Tuesday, 19 November 2013

पता नहीं यह मीडिया, खुलवा दे क्या केस-


बिहार : पत्रकारों को चोर बना रहे हैं नीतीश !

महेन्द्र श्रीवास्तव at TV स्टेशन ... 




नंगापन बढ़ता रहे, गंगा जाए सूख |
पर सी एम् चंगा दिखे, ले प्रचार की भूख |

ले प्रचार की भूख, चूक तो हर हर गंगे |
उठे कलेजे हूक, कौन ले सकता पंगे |

पटने में विस्फोट,  जाँच में डाल अड़ंगा |
ले आतंकी पोट, राज करता है नंगा || 


जिन्दा भारत-रत्न मैं, मैं तो बसूँ विदेश -

जिन्दा भारत-रत्न मैं, मैं तो बसूँ विदेश |
पता नहीं यह मीडिया, खुलवा दे क्या केस |

खुलवा दे क्या केस, करूँगा खुल के मस्ती |
नहीं किसी को क्लेश, मटरगस्ती कुछ सस्ती |

बना दिया भगवान्, करूं क्यूँकर शर्मिंदा |
बनकर मैं इंसान, चाहता रहना जिन्दा ||



अन्ना करे विलाप, हमारे धन से लड़ता-

लड़ता भ्रष्टाचार से, आज आप हित आप |
आप दुखी है बाप से, अन्ना से सन्ताप |

अन्ना से सन्ताप, चंद चंदे का चक्कर |
सदाचार संदिग्ध, हुआ है चेला शक्कर |

आंदोलन से आप, इलेक्शन खातिर बढ़ता |
अन्ना करे विलाप, हमारे धन से लड़ता ||

ध्यानचंद को भारतरत्न क्यो?

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी 






हाकी-काकी के कहाँ, काके कितने वोट |
दद्दा चुप्पै बैठिये, गोल-पोस्ट में खोट |

गोल-पोस्ट में खोट, जाय हिटलर हड़काये |
देंगे भारत-रत्न, गोल्ड पर कितना लाये ?

रविकर अंतर-ध्यान, चन्द बुड्ढे ही बाकी |
उनके कितने वोट, युवा ना देखें हाकी ||




गीत..................

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) 

शब्द-शब्द में भाव का, समावेश उत्कृष्ट |
शिल्प देखते ही बने, यह सचमुच सारिष्ट ||

डोरे डाले सुंदरी, मनभावन मुस्कान |
अंग-अंग थिरके मगन, रत रति-मदन समान |
रत रति-मदन समान, हुआ  पक्का गठबंधन |
दे हरिनाम बिसार, समर्पित करदे तनमन |
सजती रविकर सेज, पड़े हैं कपड़े कोरे |
पढ़े आज कुल पेज, जिल्द के ढीले डोरे ||

4 comments:

  1. बढिया लिंक्स
    मुझे स्थान देने के लिए आभार

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  2. बेहतरीन लिनस संयोजन ...............

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  3. अन्ना करे विलाप, हमारे धन से लड़ता-
    लड़ता भ्रष्टाचार से, आज आप हित आप |
    आप दुखी है बाप से, अन्ना से सन्ताप |

    अन्ना से सन्ताप, चंद चंदे का चक्कर |
    सदाचार संदिग्ध, हुआ है चेला शक्कर |

    आंदोलन से आप, इलेक्शन खातिर बढ़ता |
    अन्ना करे विलाप, हमारे धन से लड़ता ||

    सुन्दर .

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