Friday, 27 April 2012

उत्सुकता लेकर चले, अंध-खोह की ओर

"नजर न आया वेद कहीं" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')


छेद नाव में होने से भी, कभी नहीं नाविक घबराया    । 
जल-जीवन में गहरे गोते, सदा सफलता सहित लगाया ।
इतना लम्बा अनुभव अपना, नाव किनारे पर आएगी -
इन हाथों पर बड़ा भरोसा, बाधाओं को पार कराया ।।

अगर स्वार्थ के काले चेहरे, थाली में यूँ  छेद करेंगे -
भौंक भौंक के भूखे मरना, किस्मत में उसने लिखवाया ।
नाव दुबारा फिर उतरेगी, पार करेगी सागर खारा ।
रखियेगा पतवार थाम के , डाक्टर फिक्स-इट छेद भराया ।।  
 

 "सायरन बजा देवता नचा"



कहता है यह  सायरन , चला  छापने  नोट  । 
वोट दिया तो क्या हुआ, छुप जा लेकर ओट ।।

टी वी विज्ञापनों का माया जाल और पीने की ललक



उत्सुकता लेकर चले, अंध-खोह की ओर ।
तन मन होते खोखले, यह दिल मांगे मोर ।। 

घृणित मानसिकता खड़ी, सड़े गले से  दुष्ट ।
फाँसी के तख्ते चढ़े, हो मानवता पुष्ट ।।

उम्मीदों का सूरज.

shikha varshney at स्पंदन SPANDAN


सूरज लाली ऊष्णता, से जीवन उम्मीद ।
तन मन ऊर्जा प्राप्त कर, सदा मनाओ  ईद ।।

व्यंग्य: है कोई माई का लाल?

संगीता तोमर Sangeeta Tomar at नुक्कड़


चोर चोर मौसेरे भाई. हुई कहावत बड़ी पुरानी  |
सम्बन्ध सगा यह सबसे पक्का, झूठ कहूँ मर जाये नानी ।
जिसने आर्डर दिया दिलाया, जो लाया झेले गुमनामी ।

पुर्जे पुर्जे हुआ कलेजा, हुई मशिनिया बड़ी सयानी ।
सौ प्रतिशत का छुआ आंकडा, होने लगी बड़ी बदनामी ।
कम्बख्तन को पडा मिटाना, इसीलिए भैया जी दानी ।।

नदी और समय

अरुण चन्द्र रॉय at सरोकार
 नदी बाँध से बँधे पर, बहता समय अबाध ।
फिर भी दोनों में दिखे, चंचल साम्य अगाध ।।


 

4 comments:

  1. बेहतरीन लिंक्‍स ।

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  2. रविकर तड़का लगा कर लगा कर
    लि़क को लिंक पर ले जाता है
    उल्लूक पूछ नहीं उससे पाता है
    भाई कबाड़ रोज क्यों तू उठाता है?

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  3. वाह!!!!बहुत सुंदर प्रस्तुति,..प्रभावी लिंक्स ..

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