Sunday 1 April 2012

बढ़िया वेला पाय, ठहरते सदा भगोड़े


सूली पर सिर्फ और सिर्फ तुम्हें ही चढ़ना है ............


 
दृष्टि-दोष से त्रस्त है मानव अभिनव ज्ञान ।
चौदह चश्मे चक्षु पर, चतुर चोर बैमान । 
चतुर चोर बैमान , स्वार्थी क्रूर द्विरेतस ।
बाल तरुण हो वृद्ध , सत्य भी देखे टस मस ।
दृष्टि कोण हर बार , बदलना गर्व घोष है ।
करे स्वयं पर वार बावला दृष्टि दोष है ।।
 
धर्म अपना हैं निभाती चीज सारी -
आदमी केवल बदलता जा रहा |

क़त्ल करना धर्म उनका है अगर -
मकतूल क्योंकर मर्सिया फिर गा रहा |

इक बार तो नजदीक जाओ बेखबर
शर्तिया बोलोगे कातिल भा रहा |

जिस्म के छोटे बड़े टुकड़े करे-
फेंक देता यकबयक बस कलेजा खा रहा |

पूंछ कर देखो जरा उस हुश्न से-
स्वाद कितना किस कदर है आ रहा |

मत्स्य-कन्या अप्सरा या धूर्त नागिन, 
हीरिये फिर नाम जग में छा रहा ।।
होते जब अनुकूल सब, सरपट दौड़ लगाय ।
 सम्मुख हो प्रतिकूलता, धीरे धीरे जाय । 
 धीरे धीरे जाय , धर्म अपना न छोड़े । 
बढ़िया वेला पाय, ठहरते सदा भगोड़े । 
तेरा हूँ पाबन्द, काल अन्तिम में सोते । 
समय पाय ना ठहर, जहाँ में मेरे होते ??
धारा-प्रवाह गुरु गाते हैं ,
सस्नेह अर्थ समझाते हैं ।
सुख में तो सब जी लेते 
दुःख में वे राह दिखाते हैं  ।

गंभीर धीर गुणवान प्रभु-
अनुभव को शीश झुकाते हैं ।
दुःख का विष-गरल पियो ऐसे-
शिव-शंकर ज्यों पी जाते हैं ।।
(३)
Naaz
दो राहे पर चाँदनी, चकित थकित सा सोम ।
  सूर्य धरा के फेर से, कैसे निपटूं व्योम ??

कैसे निपटूं व्योम, धरा का टुकड़ा प्यारा ।
रहा अनवरत घूम, सूर्य का मिला सहारा ।

रविकर का एहसान, जगत सारा जो चाहे ।
बड़ा धरा का मान, खड़ा बेबस दोराहे ।।
(४)
मुद्राएँ या भंगिमा, चंचल चित्त प्रदर्श ।
उत्तेजित क्रोधित बदन, चाहे होवे हर्ष ।

चाहे होवे हर्ष, वर्ष भर भरे कुलांचें  ।
तनिक हुआ आकर्ष, रोज वो सिर पर नाचें ।

रविकर साला का' न्ट , आप की हो ली होली ।
खुशियाँ सबको बाँट, डाल के भँग की गोली ।।

(५)
अरुण कुमार निगम (हिंदी कवितायेँ)
दिल के जोड़े से कहाँ, कृपण करेज जुड़ाय ।
सौ फीसद हो मामला, जाकर तभी अघाय । 

जाकर तभी अघाय, सीखना जारी रखिये ।
दर्दो-गम आनन्द, मस्त तैयारी रखिये ।

आई ना अलसाय, आईना क्यूँकर तोड़े ।
आएगी तड़पाय, बनेंगे दिल के जोड़े ।।
(६)
तीर्थ यात्रा न सही, सही यात्रा पीर ।
काशी में क्या त्यागना, बूढ़ा व्यर्थ शरीर ।

बूढा व्यर्थ शरीर, काम न किसी काज का ।
बढे दवा का खर्च, शत्रू  फल अनाज का ।

मैया मथुरा माय, मर मेहरा मेहरारू ।
वृद्धाश्रम भेज, सनक सुत *साला दारू।।
*घर / शाळा 


कासे कहूँ?
सारे दुःख की जड़ यही, रखें याद संजोय |
समय घाव न भर सका, आँखे रहें भिगोय ।


आँखे रहें भिगोय, नहीं मांगें छुटकारा  ।
सीमा में चुपचाप, मौन ही नाम पुकारा ।

रविकर पहला प्यार, हमेशा हृदय पुकारे ।
दिख जाये इक बार, मिटें दुःख मेरे सारे ।।



C


चीनी ड्रैगन लीलता, त्रिविष्टप संसार ।
दैव-शक्ति को पड़ेगा, पाना इससे पार ।


पाना इससे पार, मरे न गन से ड्रैगन ।
देखेगा गरनाल, तभी यह काँपे गन-गन ।


भरा पूर्ण घट-पाप,  दूंढ़ जग चाल महीनी ।
होय तभी यह  साफ़, बड़ी कडुवी यह चीनी ।।


गायत्री मंत्र रहस्य भाग 3 The mystery of Gayatri Mantra 3

 इस लेख का पिछला भाग यहां पढ़ें-
http://vedquran.blogspot.in/2012/03/3-mystery-of-gayatri-mantra-3.html

टंगड़ी मारे दुष्ट जन, सज्जन गिर गिर जाय ।
विद्वानों की बात को, दो दद्दा विसराय ।


 दो दद्दा विसराय, राय आस्था पर देना ।
रविकर नहीं सुहाय, नाव बालू में खेना ।


मिले सुफल मन दुग्ध, गाय हो चाहे लंगड़ी । 
वन्दनीय अति शुद्ध, मार ना "सर-मा" टंगड़ी ।।   






