फिर मिलने का...
dheerendra
अजब गजब अंदाज है, बात करें चुपचाप ।
इक जगह पर हों खड़े, खुद की सुन पदचाप ।
खुद की सुन पदचाप, गजब दीवानापन है ।
बारिश में ले भीग, प्रेम रस का आसन है ।
फिर मिलने की बात, आज मत करना भाई ।
सही जाय न आज, कहीं से यह रुसवाई ।।
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पक्का !!... ये भूल जायेगा !!लौह कील तलुवे घुसी, सन अस्सी की बात । चीखा चिल्लाया बहुत, सच में पूरी रात । सच में पूरी रात, सुबह टेटनेस का टीका । डाक्टर दिया लगाय, किन्तु अटपटा सलीका । नया दर्द यह घोर, पुराना दर्द भुलाता । वाह वाह कोयला, तुम्हारी महिमा गाता ।। |
कितने पीसी *टेबलेट, बंटवाएँ अखिलेश ।
किन्तु आयरन की कमी, टेबलेट नि:शेष । *टेबलेट नि:शेष, देख बिटिया मरियल सी । हो जाए आपूर्ति, विटामिन सह मिनरल की । पाए ताकत *ढेर, कहीं लागे न मिटने । *ढेर लगाई पांच, अभी लगने हैं कितने ।। यमक *बहुत / एक स्थान पर इकठ्ठा करना |
अब कब जाओगे ????
उत्तर मिलता है कभी, कभी अलाय बलाय ।
प्रश्नों का अब क्या कहें, खड़े होंय मुंह बाय ।
खड़े होंय मुंह बाय, नहीं मन मोहन प्यारे ।
सब प्रश्नों पर मौन, चलें वैशाखी धारे ।
वैशाखी की धूम, लुत्फ़ लेता है रविकर ।
यूँ न प्रश्न उछाल, समय पर मिलते उत्तर ।।
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ReplyDeleteफिर मिलने का....
बाद मुद्दत के मिले हो
चलो कुछ दूर चले(चलें )
खामोश रहे(रहें ) और बात करे(करें )
एहसासात को जिए(जिएँ )
लम्हों को थामें
आँसू की बूँदें
आँखों में बांधें
कुछ पल ठहरें
दरख्तों के नीचे
चुपचाप निहारें
दर्द सवारें
फिर बारिश में भीगें
होठों से कोई
शिकवा शिकायत न करे(करें )
रुसवाई की भी
कोई चर्चा न करें
आओ फिर मिलने का
वायदा करें,...
ये मौसम है प्यार का ,
यूं वक्त जाया न करें ,
बाद मुद्दत के मिलें हैं ,
इसका क्या शिकवा करें ,
कब मिलेंगे फिर से ,
आओ मिल दुआ करें .
बढिया प्रस्तुति है .....
बाद मुद्दत के मिले और इस तरह देखा इधर ,
जिस तरह एक अजनबी पर अजनबी डाले नजर .
रूठ कर जाते जिधर !
प्यार के मौसम सभी आते उधर