Tuesday, 18 September 2012

ऊंचा ऊंचा उड़े, नहीं धरती से ममता-




ममता कम होती गई, रही सही भी जाय |
मोहन की जसुमति खफा, मिले दूसरी धाय |

मिले दूसरी धाय, देवकी तो है जिन्दा |
टाल अलाय बलाय, उड़ेगा अभी परिन्दा |

मँहगाई गठजोड़, गगन में हरदम रमता |
ऊंचा ऊंचा उड़े, नहीं धरती से ममता ||


 तीन दिन पहले 

बेचेंगे हर हाल में, बचा हुआ सब माल |
अचर सचर
दो साल में, खलें खींच खलु खाल | 

खलें खींच खलु खाल, चाल सी टी दुहराया  |
लेकिन अबकी ढाल, मुलायम ममता माया |

सन चौदह तक होय, तेरही बहुत खलेगी |
जाए न सरकार, दूर तक बड़ी चलेगी ||

लेकिन दर्पण अगर, दिखा दो इसको कोई-

मगन मना मानव मुआ, याद्दाश्त कमजोर |
लप्पड़ थप्पड़ छड़ी अब, चाबुक रहा खखोर |

चाबुक रहा खखोर, बड़ी यह चमड़ी मोटी  |
न कसाब न गुरू, घुटाला हाला घोटी |

लेकिन दर्पण अगर, दिखा दो इसको कोई |
भौंक भौंक मर जाय, लाश पर लज्जा रोई ||

कॉग्रेस का हाथ किसके साथ........
 

हाथ हथौड़ा है सखे, भाग सके तो भाग |
खुली खदानें हैं पड़ी, भस्म कोयला आग |
भस्म कोयला आग, गैस से भरी खदाने |
कर खुदरा व्यापार, कमीशन इसी मुहाने |
शीश घुटाले घड़े, बड़ा चिकना अति भौंड़ा |
कर ले फिंगर क्रास, इटलियन हाथ हथौड़ा ||

गधे ज़ाफ़रान में कूद रहे है.........सिकन्दर खान

yashoda agrawal  
लोगों के जबसे बने, गधे सगे से बाप ।
मौज कर रहे गधे सब, घोड़े रस्ता नाप ।
घोड़े रस्ता नाप, कोयला ही है सोना ।
सारे घोड़े बेंच, पड़ा सोना मत रोना ।  
रविकर मिटा वजूद, सूद का झंझट भोगो ।
बेचो खेत जमीर, खरीदो तोपें लोगों ।

10 comments:

  1. एस .ऍम. भाई सबसे पहले मुबाराक बाद ममता जी के नंगी सरकार से बाहर आने के लिए .इस अपडेट के लिए .और अब सुनो आज का विचार -

    "नंग बड़े परमेश्वर से " ये भाई साहब यूं ही नहीं कहा गया है नंगे से तो खुदा भी डरता है .वह भी कहता है अब क्या करें इस नंगी सरकार का .नक- कटा और नंगा एक ही मानसिकता लिए होतें हैं ,जो होना था ,हो चुका अब और क्या बिगाड़ सकता है हमारा कोई .नाक कटनी थी कट गई .नकटी सरकार का अब और कोई क्या बिगाड़ लेगा ?

    जहां तक ममता और मुलायम साहब का सवाल है यह सब नूरा कुश्ती है .लोगों को खामखा उलझा रखा है .

    फिर भी एक बात तय है एस .ऍम. जल्दी कुछ होगा .

    इधर इसाइयत और इस्लाम के बीच भी कटुता बढती जा रही है .अफगानिस्तान में अमरीकी तैयारों को गिराया जाना नए गुल खिलाये बिना नहीं रहेगा .वैसे भी यह अमरीका में चुनावी साल है .

    बिला -शक जो कौम तर्क से घबराती है उसे कोई ठीक नहीं कर सकता लेकिन ठोक ज़रूर सकता है .

    फतवा वहां से शुरू होता है जहां तर्क का अंत हो जाता है बहस की तो इस्लाम में गुंजाइश ही नहीं है कोई बहस नहीं कुरआन और मोहम्मद पर .इसलिए जो बहस में नहीं उतरना चाहता है वह फतवा ज़ारी कर देता है .

    समाज और राजनीति दोनों में अब फतवे का युग आ गया है . आ रहा है बहुत तेज़ी से .

    भारत को भी जल्दी कुछ सोचना करना होगा .इसाइयत -इस्लामी भिडंत के छींटे हम पर पड़े बिना नहीं रहेंगे .आखिर हम कब तक एक सोफ्ट स्टेट ,एक सोफ्ट टार्गेट बने हाथ पर हाथ धरे बैठे रहेंगे .कहते रहेंगे -भारत में शास्त्रार्थ की परम्परा रही है .

