Tuesday 17 April 2012

नायक इंगित कुछ किये बिना, चुपचाप दिखाता राह चला




दूजे पर निर्णय दे देना, निर्णायक का है सहज कर्म ।
समझा खुद के कुछ सही गलत, या निभा रहा वो मात्र धर्म ।


नायक इंगित कुछ किये बिना, चुपचाप दिखाता राह चला -
आदर्श करे इ'स्थापित वो,  अनुसरण करे जग समझ मर्म ।।


यादों का हसीं कारवाँ....!!!

  .ashok saluja . at यादें... 
 


यादों का साथ अकेला पा, जीवन को सरस बना लेता ।
कुछ कह लेता कुछ सुन लेता, गम के गाने भी गा लेता -


खुशियाँ भी चुन चुन रखे रहे, मुस्काता है शर्माता है -
जो रहे स्वस्थ खुशहाल सदा, वह सारी नियामत पा लेता ।।  

बवाल-ए-बाल



वाह खबा क्या चीज हो, सहता जग परिहास ।
कितना भी चैतन्य हो, तुम लेते हो फांस ।

तुम लेते हो फांस, शर्त की खाय कचौड़ी ।
नाड़ा देते काट, दूर की लाते कौड़ी ।

जौ-जौ आगर जगत, मिले ना तेरा अब्बा ।
खब्ती-याना दूर, गोल कर दे ना डब्बा ।।


मेरे आस-पास कुछ बिखरा सा.......

  my dreams 'n' expressions.....याने मेरे दिल से सीधा कनेक्शन

प्यार बूढ़ दिल मोंगरा, अमलताश की आग ।
 लड़की को कर के विदा, चला बुझाय चराग ।।

सपन संजोते देखा ”

  अरुण कुमार निगम (हिंदी कवितायेँ)
सपना अपना चुन लिया, करे नहीं पर यत्न ।
बिन प्रयत्न कैसे मिले, कोई अद्भुत रत्न ।



रिश्ते

shelley at aahuti



रिश्ते रूपी बेल को, डोर प्रेम-विश्वास ।
स्वाभाविक अंदाज में, ले चलती आकाश ।

ले चलती आकाश, ख़ुशी के शबनम झिलमिल ।
मिलते नमी प्रकाश, सामने दिखती मंजिल ।

पर रविकर कुछ दुष्ट, तापते आग जलाकर ।
पाता है आनंद, बेल को जला तपा कर ।।

वीरू भाई की मांग पर-
ममता में अंधी हुई, अपना पूत दिखाय |
स्वार्थ सिद्ध तृणमूल का, देश भाड़ में जाय |


देश भाड़ में जाय, खाय ले घर का बच्चा |

एक सूत्र जो पाय, चबाती  जाये कच्चा |

देती केंद्र हिलाय, कोप इक क्षण में कमता |
सब नौटंकी आय, चतुर माया से ममता  ।।



5 comments:

  1. बेहतरीन प्रस्‍तुति।

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  2. आपका यह अंदाज ब्लॉग जगत में निराला, अनोखा और अद्वितीय है।

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  3. पर रविकर कुछ दुष्ट, तापते आग जलाकर ।
    पाता है आनंद, बेल को जला तपा कर ।।
    बहुत मार्मिक .

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  4. बहुत-बहुत आभार आपका !

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  5. ममता में अंधी हुई, अपना पूत दिखाय |
    स्वार्थ सिद्ध तृणमूल का, देश भाड़ में जाय |

    बहुत बढ़िया प्रस्तुति,

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