मंशा पर करते खड़े, क्यूँ आयोग सवाल ।
भल-मन-साहत देखिये, देख लीजिये चाल ।
देख लीजिये चाल, मिले शाबाशी पुत्तर ।
होता मुन्ना पास,चार पन्ने का उत्तर ।
पुन: मुज्जफ्फर नगर, करूँ क्यूँकर अनुशंसा ।
उधर इरादा पाक, इधर इनकी जो मंशा ॥
|
चट्टे बट्टे एक, दाँव दे जाते झूठे-
झूठे *दो दो चोंच हों, दिखे चोंचलेबाज |
बाज कबूतर से लड़े, फिर भी नखरे नाज | *कहासुनी फिर भी नखरे नाज, नहीं पंजे को अखरे | जन का बहता रक्त, देख कर हँसे मसखरे | है चुनाव कि रीति, दीखते रूठे रूठे | चट्टे बट्टे एक, दाँव दे जाते झूठे || |
लिया पाक से बीज, खाद ढाका से लाये-
खीरा-ककड़ी सा चखें, हम गोली बारूद |
पचा नहीं पटना सका, पर अपने अमरूद |
पर अपने अमरूद, जतन से पेड़ लगाये |
लिया पाक से बीज, खाद ढाका से लाये |
बिछा पड़ा बारूद, उसी पर बैठ कबीरा |
बने नीति का ईश, जमा कर रखे जखीरा ||
|
लाल -आँखें
आँखों से आंसू बहे, जाँय किनारे सूज | उतरे लाली लाल के, दृष्टि होय फिर फ्यूज | दृष्टि होय फिर फ्यूज, एलर्जी धूप रसायन | पक्का छुतहा रोग, छोड़ सामूहिक गायन | रविकर चश्मा पहन, नहीं रह दवा भरोसे | नहीं लड़ाना आँख, बंधुवर इन आँखों से || |
सम-गोत्रीय विवाह: भगवती शांता : मर्यादा पुरुषोत्तम राम की सगी बहन
सर्ग-२
भाग-2
सम गोत्रीय विवाह
फटा कलेजा भूप का, सुना शब्द विकलांग |
सुता हमारी स्वस्थ हो, जो चाहे सो मांग ||
भूपति की चिंता बढ़ी, छठी दिवस से बोझ |
तनया की विकृति भला, कैसे होगी सोझ ||
रात-रात भर देखते, उसकी दुखती टांग |
सपने में भी आ जमे, नटनी करती स्वांग ||
गुरु वशिष्ठ ने एक दिन, भेजा भूप बुलाय |
सह सुमंत आश्रम गए, बैठे शीश नवाय ||
|
सभी रचनाएं उच्च कोटि की एवम बहुत कुछ कहती सुनती हुयी प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत सुंदर चर्चा !
ReplyDeleteबहुत सुंदर संयोजन !
ReplyDelete