Monday, 18 November 2013

देंगे भारत-रत्न, गोल्ड पर कितना लाये ?


कलम के कारीगर, शब्‍दों के बाजीगर की आज मंगलवार 19 नवम्‍बर 2013 को वैवाहिक सालगिरह है

हिन्‍दी ब्‍लॉगर 



मंगल मंगल कामना, वैवाहिक-त्यौहार |
हार गले में डालिये, करो हार-स्वीकार |

करो हार-स्वीकार, जिताओ रविकर भाभी |
चले गृहस्थी-कार, भरे नित भाभी चाभी |

स्वस्थ,सुखी परिवार, परस्पर सुदृढ़ सम्बल |
पुत्र पुत्रियां पौत्र, सर्वदा मंगल मंगल ||

शीला का दुःख देखिये, शहजादे का क्रोध-

प्यासी बहनें जा रहीं, रुकने का अनुरोध |
शीला का दुःख देखिये, शहजादे का क्रोध |

शहजादे का क्रोध, मन:स्थित समझ करीबी |
करते रहते शोध, किन्तु नहिं ख़तम गरीबी |

रविकर देखें बोय, खेत में सत्यानाशी |
बढ़िया पैदावार, बहन पर भूखी-प्यासी ||


भाषण सुनकर जाइये, पूरी करिये साध |
एक घरी आधी घरी, आधी की भी आध |

आधी की भी आध, विराजे हैं शहजादे |
करिये वाद-विवाद, किन्तु सुनिये ये वादे |

शीला कहे पुकार, जानती यद्यपि कारण |
जाने को सरकार, फर्क डाले क्या भाषण || 

ध्यानचंद को भारतरत्न क्यो?

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी 




हाकी-काकी के कहाँ, काके कितने वोट |
दद्दा चुप्पै बैठिये, गोल-पोस्ट में खोट |

गोल-पोस्ट में खोट, जाय हिटलर हड़काये |
देंगे भारत-रत्न, गोल्ड पर कितना लाये ?

रविकर अंतर-ध्यान, चन्द बुड्ढे ही बाकी |
उनके कितने वोट, युवा ना देखें हाकी ||

Major Dhyan Chand
Dhyan Chand closeup.jpg


गीत..................

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) 

शब्द-शब्द में भाव का, समावेश उत्कृष्ट |
शिल्प देखते ही बने, यह सचमुच सारिष्ट ||

डोरे डाले सुंदरी, मनभावन मुस्कान |
आलिंगन कैसे करूँ, कैसे करूँ प्रयाण |
कैसे करूँ प्रयाण, यही गठबंधन पक्का |
चल हरिनाम पुकार, छोड़ जग हक्का बक्का |
सजी हुई है सेज, पड़े हैं कपड़े कोरे |
पढ़े आज कुल पेज, जिल्द के ढीले डोरे ||

पति प्रेमी पितु-मातु, करा सकते जासूसी-

रविकर 

छोरे ताकें छोरियां, वक्त करे आगाह |
मर्यादा मत भूलना, दुनिया रखे निगाह |

दुनिया रखे निगाह, शुरू है कानाफूसी |
पति प्रेमी पितु-मातु, करा सकते जासूसी |

फिर महिला आयोग, सूत्र यह सकल बटोरे |
दृष्टि-दोष कर दूर, बिगाड़े खेल छिछोरे ||


तारा टूटे कहीं तो भगवान करे उसे बस माँ देखे

सुशील कुमार जोशी 

टूटा तारा देख कर, माता के मन-प्राण |
मांग रही हरदम यही, हो सबका कल्याण ||

खिलें इसी में कमल, आँख का पानी, कीचड़


कीचड़ कितना चिपचिपा, चिपके चिपके चक्षु |
चर्म-चक्षु से गाय भी, दीखे उन्हें तरक्षु |

दीखे जिन्हें तरक्षु, व्यर्थ का भय फैलाता |
बने धर्म निरपेक्ष, धर्म की खाता-गाता |

कर ले कीचड़ साफ़,  अन्यथा पापी-लीचड़ |
खिलें इसी में कमल, आँख का पानी, कीचड़ |
चर्म-चक्षु=स्थूल दृष्टि
तरक्षु=लकडबग्घा
कमल खिलेंगे बहुत पर, राहु-केतु हैं बंकु |
चौदह के चौपाल  की, है उम्मीद त्रिशंकु |

है उम्मीद त्रिशंकु, भानुमति खोल पिटारा |
करे रोज इफ्तार, धर्म-निरपेक्षी नारा |

ले "मकार" को साध, कुशासन फिर से देंगे |
कीचड़ तो तैयार, कमल पर कहाँ खिलेंगे  ??
*Minority
*Muthuvel-Karunanidhi 
*Mulaayam
*Maayaa
*Mamta 

6 comments:

  1. बढ़िया प्रस्तुति

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  2. कारीगर को बहुत बहुत बधाई
    जरूर हमें भी मिलेगी कुछ मिठाई
    मनाते रहें इसी तरह सालो साल सालगिरह शादी की
    करते रहें बाजीगरी कलम की तलवार बाजी की !

    सुंदर चर्चा !
    उल्लूक का आभार !
    "तारा टूटे कहीं तो भगवान करे उसे बस माँ देखे"
    को स्थान दिया !

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    1. सुखद दाम्पत्य जीवन की मंगल कामनाएं। समसामायिक कुंडलियों के लिए हार्दिक आभार रविकर जी।

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  3. बहुत सुंदर लिंक्स

    विवाह की सालगिरह मुबारक हो

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  4. देंगे भारत-रत्न, गोल्ड पर कितना लाये ?
    bahut sundar bhavna.. sundar links ..

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  5. प्यासी बहनें जा रहीं, रुकने का अनुरोध |
    शीला का दुःख देखिये, शहजादे का क्रोध |

    शहजादे का क्रोध, मन:स्थित समझ करीबी |
    करते रहते शोध, किन्तु नहिं ख़तम गरीबी |

    रविकर देखें बोय, खेत में सत्यानाशी |
    बढ़िया पैदावार, बहन पर भूखी-प्यासी ||


    भाषण सुनकर जाइये, पूरी करिये साध |
    एक घरी आधी घरी, आधी की भी आध |

    आधी की भी आध, विराजे हैं शहजादे |
    करिये वाद-विवाद, किन्तु सुनिये ये वादे |

    शीला कहे पुकार, जानती यद्यपि कारण |
    जाने को सरकार, फर्क डाले क्या भाषण ||

    दीवाने का हाल तो देखो कवि से भी बदतर दिख रहा है कोई इसे सुनने को तैयार नहीं अम्मा मंत्री प्रधान बनाने के सपने देखे जाए है।

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