Sunday 6 October 2013

खोवे रविकर होश, पाय के दोयम दर्जा-



 SACCHAI 

 कर्जा खाए पार्टियाँ, रही चुकाय उधार |
मंत्री गृह-मंत्री कभी, कभी सकल सरकार |

कभी सकल सरकार, तुम्हे दे सकल संपदा |
तुम ही तारण-हार, हरोगे तुम ही विपदा |

खोवे रविकर होश, पाय के दोयम दर्जा |
हक़ अव्वल निर्दोष, उठा तू मोटा कर्जा |


उठाओ कुदाल !

Amrita Tanmay 

करती आवाह्न दिखे, करती तन्मय कर्म |
जीवन यात्रा क्यूँ रुके, प्रेषित गीता मर्म |

प्रेषित गीता मर्म, धर्म अपना अपनाओ |
खिले धूप से चर्म, हाथ फावड़ा उठाओ |

हल से हल हो प्रश्न, छोड़ मत धरती परती |
मनें रोज ही जश्न, जाति जब कोशिश करती ||


कच कच कच्छ कछाड, करे क्या मोदी मोरा-

History 
मोरारारि कांग्रेस में, कांग्रेसी मोरार |
शास्त्री जी पी एम् बने, पहले लग्गी मार |

पहले लग्गी मार, गया गुजरा गुजराती |
कामराज का हाथ, इंदिरा जी फिर आती |

पी एम् से गुजरात, नहीं ना नाता जोरा |
कच कच कच्छ कछाड, करे क्या मोदी मोरा ||

शीघ्र कायदा सीख, गया "रविकर" धमकाया-कार्टूनिष्ट :-श्री विनय कुल



कार्टूनिष्ट :- ओ बी ओ सदस्य श्री विनय कुल




आया फाँकी मार के, ऑफिस का तो नाम |
जल्दी कर बरतन सफा, रफा दफा कर काम |

रफा दफा कर काम , फटाफट डिनर बनाओ |
मेरे सिर पर बाम, किन्तु पहले मल जाओ |

शीघ्र कायदा सीख, गया "रविकर" धमकाया |
अलकायदा बुलाय, अन्यथा माली आया ||

मर्यादा पुरुषोत्तम राम की सगी बहन : भगवती शांता

 कुंडली 
रविकर नीमर नीमटर, वन्दे हनुमत नाँह ।
विषद विषय पर थामती, कलम वापुरी बाँह ।

कलम वापुरी बाँह, राह दिखलाओ स्वामी ।

शांता का दृष्टांत, मिले नहिं अन्तर्यामी ।

बहन राम की श्रेष्ठ, उपेक्षित त्रेता द्वापर ।
रचवा दो शुभ-काव्य, क्षमा मांगे अघ-रविकर ।
नीमटर=किसी विद्या को कम जानने वाला 
नीमर=कमजोर ) 


मुर्दे हुवे मुरीद, डराये अलग-कायदा-

Untitled

PD SHARMA, 09414657511 (EX. . VICE PRESIDENT OF B. J. P. CHUNAV VISHLESHAN and SANKHYKI PRKOSHTH (RAJASTHAN )SOCIAL WORKER,Distt. Organiser of PUNJABI WELFARE SOCIETY,Suratgarh (RAJ.) 
(1)





वायदा करते जाइये, भली करें ना राम |
हक़ नाहक दे मत उन्हें, सकते छीन तमाम |

सकते छीन तमाम, दुर्ग भी सकें भेद वे |
वोट बैंक मजबूत, तभी दल चाटें तलवे |

मुर्दे हुवे मुरीद, डराये अलग-कायदा |
पलकों पर बैठाय, करे लीडरी वायदा ||

उमड़ घुमड़ के बादल बरसे, फिर भी धरती तरसे |
ताजा बासी जो भी मिलता, पा रविकर मन हरसे-


कार्टून :- कवि‍ता तेरे खेल नि‍राले
My Image Kajal Kumar 


भूसा भरा दिमाग में, रविकर फांके धूल |
पढ़िए कुण्डलियाँ मगर, कार्टून करूं क़ुबूल |

कार्टून करूं क़ुबूल, मस्त यह दाँव सिखाया |
काजल नयनन डाल, आज बच्चा गुर्राया |

दिया कवित्त सुनाय, खाय के दो ठो घूसा |
हुआ शत्रु बेहोश, भरा था किंवा भूसा ||




3 comments:

  1. बेहतरीन लिंक रवि साहब
    आपके द्वारा लिखी गई लाइनों ने दिल जीत लिया
    कर्जा खाए पार्टियाँ, रही चुकाय उधार |
    मंत्री गृह-मंत्री कभी, कभी सकल सरकार |


    कभी सकल सरकार, तुम्हे दे सकल संपदा |
    तुम ही तारण-हार, हरोगे तुम ही विपदा |


    खोवे रविकर होश, पाय के दोयम दर्जा |
    हक़ अव्वल निर्दोष, उठा तू मोटा कर्जा |

    वाह !

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  2. वाह ! होश तो सबका खोता है ..सुन्दर संयोजन सूत्रों का..

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