नरेंद्र मोदी इस लायक नहीं हैं की उन्हें हिंदुस्तान का वजीरे आलम बनाया जाए
Virendra Kumar Sharma
सोने की चिड़िया मरे, रही फड़फड़ा पंख |
घोंघे तो संतुष्ट हैं, मुतमईन है शंख |
मुतमईन है शंख, जोर से चले बजाते |
ले घंटा-घड़ियाल, झूठ को सत्य बनाते |
रखें ताक़ पर बुद्धि, चले ये काँटा बोने |
देते ये झकझोर, हमें ना देंगे सोने ||
|
धोते "रविकर" पाप, आज गर बापू होते -
बापू होते खेत इत, भारत चाचा खेत |
सेत-मेत में पा गए, वंशावली समेत |
वंशावली समेत, समेंटे सत्ता सारी |
अहंकार कुल छाय, पाय के कुल-मुख्तारी |
"ताल-कटोरा" आय, लगाते घोंघे गोते |
धोते "रविकर" पाप, आज गर बापू होते -
|
|
॥ दर्शन-प्राशन ॥
यह ब्लॉग मूलतः आलंकारिक काव्य को फिर से प्रतिष्ठापित करने को निर्मित किया गया है। इसमें मुख्यतः शृंगार रस के साथी प्रेयान, वात्सल्य, भक्ति, सख्य रसों के उदाहरण भरपूर संख्या में दिए जायेंगे। भावों को अलग ढंग से व्यक्त करना मुझे शुरू से रुचता रहा है। इसलिये कहीं-कहीं भाव जटिलता में चित्रात्मकता मिलेगी। सो उसे समय-समय पर व्याख्यायित करने का सोचा है। यह मेरा दीर्घसूत्री कार्यक्रम है।
प्रतुल वशिष्ठ जन्म दिवस दीपावली, शुभकामना अशेष | भरे दोहरे दोहरे, सादर भाव विशेष || |
पाव पाव दीपावली, शुभकामना अनेक-रविकर
पाव पाव दीपावली, शुभकामना अनेक |
वली-वलीमुख अवध में, सबके प्रभु तो एक |
सब के प्रभु तो एक, उन्हीं का चलता सिक्का |
कई पावली किन्तु, स्वयं को कहते इक्का |
जाओ उनसे चेत, बनो मत मूर्ख गावदी |
रविकर दिया सँदेश, मिठाई पाव पाव दी ||
वली-वलीमुख = राम जी / हनुमान जी
पावली=चवन्नी
गावदी = मूर्ख / अबोध
|
SARTHAK PRASTUTI .AABAR
ReplyDeleteसार्थक चर्चा मय लिंक ...
ReplyDeleteसुंदर चर्चा !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज मंगलवार (05-11-2013) भइया तुम्हारी हो लम्बी उमर : चर्चामंच 1420 पर भी होगी!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
दीपावली के पंचपर्वों की शृंखला में
भइया दूज की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सोने की चिड़िया मरे, रही फड़फड़ा पंख |
ReplyDeleteघोंघे तो संतुष्ट हैं, मुतमईन है शंख |
मुतमईन है शंख, जोर से चले बजाते |
ले घंटा-घड़ियाल, झूठ को सत्य बनाते |
रखें ताक़ पर बुद्धि, चले ये काँटा बोने |
देते ये झकझोर, हमें ना देंगे सोने ||
इन्हें खिलाओ भैया रविकर मोदी की नमकीन ,
अमरीका में बिक रही ,खाये हर शोकीन .
सुंदर चर्चा !
ReplyDeleteदीपावली के पंचपर्वों की शृंखला में
भइया दूज की हार्दिक शुभकामनाएँ !!