खुला भाड़ सा रह गया, मुँह सबका हरबेर |
किये खुलासे सैकड़ों, मचा तहलका ढेर |
मचा तहलका ढेर, रपट भी कई दबाई |
दबा सका ना आज, किन्तु वह कौआ भाई |
पौरुष को धिक्कार, कराये अधम हादसा |
बेटी से व्यभिचार, रहा मुँह खुला भाड़ सा ||
नई ई-मेल लीक: तेजपाल ओर पीड़िता के बीच की बातचीत
SACCHAI
आज कचोटे आत्मा, हिला हिला अस्तित्व | फ्लर्ट कहे दुष्कर्म को, झेले विपत सतीत्व | झेले विपत सतीत्व, नौकरी करना भूली | छेड़ दिया संघर्ष, चढ़ा दूँ इसको सूली | उस नरेश की उक्ति, जॉब के होंगे टोटे | लज्जा जनक बयान, दुबारा आज कचोटे || |
'तरुण' और 'आसाराम' दो दुष्कर्मियों में से एक को पीएम बनाने का दबाव 'आम पब्लिक' यानी 'आप' पर बनाया जा रहा हो तो आप किस एक का चयन करेंगे।
ये तो आउट हो गए, जायेंगे ये जेल |
छुपे हुवे रुस्तम कई, ढेरों नीम करेल |
ढेरों नीम करेल, उन्हीं से होगा चुनना |
पा जाए जो बेल, जाल उनके हित बुनना |
वैसे रविकर सोच, ढूँढ माधव मिट्टी का |
मुन्ना का इस बार, भाग्य से टूटे छींका || |
आज दुनिया के माँ -बाप शर्मसार हुए !
केवल दो इंसानों का कत्ल नहीं था ,इंसानी भरोसे का घिनौना क़त्ल था ! माँ -बाप से ज्यादा सुरक्षा तो भगवान के पास भी नहीं है ! बच्चो की गलतियों पर इतना हायपर नहीं होना चाहिए कि हम अपना आपा ही खो जाएँ और फिर ऎसी स्थिति आ जाए कि जो माँ -बाप के रिश्ते की हत्या हो जाये आरूषि की हत्या के कसूरवार राजेश तलवार और नुपुर तलवार को आज कोर्ट ने मान लिया है , सजा कल सुनाई जायेगी !दोनों को कस्टडी में ले लिया गया है ! जो भी सबूत सामने आये ,उनके अनुसार ये दोनों दोषी नजर आ ही रहे थे !
बड़ी तेज तलवार है, बड़ा साधु वाचाल |
चालबाज चालाक ठग, ठोक रहे हैं ताल | ठोक रहे हैं ताल, कहीं नूपुर सी जागृति | जो भी हुआ अधीन, भोगता वो ही दुर्गति | रविकर रहे सचेत, नहीं कर जाय हड़बड़ी | पहचाने संकेत, होय फिर नहीं गड़बड़ी || |
जनसंख्या है ढेर, मरे कुछ इहि विधि मनई-
नई नीति नीतीश की, दारू पिए बिहार |
है अमीर तो क्या करे, दारू पी व्यभिचार |
दारू पी व्यभिचार, तरीका है अपनाया |
कमा रहा राजस्व, दुकाने कई खुलाया |
पिए और मर जाय, थाम ले लोटा-परई |
जनसंख्या है ढेर, मरे कुछ इहि विधि मनई ||
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छित्बल मामा आज का, रखता तेज सहेज-
दुर्बल मामा कंस था, मारा भांजा तेज |
छित्बल मामा है चतुर, राखा तेज सहेज |
राखा तेज सहेज, कमल पर कीचड़ डाले |
पेज थ्री पर भेज, टटोले देखे भाले |
*सोम-योनि सिर लेप, डाल आशा का कम्बल |
नारायण को थाम, भटकता लेकिन दुर्बल ||,
*सोम-योनि =हरिचन्दन
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नहीं छानना ख़ाक, बाँध कर रखो लंगोटा
केले सा जीवन जियो, मत बन मियां बबूल |
सामाजिक प्रतिबंध कुल, दिल से करो क़ुबूल |
दिल से करो क़ुबूल, अन्यथा खाओ सोटा |
नहीं छानना ख़ाक, बाँध कर रखो लंगोटा |
दफ्तर कॉलेज हाट, चौक घर मेले ठेले |
रहो सदा चैतन्य, घूम मत कहीं अकेले |
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बहुत सुंदर चर्चा सुंदर टिप्पणियों से सरोबार !
ReplyDeleteबेहतरीन लिंक्स ............
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