खुद अपने आप से है बेखबर...हमलोग!
डा. अरुणा कपूर
जिम्मेदारी के तले, ऐसे गए दबाय ।
बेसुध की यह बेखुदी, कर ना पाई हाय ।
कर ना पाई हाय, गधे सा खटता रहता ।
उनको रहा सराह, उन्हीं की गाथा कहता ।
खुद को ले पहचान, होय खुद का आभारी ।
कर खुद की तारीफ़, उठा ले जिम्मेदारी ।।
कहाँ लिखूं मैं क्या कहूँ , बस कहती आभार ।
नहीं समझ पाई खता, क्यूँ बदला व्यवहार ।।
भाई-चारा देख के, चारा भी निर्भीक ।
मीनारों के शहर से, जंगल दिखता नीक ।।
जीवन सूत्रों को रहे, गुरुवर मस्त पिरोय ।
आभार: Thank you :)
कहाँ लिखूं मैं क्या कहूँ , बस कहती आभार ।
नहीं समझ पाई खता, क्यूँ बदला व्यवहार ।।
आहा मेरा पेड़
Sushil Kumar Joshi at "उल्लूक टाईम्स "भाई-चारा देख के, चारा भी निर्भीक ।
मीनारों के शहर से, जंगल दिखता नीक ।।
"दोहे-काहे का अभिमान" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiBG96453corCrypQ_Zb4J8TCgLT_OYwq6CpUVwcvYMyAZ7uCewlz-ocMO53AwM_MJaA_mocT6X9WlN5Jeew_eQZmew8B74ACWgmFuATlm_UKMIV7uuoBbRZ-j6txA5r5vTw7mgwCpMv2s/s200/how_to_become_rich_310_f.jpg)
करे आचरण आज से, बुद्धिमान जो होय ।।
वागा होय विवेक की, हो माँ का आशीष ।
गति गौरवमय सर्वदा, वैभव सह अवनीश ।।
रेशम निकिता हर्षिता, अलंकार से साज ।
दिव्यांशी सा दिव्य यह, राजा रानी राज ।।
यह बाग़ मेरे प्यार का !
राजेन्द्र स्वर्णकार
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiCI1s2WJo2Yz8CQStdWJxGCenW62yZV8FBV5Hp8TRpKzlcRywvYRfVknumfsShUlyAJ2P83VmhMK_K39_2swhtNqcyFLZyoTuL52sXH8Yu9-FwIQy4liO5MozZ4Gm7S9NA9iCca0AN3Qc/s320/%E0%A4%AF%E0%A4%B9+%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A5%9A+%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%B0%E0%A5%87+%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%B0+%E0%A4%95%E0%A4%BE+%21.jpg)
वागा होय विवेक की, हो माँ का आशीष ।
गति गौरवमय सर्वदा, वैभव सह अवनीश ।।
रेशम निकिता हर्षिता, अलंकार से साज ।
दिव्यांशी सा दिव्य यह, राजा रानी राज ।।
आज का अंक भी अच्छा लगा।
ReplyDeleteकमप्यूटर डर गया
ReplyDeleteतारीख ठीक कर गया
उल्लू को रविकर
फिर ला गया
सबको यहाँ दिखा गया
रात का पक्षी
किसी को नहीं
भाता है
फिर फिर रविकर
ना जाने क्यों
ला ला के दिखाता है।
भाई-चारा देख के, चारा भी निर्भीक ।
ReplyDeleteमीनारों के शहर से, जंगल दिखता नीक ।।
सटीक और प्रासंगिक .
अब कंक्रीट जो शहर में उग आया ,कैक्टस भी शरमाया .बहुत बढ़िया प्रस्तुति है अनु -टिप्पणियाँ हैं सभी .
वाह!!!!बहुत सुंदर प्रस्तुति,...
ReplyDeleteMY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: गजल.....
ReplyDelete♥
परम आदरणीय रविकर जी
प्रणाम !
आपके आशीर्वचन से मेरा परिवार धन्य हो गया …
मेरी माताजी की ओर से आपको आशीर्वाद !
…और बाकी परिवारजनों सहित मेरी ओर से सादर प्रणाम !
…और, सबकी ओर से आपको बहुत बहुत धन्यवाद !
साथ ही आपकी इस सुंदर पोस्ट के लिए भी बधाई !
शुभकामनाओं-मंगलकामनाओं सहित…
-राजेन्द्र स्वर्णकार
बहुत ख़ूब!!
ReplyDelete....सुन्दर ..
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