नइखे नूंssss
देवेन्द्र पाण्डेय
नइखे नूँ की पेशकश, भर देती आनंद |
लिट्टी चोखा सा सरस, कविता का हर बंद |
कविता का हर बंद, छंद छल-छंद मुक्त है |
हास्य-व्यंग मनु द्वंद, हकीकत दर्द युक्त है |
साधुवाद हे मित्र, हाल पढ़ रविकर चीखे |
पानी रहे खरीद, यहाँ पर पानी नइखे ||,
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आभारी पटना शहर, हे गांधी मैदान |
बम विस्फोटों से गई, महज पाँच ठो जान |
महज पाँच ठो जान, अगर भगदड़ मच जाती |
होता लहूलुहान , पीर ना हृदय समाती |
होवे अनुसंधान, पकड़िये अत्याचारी |
बना रहे यह तंत्र, लोक हरदम आभारी ||
नहीं आ रहा बाज, बजाये मारू बाजा-बाजारू संवेदना, दिया दनादन दाग | जिसको भी देखो यहाँ, उगल रहा है आग | उगल रहा है आग, जाग अब जनता जाती | लेकर मत में भाग, जोर से उन्हें भगाती | छद्म रूप में धर्म, आज निरपेक्ष विराजा| नहीं आ रहा बाज, बजाये मारू बाजा || |
कौशल्या-दशरथ ; भगवती शांता ;मर्यादा पुरुषोत्तम राम की सगी बहन
प्रबंध काव्य का लिंक:- मर्यादा पुरुषोत्तम राम की सगी बहन : भगवती शांता
भाग-3
कुण्डलियाँ
दुख की घड़ियाँ सब गिनें, घड़ी-घड़ी सरकाय ।
धीरज हिम्मत बुद्धि बल, भागे तनु विसराय ।
भागे तनु विसराय, अश्रु दिन-रात डुबोते ।
रविकर मन बहलाय, स्वयं को यूँ ना खोते ।
समय-चक्र गतिमान, मिलाये सुख की कड़ियाँ ।
मान ईश का खेल, बिता ले दुख की घड़ियाँ ।।
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हाँ से खेलें देह दो, वर्षों कामुक खेल-
हाँ से खेलें देह दो, वर्षों कामुक खेल |
दर्ज शिकायत इक करे, हो दूजे को जेल |
हो दूजे को जेल, नौकरी शादी झाँसा |
यह सिद्धांत अपेल, बना अब अच्छा-खाँसा |
हुई मौज वह झूठ, कौन अब किसको फाँसे
रिश्ते की शुरुवात, हुई थी लेकिन हाँ से |
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नया बने सम्बन्ध, पकाओ धीमा धीमा
सीमांकन दूजा करे, मर्यादा सिखलाय |
पहला परवश होय तब, हृदय देह अकुलाय |
हृदय देह अकुलाय, लगें रिश्ते बेमानी |
रविकर पानीदार, उतर जाता पर पानी |
नया बने सम्बन्ध, पकाओ धीमा धीमा |
करिए स्वत: प्रबन्ध, अन्य क्यूँ पारे सीमा ??
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आभार आपका।
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति ,,,
ReplyDeleteRECENT POST -: तुलसी बिन सून लगे अंगना
मस्त लिक्खाड़ चर्चा ...
ReplyDeleteकुण्डलियों में सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteसाझा करने के लिए धन्यवाद।
बहुत सुंदर सूत्र संयोजन !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज सोमवार (28-10-2013)
संतान के लिए गुज़ारिश : चर्चामंच 1412 में "मयंक का कोना" पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
Behatrin.
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