उठाओ कुदाल !
Amrita Tanmay
जीवन यात्रा क्यूँ रुके, प्रेषित गीता मर्म | प्रेषित गीता मर्म, धर्म अपना अपनाओ | खिले धूप से चर्म, हाथ फावड़ा उठाओ | हल से हल हो प्रश्न, छोड़ मत धरती परती | मनें रोज ही जश्न, जाति जब कोशिश करती || |
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PD SHARMA, 09414657511 (EX. . VICE PRESIDENT OF B. J. P. CHUNAV VISHLESHAN and SANKHYKI PRKOSHTH (RAJASTHAN )SOCIAL WORKER,Distt. Organiser of PUNJABI WELFARE SOCIETY,Suratgarh (RAJ.)
वायदा करते जाइये, भली करें ना राम |
हक़ नाहक दे मत उन्हें, सकते छीन तमाम |
सकते छीन तमाम, दुर्ग भी सकें भेद वे |
वोट बैंक मजबूत, तभी दल चाटें तलवे |
मुर्दे हुवे मुरीद, डराये अलग-कायदा |
पलकों पर बैठाय, करे लीडरी वायदा ||
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सांत्वना (लघु कथा) : अरुण निगम
पैसा बप्पा से बड़ा, पैसा करे इलाज |
लाज नहीं आती दिखी, आई पर आवाज |
आई पर आवाज, हमी ने था सिखलाया |
चाचा मामा बुआ, कई रिश्ते छुड़वाया |
सदा पढ़ाया पाठ, आज जैसे को तैसा |
सोलह दूनी आठ, मँगा लो रविकर पैसा ||
बस्ती कई बसाय, खेत उपजाऊ करती -
सरिता का उद्गम कहाँ, कहाँ नहीं चल जाय |
करे लोकहित अनवरत, बस्ती कई बसाय |
बस्ती कई बसाय, खेत उपजाऊ करती |
नाले मिलते आय, किन्तु गन्दगी अखरती |
रखते गन्दी नियत, दुष्ट फैले हैं परित: |
सह सकती नहिं और, मिले सागर में सरिता-
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SACCHAI
कर्जा खाए पार्टियाँ, रही चुकाय उधार |
मंत्री गृह-मंत्री कभी, कभी सकल सरकार |
कभी सकल सरकार, तुम्हे दे सकल संपदा |
तुम ही तारण-हार, हरोगे तुम ही विपदा |
खोवे रविकर होश, पाय के दोयम दर्जा |
हक़ अव्वल निर्दोष, उठा तू मोटा कर्जा |
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शीघ्र कायदा सीख, गया "रविकर" धमकाया-कार्टूनिष्ट :-श्री विनय कुल
कार्टूनिष्ट :- ओ बी ओ सदस्य श्री विनय कुल
आया फाँकी मार के, ऑफिस का तो नाम |
जल्दी कर बरतन सफा, रफा दफा कर काम |
रफा दफा कर काम , फटाफट डिनर बनाओ |
मेरे सिर पर बाम, किन्तु पहले मल जाओ |
शीघ्र कायदा सीख, गया "रविकर" धमकाया |
अलकायदा बुलाय, अन्यथा माली आया ||
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सुन्दर सूत्र !!
ReplyDeleteसुंदर सूत्र सुंदर टिप्पणियां !
ReplyDeleteसुन्दर लिंक एवं सुन्दर कुण्डलियाँ
ReplyDeleteबढ़िया लिंक, उत्तम कुंडलियाँ |
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज मंगलवार (08-10-2013) मंगलवारीय चर्चा---1292-- वो पंख अब भी संभाले रखे हैं मैंने .... में "मयंक का कोना" पर भी है!
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का उपयोग किसी पत्रिका में किया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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शारदेय नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आनंद आ गया..हार्दिक शुभकामनायें..
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