    ऐसी के तैसी तो कर दी उस परम्परा की यह कहके -चोर पकड़ा गया है तो क्या ,सरकार कोयला हुई है तो क्या पहले बहस कराओ ,सबूत जुटाओ "सरकार वाकई कोयला हुई है "

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  2. मिले दूसरी धाय, देवकी तो है जिन्दा |
    टाल अलाय बलाय, उड़ेगा अभी परिन्दा |

    बेहतरीन व्यंजना -गधे ही राज कर रहें हैं .
    मेरी धरोहर
    लोगों के जबसे बने, गधे सगे से बाप ।
    मौज कर रहे गधे सब, घोड़े रस्ता नाप ।

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  3. मिले दूसरी धाय, देवकी तो है जिन्दा |
    टाल अलाय बलाय, उड़ेगा अभी परिन्दा |

    बेहतरीन व्यंजना -गधे ही राज कर रहें हैं .
    मेरी धरोहर
    लोगों के जबसे बने, गधे सगे से बाप ।
    मौज कर रहे गधे सब, घोड़े रस्ता नाप ।

    लो एक लाइन ले लो क्षतिपूर्ती करना -

    गधे कर रहे राज ,कुम्हारी इटली की है ,


    गधे कर रहे राज कुम्हारी इटली की है
    ,
    कान उमेठे बड़े गधे का ,फूंके कान में मन्त्र ,

    रचे रोज़ षड्यंत्र कुम्हारी इटली की है .

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  4. गधे चराती खूब ,कुम्हारी इटली क़ी है ,

    फाग रचाती खूब कुम्हारी इटली की है .

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  5. लोगों के जबसे बने, गधे सगे से बाप ।
    मौज कर रहे गधे सब, घोड़े रस्ता नाप ।
    घोड़े रस्ता नाप, कोयला ही है सोना ।
    सारे घोड़े बेंच, पड़ा सोना मत रोना ।
    रविकर मिटा वजूद, सूद का झंझट भोगो ।
    बेचो खेत जमीर, खरीदो तोपें लोगों ।
    गधे अब राज करेंगे ,

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  6. Virendra Sharma
    एस .ऍम. भाई सबसे पहले मुबाराक बाद ममता जी के नंगी सरकार से बाहर आने के लिए .इस अपडेट के लिए .और अब सुनो आज का विचार -

    "नंग बड़े परमेश्वर से " ये भाई साहब यूं ही नहीं कहा गया है नंगे से तो खुदा भी डरता है .वह भी कहता है अब क्या करें इस नंगी सरकार का .नक- कटा और नंगा एक ही मानसिकता लिए होतें हैं ,जो होना था ,हो चुका अब और क्या बिगाड़ सकता है हमारा कोई .नाक कटनी थी कट गई .नकटी सरकार का अब और कोई क्या बिगाड़ लेगा ?

    जहां तक ममता और मुलायम साहब का सवाल है यह सब नूरा कुश्ती है .लोगों को खामखा उलझा रखा है .

    फिर भी एक बात तय है एस .ऍम. जल्दी कुछ होगा .

    इधर इसाइयत और इस्लाम के बीच भी कटुता बढती जा रही है .अफगानिस्तान में अमरीकी तैयारों को गिराया जाना नए गुल खिलाये बिना नहीं रहेगा .वैसे भी यह अमरीका में चुनावी साल है .

    बिला -शक जो कौम तर्क से घबराती है उसे कोई ठीक नहीं कर सकता लेकिन ठोक ज़रूर सकता है .

    फतवा वहां से शुरू होता है जहां तर्क का अंत हो जाता है बहस की तो इस्लाम में गुंजाइश ही नहीं है कोई बहस नहीं कुरआन और मोहम्मद पर .इसलिए जो बहस में नहीं उतरना चाहता है वह फतवा ज़ारी कर देता है .

    समाज और राजनीति दोनों में अब फतवे का युग आ गया है . आ रहा है बहुत तेज़ी से .

    भारत को भी जल्दी कुछ सोचना करना होगा .इसाइयत -इस्लामी भिडंत के छींटे हम पर पड़े बिना नहीं रहेंगे .आखिर हम कब तक एक सोफ्ट स्टेट ,एक सोफ्ट टार्गेट बने हाथ पर हाथ धरे बैठे रहेंगे .कहते रहेंगे -भारत में शास्त्रार्थ की परम्परा रही है .

    ऐसी के तैसी तो कर दी उस परम्परा की यह कहके -चोर पकड़ा गया है तो क्या ,सरकार कोयला हुई है तो क्या पहले बहस कराओ ,सबूत जुटाओ "सरकार वाकई कोयला हुई है "

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  7. मोहन खूब नचायो ,रमैया इटली जी ,

    बहुत ही फाग रचायो .रमैया इटली जी ,

    टूटे सब लय ताल देश के ,टूटे सबद -रसाल रमैया इटली जी ,

    भारत अब बे -हाल ,रमैया इटली जी !

    कुछ तो करो इलाज़ रमैया इटली जी .
    ये कच्चा माल है भाई !विस्तार आपको ही करना है .शुक्रिया .


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