Friday, 8 November 2013

होता मुन्ना पास,चार पन्ने का उत्तर -



मंशा पर करते खड़े, क्यूँ आयोग सवाल । 
भल-मन-साहत देखिये, देख लीजिये चाल । 

देख लीजिये चाल, मिले शाबाशी पुत्तर । 
होता मुन्ना पास,चार पन्ने का उत्तर । 

पुन: मुज्जफ्फर नगर, करूँ क्यूँकर अनुशंसा ।
उधर इरादा पाक, इधर इनकी जो मंशा ॥ 



चट्टे बट्टे एक, दाँव दे जाते झूठे-


झूठे *दो दो चोंच हों, दिखे चोंचलेबाज |
बाज कबूतर से लड़े, फिर भी नखरे नाज |
*कहासुनी 
फिर भी नखरे नाज, नहीं पंजे को अखरे |
जन का बहता रक्त, देख कर हँसे मसखरे |

है चुनाव कि रीति, दीखते रूठे रूठे |

चट्टे बट्टे एक, दाँव दे जाते झूठे ||


लिया पाक से बीज, खाद ढाका से लाये-

खीरा-ककड़ी सा चखें, हम गोली बारूद |
पचा नहीं पटना सका, पर अपने अमरूद |

पर अपने अमरूद, जतन से पेड़ लगाये |
लिया पाक से बीज, खाद ढाका से लाये |

बिछा पड़ा बारूद, उसी पर बैठ कबीरा |
बने नीति का ईश, जमा कर रखे जखीरा ||


लाल -आँखें 

आँखों से आंसू बहे, जाँय किनारे सूज |
उतरे लाली लाल के, दृष्टि होय फिर फ्यूज |

दृष्टि होय फिर फ्यूज, एलर्जी धूप रसायन |
पक्का छुतहा रोग, छोड़ सामूहिक गायन |

रविकर चश्मा पहन, नहीं रह दवा भरोसे |
नहीं लड़ाना आँख, बंधुवर इन आँखों से ||


सम-गोत्रीय विवाह: भगवती शांता : मर्यादा पुरुषोत्तम राम की सगी बहन

 सर्ग-२ 
भाग-2
सम गोत्रीय विवाह

फटा कलेजा भूप का, सुना शब्द विकलांग |
सुता हमारी स्वस्थ हो, जो चाहे सो मांग ||

भूपति की चिंता बढ़ी, छठी दिवस से बोझ |
तनया की विकृति भला, कैसे होगी सोझ ||

रात-रात भर देखते, उसकी दुखती टांग |
सपने में भी आ जमे, नटनी करती स्वांग ||

गुरु वशिष्ठ ने एक दिन, भेजा भूप बुलाय |
सह सुमंत आश्रम गए, बैठे शीश नवाय ||

3 comments:

  1. सभी रचनाएं उच्च कोटि की एवम बहुत कुछ कहती सुनती हुयी प्रस्तुति

    ReplyDelete
  2. बहुत सुंदर चर्चा !

    ReplyDelete