Wednesday, 25 April 2012

बेचैनी में ख़ास है, अपनेपन के सैन

दिल जार जार है

विषम परिस्थित में अगर, भूले रिश्ते-नात ।  
जिन्दा रहने के लिए, गर करता आघात ।

गर करता आघात, क्षमा उसको कर देते ।
पर उनका क्या मित्र, प्राण जो यूँ ही लेते ।

भरे पेट का शौक, तड़पता प्राणी ताकें ।
दुष्कर्मी बेखौफ, मौज से पाचक फांके ।।

खुशियों का खज़ाना.


आपाधापी जिंदगी, फुर्सत भी बेचैन।
बेचैनी में ख़ास है, अपनेपन के सैन ।

अपनेपन के सैन, बैन प्रियतम के प्यारे ।
सखियों के उपहार, खोलकर अगर निहारे ।

पा खुशियों का कोष, ख़ुशी तन-मन में व्यापी ।
नई ऊर्जा पाय, करे फिर आपाधापी ।।

उभार की सनक बनाम बिकने की ललक !

संतोष त्रिवेदी
बैसवारी baiswari
     
भौंडी हरकत कर रहे, सुविधा-भोगी लोग ।
गुणवत्ता को छोड़कर, निकृष्ट अधम प्रयोग । 


निकृष्ट अधम प्रयोग, देख व्यापारिक खतरा ।
दें अश्लील दलील, पृष्ट पर पल-पल पसरा ।

कब बाबा का भक्त, बने कब सत्ता-लौंडी ।
प्रामाणिकता ख़त्म,  करे अब हरकत भौंडी ।।


हमारी सरकार !


कौवा मोती खा रहा, दाना तो है खीज ।
वंचित वंचित ही रहे, ताकत की तदबीज ।

ताकत की तदबीज, चतुर सप्लाई सिस्टम । 
कौआ धूर्त दलाल, झपट ले सब कुछ हरदम ।

काँव-काँव माहौल, जमाता कुर्सी-किस्सा ।
  है अपनी सरकार, लूट ले सबका हिस्सा ।। 

7 comments:

  1. बेहतरीन प्रस्‍तुति।

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  2. वाह!!!!बहुत सुंदर प्रस्तुति,..

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  3. वाह! आपके दिये दूसरे लिंक भी पढ़े। पोस्ट के मूल भाव के अनुरूप आपकी यह आशु कविताई गज़ब ढा रही है। यह काम आपके अलावा कोई दूसरा नहीं कर सकता।

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  4. आपका जवाब नही रविकर जी!
    --
    बहुत सुन्दर और सार्थक अभिव्यक्ति...!

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  5. सदा की तरह उत्तम!

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  6. कब बाबा का भक्त, बने कब सत्ता-लौंडी ।
    प्रामाणिकता ख़त्म, करे अब हरकत भौंडी ।।

    सत्ता लौंडी प्रयोग पर रीझ गए हम .लौंडी तो बहुत अच्छी होतीं हैं कर्म समर्पित .
    कृपया यहाँ भी नजर डालें -
    टी वी विज्ञापनों का माया जाल और पीने की ललक
    http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/2012/04/blog-post_6907.html

    कोणार्क सम्पूर्ण चिकित्सा तंत्र -- भाग चार .

    शुक्रिया आपकी द्रुत और उत्साहवर्धक टिप्पणियों का .

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