Saturday, 9 November 2013

भोथर होती धार, करे क्या सी बी आई -


काजल कुमार Kajal Kumar


आ जा आरा दें चला, काटें यह आराम |
चर्बी हम पर भी चढ़े, बचे राम का नाम |

बचे राम का नाम, दाम भी चलो बचाएं |
दूर कुपोषण होय, आप काया ढो पाएं |

इक सा हम हो जाँय, अन्यथा बाजे बाजा |
दोनों ना चल पाँय, घुटाले वापस आ जा || 

इक ठो काना पाय, बना दें राजा, अंधे-

अंधे बाँटे रेवड़ी, लगती हाथ बटेर |
अन्न-सुरक्षा काम भी, मनरेगा का फेर |

मनरेगा का फेर, काम बिन मिले कमीशन |
नगरी में अंधेर, किन्तु मन भावे शासन |

पाई अंधी अक्ल, बंद कर 'रविकर' धंधे |
इक ठो काना पाय, बना दें राजा, अंधे || 


फसल तो होती है किसान ध्यान दे जरूरी नहीं होता है

सुशील कुमार जोशी 

 बोये बिन उगते रहे, घास-पात लत झाड़ |
शब्द झाड़-झंकाड़ भी, उगे कलेजा फाड़ |

उगे कलेजा फाड़, दहाड़े सिंह सरीखा |
यह टाइम्स उल्लूक, उजाले में भी चीखा |

साधुवाद हे मित्र, शब्द रोये तो रोये |
हँसे भाव नितराम, बीज मस्ती के बोये ||



सी वी आई मामला, दे ऊपर अब भेज |
अब तक सत्ता ने रखा, हरदम जिसे सहेज |

हरदम जिसे सहेज, हमेशा  डंडा थामे  |
शत्रु दिखा जो तेज, केस कर उसके नामे |

कह रविकर कविराय, निराशा चहुँदिश छाई ||
भोथर होती धार, करे क्या सी बी आई ||

सूबे में दंगे थमे, खुलती पाक दुकान -

मंशा मनसूबे सही, लेकिन गलत बयान |
सूबे में दंगे थमे, खुलती पाक दुकान |

खुलती पाक दुकान, सजा दे मंदिर मस्जिद |
लेती माल खरीद, कई सरकारें संविद |

नीर क्षीर अविवेक, बने जब कौआ हंसा |
रहे गधे अब रेक, जगाना इनकी मंशा ||


5 comments:

  1. बहुत सुंदर
    लेकिन बार बार
    क्यों दिखा रहे हो
    वही बंदर :) !

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  2. सुंदर अभिव्यक्ति ।

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  3. वाह बेहद खूबसूरत टिप्पणियां और कतरे :)

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  4. लिंख लिखाड़ पर दिनानुदिन निखार है

    मोदी सा खुमार है।

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