Monday, 11 November 2013

जो आया पैगाम, शराफत रविकर छोड़े -

रिश्ते में दुर्गन्ध, लाश भी तू ही रख ले-

खले खोखला खल-खलल, खारिज खाली खाम |
बिन खोले ही पढ़ लिया, जो आया पैगाम |

जो आया पैगाम, शराफत रविकर छोड़े  |
नित्य वसूले दाम, बाँह भी रोज मरोड़े |

बदले अब सम्बन्ध, ले चुकी सौ सौ बदले |
रिश्ते में दुर्गन्ध, लाश भी तू ही रख ले ||

यंत्र अबोला

Asha Saxena 


अच्छा है जो है नहीं, यंत्र पकड़ ले झूठ |
सपने जाते टूट फिर, अपने जाते रूठ ||







 शिक्षा से क्रिश्चियन हूँ, रोप दिया यूरोप |
संस्कार से मुसलमाँ, चला कटारी घोप |

चला कटारी घोप, हिन्दु हूँ इत्तेफाक से |
इसीलिए तो कोप, डुबाता हूँ खटाक से |

राष्ट्रवाद बकवास, नीतियां ले भिक्षा से |
चरा दिया तो देश, विदेशी ऋण, शिक्षा से ||

ये कैसा प्रयोग किया ?

प्रतुल वशिष्ठ 


मैना उड़ती दूर तक, तोता सहे वियोग |

नाहक ऐसे भाव से, नित्य बढ़ाये रोग |


नित्य बढ़ाये रोग, योग के खोज रास्ते |
कर ले नवल प्रयोग, शान्तिमय चित्त वास्ते |

लगा ईश में ध्यान, व्यर्थ दे रहा उलहना |

उड़ जहाज से जाय, लौट कर आये मैना || 

कार्टून :- नेताई ही कहॉं आसां है रे बांगड़ू


गोवा का हौव्वा बड़ा, खड़ा सामने आय |
तालिबान नेता बड़ा, फोटो लिया खिंचाय |

फोटो लिया खिंचाय, हमारे वित्त मिनिस्टर |
गृह-मंत्री विलखाय, यहाँ आई यम पर बककर |

इत दिग्गी तौकीर, देश का अमन बिलोवा |
मँहगाई की पीर, देख ना पाये गोवा || 


मिला पाक से फैक्स, सफल भाजप की रैली -

 रैली पटना की सफल, सी एम् रहे बताय |
आतंकी धंधा नया, रैली सफल कराय |

रैली सफल कराय, नए अब कारोबारी |
आये नए चुनाव , नई ले रहे सुपारी |

देते सर्विस टैक्स, मिली पटना को थैली |
मिला पाक से फैक्स, सफल भाजप की रैली   || 



बिल्ली को चुहिया मिली, कभी हुई थी दफ्न |

शेखचिल्लियों की चली, सोना सोना स्वप्न |


सोना सोना स्वप्न, हुई शामिल दिल्ली भी |

राजनीति-विज्ञान, लपलपा जाती जीभी |


देखे सारा विश्व, उड़ाये रविकर खिल्ली |

भूली गीता मर्म, शेख-चिल्ली की बिल्ली ||


3 comments:

  1. आपके द्वारा त्वरित टिप्पणी बहुत अच्छी लगती हैं |आज मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |

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  2. शिक्षा से क्रिश्चियन हूँ, रोप दिया यूरोप |
    संस्कार से मुसलमाँ, चला कटारी घोप |

    चला कटारी घोप, हिन्दु हूँ इत्तेफाक से |
    इसीलिए तो कोप, डुबाता हूँ खटाक से |

    राष्ट्रवाद बकवास, नीतियां ले भिक्षा से |
    चरा दिया तो देश, विदेशी ऋण, शिक्षा से ||

    सुन्दर भाव तर्ज़ुमा रविकर की ज़ुबानी

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