Sunday, 2 September 2012

परिकल्पना समारोह-अंतिम सत्र : नव-मीडिया दशा, दिशा एवं दृष्टि पर रविकर

 
(1)
  D N A, टीकाकरण, सम्यक आविष्कार | 
गाड-पार्टिकल सरिस ही, असरदार  संचार |
असरदार  संचार, सरस मानव का जीवन |
दिन प्रति दिन का सार, करे पक्का गठबंधन |
नश्वर जीवन आज, लगे इसके बिन  फीका |
जयतु तार बेतार, करे क्या कोई  टीका--

 (2)
मेनी टू मेनी  हुआ,  नव मीडिया दुरुस्त ।
नैनो सा चंचल चपल, कालजीत सा चुस्त ।
कालजीत सा चुस्त, दशा पौगंड दिखाया ।
गर्भ जन्म फिर बाल्य, सफल कौमार्य बिताया ।
बीत रहा पौगंड, मस्त यौवन की बारी ।
रखे मीडिया होश, छाय ना जाय खुमारी ।।

 (3)
दसों दिशा में छा रहा, अविरल सरस प्रवाह ।
सकल घटक अनुभव करें, जब अदम्य उत्साह ।
जब अदम्य उत्साह, राह में रहजन लूटे ।
फैलाए अफवाह, पलायन धंधा छूटे ।
किया सरल संचार, हमेशा मानव जीवन ।
दुरुपयोग कर दुष्ट, मान का करते मर्दन ।।

 (4)
दिव्य दृष्टि नव-मीडिया, दर्शन कक्षा श्रेष्ठ ।
शुद्ध चित्त से आकलन, प्रस्तुत विवरण ठेठ ।
प्रस्तुत विवरण ठेठ, मिलावट नहीं करे है ।
*जैसी चादर दीन्ह, उतारे शुद्ध धरे है ।
निरहू-घिरहू फिल्म, खेल सत्ता संसाधन ।
शिक्षा सेहत ढोंग, आपदा दंगा चिंतन ।।

 (5)
प्राकृतिक घटना विविध, इंटरनेट संचार ।
साइबर कल्चर से जुड़ा, आन-लइन व्यवहार ।
आन-लइन व्यवहार, मस्त ब्लागिंग भी शामिल ।
मल्टी-प्लेयर गेम, जमाये नेट पर महफ़िल ।
नव-मीडिया जुड़ाव, किन्तु कल्चर से ज्यादा ।
दूरदर्श-दृष्टांत, रीतियों से भी वादा ।।

(6)
वितरण करे नुमाइशी, नव-कम्पू तकनीक ।
सांस्कृतिक यह विम्ब है, नव मीडिया सटीक ।
नव मीडिया सटीक, तेज है अच्छा ख़ासा ।
वर्ष गुजरते देर, बदल जाती परिभाषा ।
इक प्रस्तुति के विविध, बना लें लाखों उत्था ।
सॉफ्टवियर संस्कृति, हुवे यूँ गुत्थम-गुत्था ।। 

(7)
गति बढती अवकलन की, बढे सौन्दर्य साज ।
नवल मिडिया करे नित, अलंकरण पर नाज ।
अलंकरण पर नाज, मीडिया मेटा-मीडिया ।
विषय-वस्तु है एक, सैकड़ों नए आइडिया ।
लाइफ-लाइन-रेल, नहीं पटरी से उतरे ।
हो इंजन न फेल, बड़े भारी हैं खतरे ।। 

 
 यह अलग से-


ब्लॉगर अल-बल बोलता, बला-अगर बकवाय ।
पक्का श्रोता टायपिस्ट, आये खाये जाय ।
आये खाये जाय, सर्प सा सीध सयाना ।
कहे गधे को बाप, कुंडली मार बकाना ।
अपनी अपनी सुना, भगे कवि जौ-जौ आगर  ।
पर रविकर व्यक्तव्य, सुने न लम्पट ब्लॉगर ||
(धीरेन्द्र जी के ब्लॉग से लिया )
नुक्कड़ के सौजन्य से  

8 comments:

  1. ...अगले की तैयारी करो !

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  2. काश आपके द्वारा परिकल्पना मंच से सुनने को मिलता,,,,,

    RECENT POST-परिकल्पना सम्मान समारोह की झलकियाँ,

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    1. करी चिरौरी मिन्नतें, पर रवीन्द्र रजनीश |
      राहु-केतु की उसी दिन, निकली उनपर रीष |
      निकली उनपर रीष, बाम-पंथी की हड़-बड़ |
      हंगल शोक सभा, अतिथियों ने की गड़-बड़ |
      अपनी अपनी सुना, भगे कवि जौ-जौ आगर ।
      पर रविकर व्यक्तव्य, सुने न लम्पट ब्लॉगर ||

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  3. बहुत दिनों बाद दिखा चांद
    चांदनी छुपा रहा था
    रविकर गया कहाँ पता
    नहीं चल पा रहा था !
    स्वागत है !

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  4. मुबारक हो सम्मान ..

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  5. बधाई इस बेहतरीन काव्यात्मक प्रस्तुति के लिए लखनऊ सम्मान के लिए .


    सोमवार, 3 सितम्बर 2012
    स्त्री -पुरुष दोनों के लिए ही ज़रूरी है हाइपरटेंशन को जानना
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