कानी यह सरकार है, अंधी वह सरकार |
आइ-यस आइ पाक का, राहुल क्या उपचार |
राहुल क्या उपचार, मुजफ्फर-नगर बहाना -
सीमा पर हों क़त्ल, वार्ता से बहलाना |
मुस्लिम दंगा-ग्रस्त, बनेंगे पाकिस्तानी |
राज बके युवराज, बात लगती बचकानी ||
अम्मा दादी लो बचा, नाना पापा मोय |
दुष्ट छेड़ते हैं मुझे, बात बात पर धोय |
बात बात पर धोय, बयानों पे उलझाए |
आइ यस आइ बोय, देश में घुस घुस आये |
पी एम् रहते मौन, किन्तु मैं नहीं निकम्मा |
किचन कैबिनट गौण, हमें पुचकारे अम्मा ||
रोवे बुक्का फाड़ के, कहीं हंसी बेजोड़ |
टांग खिंचाई हो कहीं, बाहें कहीं मरोड़ |
बाहें कहीं मरोड़ , फेस करते हैं सुख दुःख |
जीवन के दो फेस, जानिये ब्लॉगर का रुख |
काटे चुटकी एक, रीति को दूजा ढोवे-
नहीं तवज्जो पाय, किन्तु ये दोनों रोवे ||
गीता का सारांश पढ़, रविकर भाव विभोर |
कर्म भक्ति का पथ पकड़, चले ब्रह्म की ओर |
कार्ट्रन :- नो कमेंट्स
noreply@blogger.com (काजल कुमार Kajal Kumar)
अम्मा दादी लो बचा, नाना पापा मोय |
दुष्ट छेड़ते हैं मुझे, बात बात पर धोय |
बात बात पर धोय, बयानों पे उलझाए |
आइ यस आइ बोय, देश में घुस घुस आये |
पी एम् रहते मौन, किन्तु मैं नहीं निकम्मा |
किचन कैबिनट गौण, हमें पुचकारे अम्मा ||
"दोहे-फेसबुक और ब्लॉगिंग" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
रोवे बुक्का फाड़ के, कहीं हंसी बेजोड़ |
टांग खिंचाई हो कहीं, बाहें कहीं मरोड़ |
बाहें कहीं मरोड़ , फेस करते हैं सुख दुःख |
जीवन के दो फेस, जानिये ब्लॉगर का रुख |
काटे चुटकी एक, रीति को दूजा ढोवे-
नहीं तवज्जो पाय, किन्तु ये दोनों रोवे ||
मेरे विचार मेरी अनुभूति
गीता का सारांश पढ़, रविकर भाव विभोर |
कर्म भक्ति का पथ पकड़, चले ब्रह्म की ओर |
शहादत पर सियासत का खेल
खरी खरी लिखते गए, भैया सौ की एक |
हत्या होती एक की, झेले दर्द अनेक |
झेले दर्द अनेक, हुवे थे क़त्ल हजारों |
भाग गए परदेश, उन्हें तो आज उबारो |
मँहगाई की मार, किन्तु सत्ता है बहरी |
गा के अपना दर्द, फर्ज पर करे मसखरी |
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteनई पोस्ट मैं
गीता का सारांश पढ़, रविकर भाव विभोर |
Deleteकर्म भक्ति का पथ पकड़, चले ब्रह्म की ओर |
सादर-
राहुल क्या उपचार बतावें खुद ही न बीमारी हैं देश की .ज़रा आई क्यू जांच करवाओ इनकी ,डिग्रीयां जंचवाओ इनके अन्दर गांधी कितना है कैसा है यह पता लगवाओ .
ReplyDeleteबढ़िया व्यंग्य विड्म्बन रविकर भाई खरा खरा .
बहुत बढ़िया लगीं आपकी टिप्पणियाँ।
ReplyDeleteआभार।
पी एम् रहते मौन, किन्तु मैं नहीं निकम्मा |
ReplyDeleteकिचन कैबिनट गौण, हमें पुचकारे अम्मा ||
टिप्पणियाँ के माध्यम से उम्दा अभिव्यक्ति ,,,!
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