Saturday, 8 September 2012

आतंकी की धाक, लगा धक्का है दिल को -

तुम्हारी गंध तुम्हारे रूप से अधिक भाती है !

संतोष त्रिवेदी

गंध गजब गजगामिनी, कर-काया कमनीय |
स्वाँस सरस उच्छ्वास में, हरदम यह करनीय |
हरदम यह करनीय, गले पर देख दुपट्टा |
पट्टा रविकर डाल, झूमता हट्टा कट्टा |
चाहत पाले एक, दर्श दे प्राण स्वामिनी |
यहीं कहीं हो पास, गंध गजब गजगामिनी ||

“कठिन है बिटिया की माँ होना” (चर्चा मंच-996)

रहो सदा यूँ साजते, गुरुवर चर्चा मंच |
स्वास्थ्य बना उत्तम रहे, विनवत पाठक पञ्च |
विनवत पाठक पञ्च, कष्ट न रंचमात्र हो |
सृजनशीलता ख़ास, प्रभावी गीत पात्र हो |
बढे सदा सम्मान, सफलता की सीढ़ी पर |
कृपादृष्टि हो सदा, आज की इस पीढ़ी पर ||

NSG हीरो 'मानेश' (मुम्बई २६/११) को सरकारी चिकित्सा खर्च देने से इनकार जबकि आतंकवादी मदान को महंगी आयुर्वेदिक-स्पा की सुविधा

  ZEAL
शर्मनाक वह दिन रहा, कटे शर्म से नाक ।
सैनिक को इनकार है, आतंकी की धाक ।
आतंकी की धाक, लगा धक्का है दिल को ।
बेदिल मंत्री रोज, डिगाते हैं मंजिल को ।
देते आयुर्वेद, नहीं नानी मर जाती ।
नहीं किसी को खेद, दुर्दशा हमें रुलाती ।।

है रो बो में खोट, नहीं कोयला चबाये -

कार्टून कुछ बोलता है- एक रोबोट क्या खा सकता है ?

पी.सी.गोदियाल "परचेत" at अंधड़ !  

बिजली खाने के लिए, है स्वतंत्र रोबोट |
पन बिजली में आजकल, उत्तरांचल की चोट |
उत्तरांचल की चोट, ताप बिजलीघर आये |
है रो बो में खोट,  नहीं कोयला चबाये |
दस जनपथ पर टहल, टहल करता है घर के |
बिजली रूपी कोल, तानता है भर भर के ||

‘लंगोटिया ब्लॉगिंग‘: परिभाषा, उपयोग और सावधानियां Hindi Blogging

अदना पदना ढेर हैं, हूँ उनमे से एक |
सच्ची बात बताइये, नहीं रहे ना फेंक |
नहीं रहे ना फेंक, बड़ा ब्लॉगर है बनना |
मिले टिप्पणी चार, इन्हें सौ दो सौ करना |
रचता दस कुंडली, मगर पड़ता है पदना |
सुन्दर बढ़िया वाह, मिले यह भी न अदना || 


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2 comments:

  1. सुन्दर प्रस्तुति!

    रचता दस कुंडली, मगर पड़ता है पदना |
    सुन्दर बढ़िया वाह, मिले यह भी न अदना ||

    आज हर तरफ़ ऐसा मौसम है कि ये हालात बन पड़े हैं।

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