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तक्षशिला में ढूंढते, मूर्ख आज तक खोट -
लगे पलीते दर्जनों, होंय सतत विस्फोट |
तक्षशिला में ढूंढते, मूर्ख आज तक खोट |
मूर्ख आज तक खोट, लड़े थे चन्द्रगुप्त-रण |
पकड़ शब्दश: तथ्य, भूल ना पाते भाषण |
कह रविकर एहसास, सभा भगदड़ बिन बीते |
भूल परिस्थित-जन्य, अगर हों लगे पलीते ||
घटनाएं जब यकबयक, होंय खड़ी मुँह फाड़ |
असमंजस में आदमी, काँप जाय दिल-हाड़ | काँप जाय दिल-हाड़, बचाना लेकिन जीवन | आये लाखों लोग, जहाँ सुनने को भाषण | कर तथ्यों की बात, गलतियां ढूंढे पटना | सह मोदी आघात, सँभाले प्रति-दुर्घटना || |
सम-गोत्रीय विवाह: भगवती शांता : मर्यादा पुरुषोत्तम राम की सगी बहन
सम गोत्रीय विवाह
सवैया
गोतज दोष नरेश लगे, तनया विकलांग बनावत है ।
माँ विलखे चितकार करे, कुल धीरज शान्ति गंवावत है ।
वैद गुनी हलकान दिखे, निकसे नहिं युक्ति, बकावत है ।
औध-दशा बदहाल हुई, अघ रावण हर्ष मनावत है ।।
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अरसीला अरविन्द *अर, अथ शीला सरकार |
दृष्टि-बुरी जब कमल पर, होगा बंटाधार |
होगा बंटाधार, झेल तू झारखण्ड सा |
जन त्रिशंकु आदेश, खेल खेलेगा पैसा |
बाढ़े भ्रष्टाचार, प्रशासन फिर से ढीला |
कीचड़ में अरविन्द, कहाँ शीला-अर सीला |
अर = जिद
सीला =गीला / सीलन
अरसीला = आलसी
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लिया पाक से बीज, खाद ढाका से लाये-
खीरा-ककड़ी सा चखें, हम गोली बारूद |
पचा नहीं पटना सका, पर अपने अमरूद |
पर अपने अमरूद, जतन से पेड़ लगाये |
लिया पाक से बीज, खाद ढाका से लाये |
बिछा पड़ा बारूद, उसी पर बैठ कबीरा |
बने नीति का ईश, जमा कर रखे जखीरा ||
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सुन्दरतम भाव से संपृक्त रचना ,
ReplyDeleteहोगा बंटाधार, झेल तू झारखण्ड सा |
ReplyDeleteजन त्रिशंकु आदेश, खेल खेलेगा पैसा |
बहुत सही !
साभार !
बहुत सुंदर चर्चा !
ReplyDeleteचर्चा का ये तरीका अद्भुत लगा...बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteजलने से बच जाय तो, बन सकती है सास |
ReplyDeleteसास इसी एहसास से, देती साँस तराश |
देती साँस तराश, जलजला घर में आये |
और होय परिहास, जगत में नाक कटाये |
रविकर घर से निकल, चला है कालिख मलने |
लेकिन घर में स्वयं, बहू को देता जलने-
रविकर की कलम दिनानुदिन मोदी की तरह नै ऊंचाइयां छ्हू रही है कुछ करके मानेगी।
कौन है सेकुलर कौन है कम्युनल, रविकर खोले पोल ,
ReplyDeleteपटेल बस सरदार था ,बात कहे सब खोल।
बात पते की बोल ,....... दिखावे रोज़ तमाशे
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