बिहार : पत्रकारों को चोर बना रहे हैं नीतीश !
महेन्द्र श्रीवास्तव at TV स्टेशन ...
नंगापन बढ़ता रहे, गंगा जाए सूख |
पर सी एम् चंगा दिखे, ले प्रचार की भूख |
ले प्रचार की भूख, चूक तो हर हर गंगे |
उठे कलेजे हूक, कौन ले सकता पंगे |
पटने में विस्फोट, जाँच में डाल अड़ंगा |
ले आतंकी पोट, राज करता है नंगा ||
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जिन्दा भारत-रत्न मैं, मैं तो बसूँ विदेश -
जिन्दा भारत-रत्न मैं, मैं तो बसूँ विदेश |
पता नहीं यह मीडिया, खुलवा दे क्या केस |
खुलवा दे क्या केस, करूँगा खुल के मस्ती |
नहीं किसी को क्लेश, मटरगस्ती कुछ सस्ती |
बना दिया भगवान्, करूं क्यूँकर शर्मिंदा |
बनकर मैं इंसान, चाहता रहना जिन्दा ||
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अन्ना करे विलाप, हमारे धन से लड़ता-
लड़ता भ्रष्टाचार से, आज आप हित आप |
आप दुखी है बाप से, अन्ना से सन्ताप |
अन्ना से सन्ताप, चंद चंदे का चक्कर |
सदाचार संदिग्ध, हुआ है चेला शक्कर |
आंदोलन से आप, इलेक्शन खातिर बढ़ता |
अन्ना करे विलाप, हमारे धन से लड़ता ||
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दद्दा चुप्पै बैठिये, गोल-पोस्ट में खोट |
गोल-पोस्ट में खोट, जाय हिटलर हड़काये |
देंगे भारत-रत्न, गोल्ड पर कितना लाये ?
रविकर अंतर-ध्यान, चन्द बुड्ढे ही बाकी |
उनके कितने वोट, युवा ना देखें हाकी ||
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गीत..................
अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)
शब्द-शब्द में भाव का, समावेश उत्कृष्ट | शिल्प देखते ही बने, यह सचमुच सारिष्ट || डोरे डाले सुंदरी, मनभावन मुस्कान | अंग-अंग थिरके मगन, रत रति-मदन समान | रत रति-मदन समान, हुआ पक्का गठबंधन | दे हरिनाम बिसार, समर्पित करदे तनमन | सजती रविकर सेज, पड़े हैं कपड़े कोरे | पढ़े आज कुल पेज, जिल्द के ढीले डोरे || |
बढिया लिंक्स
ReplyDeleteमुझे स्थान देने के लिए आभार
बेहतरीन लिनस संयोजन ...............
ReplyDeleteसुंदर!
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ReplyDeleteअन्ना करे विलाप, हमारे धन से लड़ता-
लड़ता भ्रष्टाचार से, आज आप हित आप |
आप दुखी है बाप से, अन्ना से सन्ताप |
अन्ना से सन्ताप, चंद चंदे का चक्कर |
सदाचार संदिग्ध, हुआ है चेला शक्कर |
आंदोलन से आप, इलेक्शन खातिर बढ़ता |
अन्ना करे विलाप, हमारे धन से लड़ता ||
सुन्दर .