"आज छुट्टी है"
अलीगढ़ी ताला लगे, चाहे चुनो दिवार ।
रविकर के परवेश हित, काफी एक दरार ।
काफी एक दरार, लगा खिड़की दरवाजा ।
काले परदे साज, सुनेगा गाना बाजा ।
माना है रविवार, मगर ना करो बवाला ।
हम है पक्के यार, तोड़कर आयें ताला ।।
प्रेरक प्रसंग-33 : बरबादी की वेदना
राजभाषा हिंदी
गांधी जी की वेदना, साहब का सत्कार ।
आधी आबादी जहाँ, है भूखी लाचार ।
भूखे खांय हजार, फेंक देते हैं जितना ।
प्रासंगिक यह लेख, बढ़ी है पुरकस व्याधी ।
बर्बादी ले रोक, समझ जो बोले गांधी ।।
ओहायो में सरस्वती दर्शन
An Indian in Pittsburgh - पिट्सबर्ग में एक भारतीयपंडित जी की वन्दना, दीदी को परनाम ।
मन को रोमांचित करें, ये दृष्टांत तमाम ।
ये दृष्टांत तमाम, राग-अनुराग भरे हैं ।
सिनसिनाटी दर्शन, लगे प्रत्यक्ष करे है ।
बढे सनातन धर्म, विश्व में महिमा-मंडित ।
पर्वों का सन्देश, सुनाएँ ज्ञानी पंडित ।।
अपने प्रिय खातिर यहाँ, रखे करेज निकाल ।
प्रियतम के इ'स्पर्श से, बांसों मिले उछाल ।
बांसों मिले उछाल, कलेजे सांप लोटता ।
अमरीकियों की बनिस्पत कमज़ोर हैं भारतीयों के दिल
कबीरा खडा़ बाज़ार मेंअपने प्रिय खातिर यहाँ, रखे करेज निकाल ।
प्रियतम के इ'स्पर्श से, बांसों मिले उछाल ।
बांसों मिले उछाल, कलेजे सांप लोटता ।
पत्थर सरिस करेज, कभी सौ टूक टूटता ।
रविकर पाक करेज, कलेजा ठंढा करना ।
देशी दिल कमजोर, मगर जाने ना डरना ।।
रेत नदी की है रखे, पुरखों के पद चिन्ह ।
नव-चिन्हों से वे मगर, लगते इकदम भिन्न ।
लगते इकदम भिन्न, यहाँ श्रद्धा ना दीखे ।
"नदी के रेत पर" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
रेत नदी की है रखे, पुरखों के पद चिन्ह ।
नव-चिन्हों से वे मगर, लगते इकदम भिन्न ।
लगते इकदम भिन्न, यहाँ श्रद्धा ना दीखे ।
खुदगर्जी संलिप्त, युवा मस्ती में चीखे ।
उनको नहीं मलाल, समस्या इसी सदी की ।
पर्यावरण बिगाड़, बिगाड़े रेत नदी की ।।
़़़़़़
ReplyDeleteब्लागर रविकर मुझको पता चला
कभी जादूगर भी हो जाता है
रविवार को उल्लू क्या लिखेगा
शनिवार को ही पता लगाता है।
>>>>
ReplyDeleteहम तो सोचे थे आप हमें भी सिखायेंगे
22 की पोस्ट 21 को कैसे चिपकायेंगे
बैथे थे इंतजार में तरीका आप बतायेंगे
किसे पता था आभार कह खिसक जायेंगे ।
गधा तनिक वैशाख में , जाय यार मुटाय |
Deleteघडी घडी बिगड़े घडी, पूरा दिन खा जाय ||
घडी का दोष है कम्पू की ||
बहुत सुंदर अंदाज़.
ReplyDeleteरचना से ज्यादा रोचक उनकी टिप्पणियां होती हैं।
ReplyDeleteबेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति !
ReplyDeleteMY RECENT POST...काव्यान्जलि ...:गजल...
आपका श्रम सराहनीय है!
ReplyDelete