संघ परिवार और सांप्रदायिक दंगे -भाग2लो क सं घ र्ष !खीरा-ककड़ी सा चखें, हम गोली बारूद |
पचा नहीं पटना सका, पर अपने अमरूद |
पर अपने अमरूद, जतन से पेड़ लगाये |
लिया पाक से बीज, खाद ढाका से लाये |
बिछा पड़ा बारूद, उसी पर बैठ कबीरा |
बने नीति का ईश, जमा कर रखे जखीरा ||
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जलने से बच जाय तो, बन सकती है सास |
सास इसी एहसास से, देती साँस तराश |
देती साँस तराश, जलजला घर में आये |
और होय परिहास, जगत में नाक कटाये |
रविकर घर से निकल, चला है कालिख मलने |
लेकिन घर में स्वयं, बहू को देता जलने-
अरसीला अरविन्द *अर, अथ शीला सरकार |
दृष्टि-बुरी जब कमल पर, होगा बंटाधार |
होगा बंटाधार, खेल फिर झारखण्ड सा |
जन त्रिशंकु आदेश, खेल खेलेगा पैसा |
बाढ़े भ्रष्टाचार, प्रशासन फिर से ढीला |
कीचड़ में अरविन्द, कहाँ शीला-अर सीला |
अर = जिद
सीला =गीला / सीलन
अरसीला = आलसी
TUESDAY, 30 JULY 2013
खिलें इसी में कमल, आँख का पानी, कीचड़
कीचड़ कितना चिपचिपा, चिपके चिपके चक्षु |
चर्म-चक्षु से गाय भी, दीखे उन्हें तरक्षु |
दीखे जिन्हें तरक्षु, व्यर्थ का भय फैलाता |
बने धर्म निरपेक्ष, धर्म की खाता-गाता |
कर ले कीचड़ साफ़, अन्यथा पापी-लीचड़ |
खिलें इसी में कमल, आँख का पानी, कीचड़ |
चर्म-चक्षु=स्थूल दृष्टि
तरक्षु=लकडबग्घा
सवाल आपकी सेहत के ज़वाब माहिरों के (चौथी क़िस्त ) प्रश्न :क्या है आँख -दुखनी आने का मतलब ?
Virendra Kumar Sharma
आँखों से आंसू बहे, जाँय किनारे सूज | उतरे लाली लाल के, दृष्टि होय फिर फ्यूज | दृष्टि होय फिर फ्यूज, एलर्जी धूप रसायन | पक्का छुतहा रोग, छोड़ सामूहिक गायन | रविकर चश्मा पहन, नहीं रह दवा भरोसे | नहीं लड़ाना आँख, बंधुवर इन आँखों से || |
DHAROHAR अभिषेक मिश्र
मंगल मंगल कामना, बढ़े हिन्द की शान |
बढ़े हिन्द की शान, बधाई श्री हरिकोटा |
मंगल मंगल लाल, लाल हनुमान लंगोटा |
कह रविकर कविराय, लक्ष्य-हित बढ़ता पलपल |
मनोवांछित पाय, सफल हो अपना मंगल ||
"हमने छन्दों को अपनाया" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
करे खटीमा में सदा, पुण्य-धार्मिक कार्य | साहित्यिक परिवार यह, करे सकल उपचार | करे सकल उपचार, भौतिकी दैहिक दैविक | कृपा बनाये रखे, सदा हे रविकर मालिक | रहे सुखी-सम्पन्न, बाँध ना पावे सीमा | रहे कर्मरत सतत, याद नित करे खटीमा || |
कुण्डलियाँ में टिप्पणियाँ।
ReplyDeleteबहुत खूब।
आभार।
मंगल मंगलवार है, उड़ता मंगल-यान |
ReplyDeleteमंगल मंगल कामना, बढ़े हिन्द की शान |
बढ़े हिन्द की शान, बधाई श्री हरिकोटा |
मंगल मंगल लाल, लाल हनुमान लंगोटा |
कह रविकर कविराय, लक्ष्य-हित बढ़ता पलपल |
मनोवांछित पाय, सफल हो अपना मंगल ||
एक से बढ़के एक आपने सेतु सँवारे ,
कुंडलियों के वस्त्र सभी ने यकसां धारे .
बहुत सुन्दर काव्यात्मक रूपांतरण किया है आपने .लगभग सभी सेतु हैम पढ़ चुके हैं .
अंदाजे रविकर है
ReplyDeleteऔर है कुछ और :)
सुंदर चर्चा .
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