E

डॉ.  अनवर  जमाल  खान 
सबसे सच्चा है वही,  उससे बड़ा न कोय ।
 बादशाह के नूर से, चम्-चम् जीवन होय ।


चम्-चम् जीवन होय, बंदगी नियमित करिए ।
तन मन अपना खोय, सामने माथा धरिये ।

सबसे सच्चा दोस्त, समझ ले नादाँ बच्चा ।
कण कण में मौजूद, बादशाह रविकर सच्चा ।।
F


 नन्हे सुमन
बाबा को प्यारा लगे, मूल से ज्यादा सूद ।
एह्सासें फिर से वही, बालक रूप वजूद ।


 बालक रूप वजूद, मिली मन बाल सुन्दरी
संस्कार मजबूत, चढाते लाल चूनरी ।


मेला सर्कस देख,  चाट भी जमके चाबा ।
करें खटीमा मौज, साथ में दादी बाबा ।।


G
  रश्मि प्रभा...   वटवृक्ष पर   


नहीं  घोंसले में  लगा, मन को होता क्षोभ ।
तूफानों से डर रहा, या सजने का लोभ ।   


या सजने का लोभ, नीड़ की भीड़ गुमाए ।
जीवन का अस्तित्व, व्यर्थ ऐसे भी जाए ।

तिनके तनिक उबार,  डूबते  जहाँ  हौसले  ।
तिनके तिनके साथ, जरूरत नहीं घोंसले ।।




posted by Maheshwari kaneri at अभिव्यंजना 
रिश्ते रिसियाते रहे, हिरदय हाट बिकाय ।
परिचित बेगाने हुए, ख़ुशी हेतु भरमाय ।

ख़ुशी हेतु भरमाय, नहीं अंतर-मन देखा।
धर्म कर्म व्यवसाय, बदल ब्रह्मा का लेखा । 

  दीदी का उपदेश, सरल सा चलो समझते ।
दिल में रखे सहेज, कीमती पावन रिश्ते ।।
posted by RITU at कलमदान -
कलम माँगती दान है, कान्हा दया दिखाव ।
ऋतु आई है दीजिये, नव पल्लव की छाँव ।

नव पल्लव की छाँव, ध्यान का  द्योतक पीपल।
फिर से गोकुल गाँव, पाँव हो जाएँ चंचल ।

छेड़ो बंशी तान, चुनरिया प्रीत उढ़ाओ ।
रस्ता होवे पार, प्रभु उस नाव चढ़ाओ ।।




J
 क्यों फूलती है सांस?
साँसत में न जान हो, रखो साँस महफूज  ।
सूजे ब्रोंकाइल नली, गए फेफड़े सूज ।


 गए फेफड़े सूज, चिलम बीडी दम हुक्का ।
प्राण वायु घट जाय, लगे गर्दन में धक्का ।


रंगे हाथ फँस जाय, करे या धूर्त सियासत ।
उलटी साँस भराय, भेज दे जब *घर-साँसत ।
* काल-कोठरी
दर्शन जीवन का लिए, गीता-गीत-सँदेश |
अगर कुरेदे दिन बुरे, बाढ़े रोग-कलेश |

बाढ़े रोग-कलेश, आज को जीते जाओ |
जीते रविकर रेस, भूत-भावी विसराओ |


मध्यम चिंता-मग्न, जान जोखिम में डाले | |
दोनों ग्यानी मूर्ख, करें मस्ती मत वाले |

 

M


राखा जंगल का सदा, जानवरों ने मान |
भंडारण करते नहीं, भूख लगे लें जान |


भूख लगे लें जान, नहीं थाना विद्यालय | 
भरे पेट पर व्यर्थ, शरारत झगड़ा टालय |


सुन रे तिकड़म बाज, मिटा तू  धरती खा-खा |
शीघ्र गिरेगी गाज, बचा तो हमने राखा |

N
posted by रवीन्द्र प्रभात at वटवृक्ष -

ये लहरें ही हैं असल, अन्तर्घट-हिल्लोल |




नेह-कंकरी करे नित, तन मन में किल्लोल ||


O

posted by मनोज कुमार at विचार

धर्म-ग्रन्थ पर आस्था, निष्ठा ज्ञान करम |


केवल हिरदय शुद्धता, सुमिरो ईश परम |

सुमिरो ईश परम, साध ले सीढ़ी सातों |


हो जाओ  इरफ़ान, नूर में उसके मातो |

सद-दर्शन पहचान, सत्य अनुभव निज-अंतर |


यही नशा ले जाय, बेखुदी तक हे रविकर ||


7 comments:

  1. बाप रे! इत्ते ढेर सारे लिंक और हरेक पर सुंदर छंद!! कमाल करते हैं आप भी।

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  2. श्रीमान् जी आपके इस पोस्ट का लिंक पुनः चर्चामंच पर डाल दिया गया है अब वहां से यह खुलेगा। सोमवारीय चर्चामंच देखिएगा कल का

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  3. भाईसाहब अभी आपका ही गुण गायन हो रहा था .एक दिन में आप कितना काम कर लेतें हैं .काम के ब्लोगिया घंटों के आपने नए प्रतिमान घड़ें हैं .बढ़िया पोस्ट शेष ब्लोगों का मेक अप करती हुई .

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  4. बेहतरीन दोहे शब्दों व भावों का सुन्दर समन्वय करते यथेष्ट काव्यमयी टिप्पणियां ,अद्भुत व रोचक ...बधाईयाँ जी /

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  5. भू ,धरा ,व्यापक फलक पर छा गए ,

    देखो रविकर आ गए .,

    चिठ्ठा जगत पर छा गए .

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  6. सुंदर लिंक्स मिल गए....
    सादर आभार

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