Tuesday, 29 October 2013

यह आतंकी प्रीति, छुरी से काया गोदी-


पटना धमाका : बात सिर्फ मोदी की नहीं

rohitash kumar 

गोदी में बैठा रखे, रहें पोषते नित्य |
उंगली डाले नाक में, कर विष्टा से कृत्य |

कर विष्टा से कृत्य, भिगोता रहा लंगोटी |
करता गोटी लाल, काटता लाल चिकोटी |

रविकर खोटी नीति, धमाके झेले मोदी |
यह आतंकी प्रीति, छुरी से काया गोदी || 

"दोहे-नेता का श्रृंगार" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

रूपचन्द्र शास्त्री मयंक 







फगवाड़ा भी मस्त है, छिंदवाड़ा भी मस्त |
कहीं अकाली लड़ रहे, कहीं कमल अभ्यस्त |

कहीं कमल अभ्यस्त, कहीं हो रहे धमाके |
देते गलत बयान, दुलारे अपनी माँ के |

जाती नीति बिलाय, धर्म हो जाता अगवा |
रही दुष्टता जीत, खेलती घर घर फगवा ||

होती है लेकिन यहाँ, राँची में क्यूँ खाज-

दंगे के प्रतिफल वहाँ, गिना गए युवराज |
होती है लेकिन यहाँ, राँची में क्यूँ खाज |

राँची में क्यूँ खाज, नक्सली आतंकी हैं |
ये आते नहिं बाज, हजारों जानें ली हैं |

अब सत्ता सरकार, हुवे हैं फिर से नंगे |
पटना गया अबोध, हुवे कब रविकर दंगे ||



हुक्कू हूँ करने लगे, अब तो यहाँ सियार |
कब से जंगल-राज में, सब से शान्त बिहार |

सब से शान्त बिहार, सुरक्षित रहा ठिकाना |
किन्तु लगाया दाग,  दगा दे रहा सयाना |

रहा पटाखे दाग, पिसे घुन पिसता गेहूँ |
सत्ता अब तो जाग, बंद कर यह हुक्कू हूँ -

बपौती

कमल कुमार सिंह (नारद ) 





इसीलिए तो कमल को, तोप रही कांग्रेस |
बेमतलब क्यूँ तोप से, जगा रहे यह देश |

जगा रहे यह देश, लोक हित नारद घूमे |
लेकिन दारुबाज, पिए बिन संसद झूमे |

असली सिंडिकेट, दफ़न कब का हो जाती |
आई की कांगरेस,  व्यर्थ ही रेस लगाती ||

होय हाथ में खाज, खोजते लोग खजाने -

20 OCTOBER, 2013


रही हिलोरें मार, निकम्मी रविकर चाहें

लखनऊ से-
(१)
जाने ये क्या हो रहा, सपने पर इतबार । 
मर्यादा स्वाहा हुई, जीता धुवाँ-गुबार । 
जीता धुवाँ गुबार, खुदाई चालू आहे । 
रही हिलोरें मार, निकम्मी रविकर चाहें । 
बाबा तांत्रिक ढोंग, लगे फिर रंग जमाने । 
होय हाथ में खाज, खोजते लोग खजाने ॥ 

22 OCTOBER, 2013


करे मीडिया मौज, उड़ा के ख़बरें छिछली

गंडा बाँधे फूँक कर, थू थू कर ताबीज |
गड़ा खजाना खोद के, रहे हाथ सब मींज |

रहे हाथ सब मींज, मरी चुहिया इक निकली |
करे मीडिया मौज, उड़ा के ख़बरें छिछली |

रकम हुई बरबाद, निकलते दो ठो हंडा |
इक तो भ्रष्टाचार, दूसरा  प्रोपेगंडा |




सत्य वचन थे कुँवर के, आज सुवर भी सत्य |
दोष संघ पर दें लगा, बिना जांच बिन तथ्य | 

बिना जांच बिन तथ्य, बड़े बडबोले नेता |
हुई सभा सम्पन्न, सभा के धन्य प्रणेता |

बीता आफत-काल, हकीकत आये आगे |
फिर से खड़े सवाल, किन्तु सुन नेता भागे ||



Politics में शेर और भेड़ियों के बीच अन्डरस्टैंडिन्ग

DR. ANWER JAMAL 
 कहानियाँ देते सुना, भुना रहे प्रोनोट |
दूजे को लगता सदा, पहले में है खोट |

पहले में है खोट, पोट कर रखते वोटर |
कठफुड़वा की टोंट, बना देती है कोठर |

बैठे हिंसक जीव, चला गठजोड़ आ रहा |
खुदा देश की नींव, लगाते दुष्ट कहकहा ||


रावण के क्षत्रप : भगवती शांता : मर्यादा पुरुषोत्तम राम की सगी बहन


 भाग-5
सोरठा
रास रंग उत्साह,  अवधपुरी में खुब जमा |
उत्सुक देखे राह, कनक महल सजकर खड़ा ||

चौरासी विस्तार, अवध नगर का कोस में |
अक्षय धन-भण्डार,  हृदय कोष सन्तोष धन |

पाँच  कोस विस्तार, कनक भवन के अष्ट कुञ्ज |
इतने ही थे द्वार, वन-उपवन बारह सजे ||

शयन-केलि-श्रृंगार, भोजन-कुञ्ज-स्नान-कुञ्ज |
झूलन-कुञ्ज-बहार, अष्ट कुञ्ज में थे प्रमुख || 

चम्पक-विपिन-रसाल, पारिजात-चन्दन महक |
केसर-कदम-तमाल, नाग्केसरी-वन विचित्र ||



3 comments:

  1. आदरणीय भाई साहब ! आभारी हैं हम.
    यह भी देखें और अपनी राय दें-
    http://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/main/tags/%27adhyatm%27

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  2. सुन्दर और सार्थक टिप्पणियाँ।
    आभार।

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