्टा से कृत्य, भिगोता रहा लंगोटी |
करता गोटी लाल, काटता लाल चिकोटी |
रविकर खोटी नीति, धमाके झेले मोदी |
यह आतंकी प्रीति, छुरी से काया गोदी ||
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"दोहे-नेता का श्रृंगार" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
फगवाड़ा भी मस्त है, छिंदवाड़ा भी मस्त |
कहीं अकाली लड़ रहे, कहीं कमल अभ्यस्त |
कहीं कमल अभ्यस्त, कहीं हो रहे धमाके |
देते गलत बयान, दुलारे अपनी माँ के |
जाती नीति बिलाय, धर्म हो जाता अगवा |
रही दुष्टता जीत, खेलती घर घर फगवा ||
होती है लेकिन यहाँ, राँची में क्यूँ खाज-
दंगे के प्रतिफल वहाँ, गिना गए युवराज |
होती है लेकिन यहाँ, राँची में क्यूँ खाज |
राँची में क्यूँ खाज, नक्सली आतंकी हैं |
ये आते नहिं बाज, हजारों जानें ली हैं |
अब सत्ता सरकार, हुवे हैं फिर से नंगे |
पटना गया अबोध, हुवे कब रविकर दंगे ||
हुक्कू हूँ करने लगे, अब तो यहाँ सियार |
कब से जंगल-राज में, सब से शान्त बिहार |
सब से शान्त बिहार, सुरक्षित रहा ठिकाना |
किन्तु लगाया दाग, दगा दे रहा सयाना |
रहा पटाखे दाग, पिसे घुन पिसता गेहूँ |
सत्ता अब तो जाग, बंद कर यह हुक्कू हूँ -
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बपौती
कमल कुमार सिंह (नारद )
इसीलिए तो कमल को, तोप रही कांग्रेस |
बेमतलब क्यूँ तोप से, जगा रहे यह देश |
जगा रहे यह देश, लोक हित नारद घूमे |
लेकिन दारुबाज, पिए बिन संसद झूमे |
असली सिंडिकेट, दफ़न कब का हो जाती |
आई की कांगरेस, व्यर्थ ही रेस लगाती ||
होय हाथ में खाज, खोजते लोग खजाने -20 OCTOBER, 2013रही हिलोरें मार, निकम्मी रविकर चाहें
लखनऊ से-
(१)
जाने ये क्या हो रहा, सपने पर इतबार ।
मर्यादा स्वाहा हुई, जीता धुवाँ-गुबार ।
जीता धुवाँ गुबार, खुदाई चालू आहे ।
रही हिलोरें मार, निकम्मी रविकर चाहें ।
बाबा तांत्रिक ढोंग, लगे फिर रंग जमाने ।
होय हाथ में खाज, खोजते लोग खजाने ॥
22 OCTOBER, 2013करे मीडिया मौज, उड़ा के ख़बरें छिछली
गंडा बाँधे फूँक कर, थू थू कर ताबीज |
गड़ा खजाना खोद के, रहे हाथ सब मींज |
रहे हाथ सब मींज, मरी चुहिया इक निकली |
करे मीडिया मौज, उड़ा के ख़बरें छिछली |
रकम हुई बरबाद, निकलते दो ठो हंडा |
इक तो भ्रष्टाचार, दूसरा प्रोपेगंडा |
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सत्य वचन थे कुँवर के, आज सुवर भी सत्य |
दोष संघ पर दें लगा, बिना जांच बिन तथ्य | बिना जांच बिन तथ्य, बड़े बडबोले नेता | हुई सभा सम्पन्न, सभा के धन्य प्रणेता | बीता आफत-काल, हकीकत आये आगे | फिर से खड़े सवाल, किन्तु सुन नेता भागे || |
Politics में शेर और भेड़ियों के बीच अन्डरस्टैंडिन्ग
DR. ANWER JAMAL
कहानियाँ देते सुना, भुना रहे प्रोनोट |
दूजे को लगता सदा, पहले में है खोट |
पहले में है खोट, पोट कर रखते वोटर |
कठफुड़वा की टोंट, बना देती है कोठर |
बैठे हिंसक जीव, चला गठजोड़ आ रहा |
खुदा देश की नींव, लगाते दुष्ट कहकहा ||
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रावण के क्षत्रप : भगवती शांता : मर्यादा पुरुषोत्तम राम की सगी बहन
प्रबंध काव्य का लिंक:- मर्यादा पुरुषोत्तम राम की सगी बहन : भगवती शांता
भाग-5
सोरठा
रास रंग उत्साह, अवधपुरी में खुब जमा |
उत्सुक देखे राह, कनक महल सजकर खड़ा ||
चौरासी विस्तार, अवध नगर का कोस में |
अक्षय धन-भण्डार, हृदय कोष सन्तोष धन |
पाँच कोस विस्तार, कनक भवन के अष्ट कुञ्ज |
इतने ही थे द्वार, वन-उपवन बारह सजे ||
शयन-केलि-श्रृंगार, भोजन-कुञ्ज-स्नान-कुञ्ज |
झूलन-कुञ्ज-बहार, अष्ट कुञ्ज में थे प्रमुख ||
चम्पक-विपिन-रसाल, पारिजात-चन्दन महक |
केसर-कदम-तमाल, नाग्केसरी-वन विचित्र ||
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आदरणीय भाई साहब ! आभारी हैं हम.
ReplyDeleteयह भी देखें और अपनी राय दें-
http://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/main/tags/%27adhyatm%27
सुन्दर और सटीक ।।
ReplyDeleteसुन्दर और सार्थक टिप्पणियाँ।
ReplyDeleteआभार।