मैंने ऐसे मनाया पृथ्वी प्रहर,बोले तो अर्थ आवर
शोषण करते धरा का, रहे पोषते दैत ।
प्राय: विकसित देश हैं, अजगर मगर करैत ।
अजगर मगर करैत, निगलते फाड़ें काटें ।
चले दुरंगी चाल, लड़ावैं हड़पैं बाँटें ।
संसाधन सुख भोग, व्यर्थ करते उदघोषण ।
बड़ा चार सौ बीस, बढ़ाता जाता शोषण ।।
माता पर विश्वास ही, भारत माँ की शान ।
संस्कार अक्षुन्न रहें, माँ लेती जब ठान ।
माँ लेती जब ठान, आन पर स्वाहा होना ।
पूनम का ही चाँद, ग्रहण से महिमा खोना ।
बेटी माँ का रूप, शील गुण उसपर जाता ।
नारी शक्ति स्वरूप, सुधारो दुर्गा माता ।।
इ'स्टेटस सिम्बल बना, नवधनाढ्य का एक ।
मस्त दुकानें चल रहीं, बाबा बैठ अनेक ।
बाबा बैठ अनेक, दलाली करते आधे ।
BALAJI
सहमी सी जिंदगी !
१) कुत्ते मरते हैं कहाँ, करते नोच-खसोट |
आत्म-हत्या वो कर गया, खाई होगी चोट ||
२) ईश्वर दे शक्ति उन्हें, मिटे समस्या क्रूर |
सही सलामत जाय घर, नहीं मृत्यु थी दूर ||
३) कभी कभी निर्दोष भी, फंसते होंय शिकार |
लेकिन गलती है अगर, फिर तो है धिक्कार | |
आत्म-हत्या वो कर गया, खाई होगी चोट ||
२) ईश्वर दे शक्ति उन्हें, मिटे समस्या क्रूर |
सही सलामत जाय घर, नहीं मृत्यु थी दूर ||
३) कभी कभी निर्दोष भी, फंसते होंय शिकार |
लेकिन गलती है अगर, फिर तो है धिक्कार | |
"रपट-विधानसभाध्यक्ष खटीमा पधारे" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
आज रामनवमी के अवसर पर
मेरे नगर खटीमा में
मेरे नगर खटीमा में
उत्तराखण्ड के विधानसभाध्यक्ष
मा. गोविन्द सिंह कुंजवाल पधारे!
हिस्सा शासन का रहे, गुरुवर सालो-साल ।
शुभ कर्मों ने था किया, सेवा मदद धमाल ।
सेवा मदद धमाल, कभी न जाते खाली ।
हो सहाय हर हाल, हमारी खप्पर वाली ।
रविकर का अनुमान, सुनेगा पिछला किस्सा ।
गुरु गुणों की खान, बने शासन का हिस्सा ।
पूनम युग और बेटियों को संस्कार -A SHORT STORY
भारतीय नारीमाता पर विश्वास ही, भारत माँ की शान ।
संस्कार अक्षुन्न रहें, माँ लेती जब ठान ।
माँ लेती जब ठान, आन पर स्वाहा होना ।
पूनम का ही चाँद, ग्रहण से महिमा खोना ।
बेटी माँ का रूप, शील गुण उसपर जाता ।
नारी शक्ति स्वरूप, सुधारो दुर्गा माता ।।
निर्मल बाबा का दरबार बोले तो लाफ्टर शो ...
महेन्द्र श्रीवास्तव at आधा सच..इ'स्टेटस सिम्बल बना, नवधनाढ्य का एक ।
मस्त दुकानें चल रहीं, बाबा बैठ अनेक ।
बाबा बैठ अनेक, दलाली करते आधे ।
फँसते ग्राहक नए, सभी को बाबा साधे ।
सपना मिडिल क्लास, देखता कैसे कैसे ।
चाहत बने अमीर, लुटा के अपने पैसे ।।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteआशु के ब्लॉग पर मेरे लिए आपकी टिप्पणी के बावत-
भाई रविकर जी! यह तो डॉ. साहब की क़द्रदानी है नहीं तो बकौल मियां ग़ालिब-
हमको मालूम है जन्नत की हक़ीक़त वर्ना,
दिल के बहलाने को ग़ालिब ये ख़्याल अच्छा है।
हर बार की तरह अद्भुत ...!
ReplyDeleteबहुत सही..सुन्दर प्रस्तुति..
ReplyDeleteबहुत बढ़िया सुंदर प्रस्तुति,....
ReplyDeleteMY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: मै तेरा घर बसाने आई हूँ...
सहमी सी जिंदगी !
ReplyDelete१) कुत्ते मरते हैं कहाँ, करते नोच-खसोट |
आत्म-हत्या वो कर गया, खाई होगी चोट ||
बालाजी की घटना पर सही अनु -टिपण्णी ,नेता जित्ताकुत्ताये हैं ,कुत्ता उत्ता शर्माए है .शाष्त्री जी को हमारी भी शुभकामनाएं राज्य सभा में आयें ब्लोगर बिरादरी का मान बढायें. .