लोहा है हर देह में, भरा अंग-प्रत्यंग |
मगर अधिकतर देह में, मोह-मेह का जंग |
मोह-मेह का जंग, जंग लड़ने से डरता |
नीति-नियम से पंगु, कीर्ति कि चिंता करता |
लौह पुरुष पर एक, हमें जिसने है मोहा |
किया एकजुट देश, लिया दुश्मन से लोहा ||
मगर अधिकतर देह में, मोह-मेह का जंग |
मोह-मेह का जंग, जंग लड़ने से डरता |
नीति-नियम से पंगु, कीर्ति कि चिंता करता |
लौह पुरुष पर एक, हमें जिसने है मोहा |
किया एकजुट देश, लिया दुश्मन से लोहा ||
घटना करता था कहीं, छिप बिहार में जाय |
भटकल क्या पकड़ा गया, जाती बुद्धि नशाय |
जाती बुद्धि नशाय, खाय मृग झाड़ी-पत्ती |
देखे सिंह शिकार, करे गुल रविकर बत्ती |
बोध गया विस्फोट, व्यर्थ दहलाया पटना |
रे आतंकी मूर्ख, आत्मघाती ये घटना ||
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गंडा बाँधे फूँक कर, थू थू कर ताबीज |
गड़ा खजाना खोद के, रहे हाथ सब मींज |
रहे हाथ सब मींज, मरी चुहिया इक निकली |
करे मीडिया मौज, उड़ा के ख़बरें छिछली |
रकम हुई बरबाद, निकलते दो ठो हंडा |
इक तो भ्रष्टाचार, दूसरा प्रोपेगंडा |
सुरेश स्वप्निल की प्रकाशित, अप्रकाशित हिन्दी कविताओं का संग्रह्
अति-नायक के हाथ सत्ताअति नायक को छोड़िये, आया पाक विचार | धाक धमाके सब जगह, अंदर बाहर मार | अंदर बाहर मार, धार्मिक जेहादी का | करते खुला प्रचार, मिला दुनिया का ठीका | शुतुरमुर्ग सा बंद, आँख रविकर कर लेगा | नहीं दिखे उन्माद, दिखाओ ऐसे ठेंगा || |
गलतियां गिनाने के बजाय अपनी गलतियां सुधारियें, नीतीश जी !
S.K. Jha
घटनाएं जब यकबयक, होंय खड़ी मुँह फाड़ |
असमंजस में आदमी, काँप जाय दिल-हाड़ |
काँप जाय दिल-हाड़, बचाना लेकिन जीवन |
आये लाखों लोग, जहाँ सुनने को भाषण |
कर तथ्यों की बात, गलतियां ढूंढे पटना |
सह मोदी आघात, सँभाले प्रति-दुर्घटना ||
देता शौचालय बचा, मोदी जी की जान-
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Tuesday, 29 October 2013होती है लेकिन यहाँ, राँची में क्यूँ खाज-
(1)
दंगे के प्रतिफल वहाँ, गिना गए युवराज |
होती है लेकिन यहाँ, राँची में क्यूँ खाज |
राँची में क्यूँ खाज, नक्सली आतंकी हैं |
ये आते नहिं बाज, हजारों जानें ली हैं |
अब सत्ता सरकार, हुवे हैं फिर से नंगे |
पटना गया अबोध, हुवे कब रविकर दंगे ||
(2) हुक्कू हूँ करने लगे, अब तो यहाँ सियार | कब से जंगल-राज में, सब से शान्त बिहार | सब से शान्त बिहार, सुरक्षित रहा ठिकाना | किन्तु लगाया दाग, दगा दे रहा सयाना | रहा पटाखे दाग, पिसे घुन पिसता गेहूँ | सत्ता अब तो जाग, बंद कर यह हुक्कू हूँ - |
ले मोदी को रोक, जमा हैं सोलह *गालू -
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bahut badhiya .........aatanki ghatnao se man bahut dukhi ho jata hai..........
ReplyDeleteबहुत सुंदर चर्चा !
ReplyDeletevery nice .happy deepawali .
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति आभार आपके स्नेह के लिए .
ReplyDeleteबहुत सुंदर ! आ. रविकर जी . आभार ! आपके स्नेह के लिए.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर |दीवाली की शुभकामनाएं ,
ReplyDeleteनई पोस्ट हम-तुम अकेले