Tuesday, 25 September 2012

पूँछ-ताछ में आ गई, कैसे टेढ़ी पूँछ-

 


मसला कुत्ते की टेढी़ पूँछ

सुशील 
 उल्लूक टाईम्स

 उल्लू की दुम कट गई, लाकर रखे संभाल |
किन्तु दबाकर दुम भगा, गृह-पशु करे बवाल |

गृह-पशु करे बवाल, हिला दुम रहा निरंतर |
रविकर टेढ़ी पूंछ, रखे पाइप में अक्सर |

पर उनकी दुम सीध, पडोसी आज दिखाया |
जान चिकित्सक राय, देख *आश्विन में आया ||

*यह उनका विशेष मास है -


इस टिप्पणी पर-
"माफ कीजिएगा पूंछ को सीधा करना मेरे बस की बात नहीं है-"

आधे सच का आधा झूठ

Virendra Kumar Sharma
 
पूँछ-ताछ में आ गई, कैसे टेढ़ी पूँछ |
शब्दों की यह कृपणता, हुवे हाथ क्या छूँछ |

हुवे हाथ क्या छूँछ , करे यह कोई छूछू |
मर्यादित व्यवहार, डंक तो मारे बिच्छू |

वन्दनीय हे साधु, कर्म करते  ही जाना |
असहनीय यह डंक, किन्तु सच सदा बचाना ||


घाट-घाट जल 'पी लिया', दुनिया दिया चराय -

घाट-घाट जल 'पी लिया',  दुनिया दिया चराय ।
पानी दूषित था मगर, आज 'पीलिया' खाय ।
आज 'पीलिया' खाय, विकट बरसाती मौसम ।
भोग राजसी रोग, पड़ा बिस्तर पर हरदम ।
किया घाट ही घाट, पहन चोला यह वल्कल ।
आया चिंतन-काल, छानिये घाट-घाट जल ।।
यमक -
*'पीलिया'= जांडिस 
* घाट = छल-कपट

देवघर के सत्संग आश्रम में भगदड़, 9 की मौत

File:SabarimalaRush2010.JPG
मंदिर मठ मस्जिद मचे, भगदड़ हर इक साल ।
मौत-तांडव कर हते, होंय भक्त बेहाल ।

होंय भक्त बेहाल, मार डाले यह भगदड़ ।
चढ़े चढ़ावा ढेर, गिनें आयोजक रोकड़ ।

रहे प्रशासन मूक, चूक की जिम्मेदारी ।
देते सभी नकार, मुआवजा बटता  भारी ।

कुछ रिश्‍ते ... (3)

सदा 
 SADA

यह सुदृढ़ सी जिल्द है, शुद्ध-चित्त विश्वास ।
एक पृष्ठ भी फटे तो, भरें सभी उच्छ्वास  ।।

लगा रखा है चतुर ने, हर रिश्ते पर टैग ।
कीमत मिलती जो दिखे,  बेंचे झटपट बैग ।।

आस पास जब ख़ास हो, कहते-सुनते मूक ।
कलम उठे नहिं विरह में, उठती केवल हूक ।।

कुछ रिश्ते रहते अदृश्य, मुश्किल में दें साथ ।
प्रभु के सच्चे हाथ बन, दिखला जाते पाथ ।।


झारखंड और बिहार में ब्लॉगिंग के विकास के लिए एक संगठन का होना आवश्यक है. धनबाद में ब्लॉगरों की एक बैठक में इसपर गहन चिंतन के बाद गंगा दामोदर ब्लॉगर्स एसोसियेशन के गठन का निर्णय लिया गया और इसकी प्रक्रिया शुरू करने की जिम्मेवारी रविकर फैजावादी, देवेंद्र गौतम और उमा जी को सौंपी गयी. उन्होंने इस संबंध में ब्लॉगरों से विचार विमर्श शुरू कर दिया है. पहले चरण में इसके संयोजक मंडल का गठन किया जाना है.
गंगा-दामोदर ब्लॉगर्स एसोसियेशन : गंगा-दामोदर ब्लॉगर्स एसोसियेशन:  


9 comments:

  1. @-माफ कीजिएगा पूंछ को सीधा करना मेरे बस की बात नहीं है- पूँछ-ताछ में आ गई, कैसे टेढ़ी पूँछ | शब्दों की यह कृपणता, हुवे हाथ क्या छूँछ | हुवे हाथ क्या छूँछ , करे यह कोई छूछू | मर्यादित व्यवहार, डंक तो मारे बिच्छू | वन्दनीय हे साधु, कर्म करते ही जाना | असहनीय यह डंक, किन्तु सच सदा बचाना || आधे सच का आधा झूठ पर
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    इस उत्साह वर्धन के लिए शुक्रिया .इस समय इसकी बहुत ज़रुरत थी .वैसे बरसों की साध रविकर जी आज पूरी हुई ,आज एक शख्श ने हमको गाली दी .कोलिज में पढ़ाते थे तो बड़ा तरसते थे कोई

    अफवाह उड़े हमें भी लेके .बड़ा खराब इमेज था सब पढ़ाकू ही समझते थे .कईयों को पैसे भी दिए भाई ये अफवाह हमारे बारे में उड़ा दो .पर अपना नसीब ऐसा कहाँ था .

    आज घर बैठे -बैठे "राम राम भाई " ने काम करा दिया .

    एक शैर याद आ रहा है -

    कितनी आसानी से मशहूर किया है खुद को ,

    मैंने आज अपने से बड़े शख्श को गाली दी है .

    वक्र मुखी का शुक्रिया .

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    1. इसीलिये भैय्या वीरू
      हमने अपनी पूँछ
      बीबी से पूछ कर
      कभी का कटवा ली
      अब सीधी करने की
      कोशिश भी नहीं करती
      पूँछ हमारी घरवाली
      बाकी किसी को
      हम अपनी पूँछ
      अब नहीं दिखाते
      जो देखना चाहता भी है
      उसके धौरे हम नहीं जाते !!

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  2. बहुत बढिया।

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  3. कभी न सीधी हो सके, कुत्ते की है पूँछ।
    रौव जमाती सभी पर, दाढ़ी हो या मूछ।।

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  4. सुशील जी का व्यंग्य तो दमदार लगा।

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  5. सुप्रिय महेंद्र श्रीवास्तव जी !

    आपने जो उत्तर दिया उसका स्वागत है .और जो मैं कह रहा हूँ पूरे उत्तरदायित्व से कह रहा हूँ ,जिसे समझने के लिए आपकों पूरे होशो हवाश में होना होगा .

    आपने कहा मैं किसी विशेष पार्टी के लिए काम करता हूँ .आप ऐसे व्यक्ति को जो किसी पार्टी के लिए काम करता हो मानसिक रूप से बीमार नहीं कह सकते .आप यह सिद्ध करना चाहतें हैं कि मुझे तो भगवान् भी ठीक नहीं कर सकता .कोई मानसिक दिवालिया किसी पार्टी का पेड वर्कर नहीं हो सकता .

    अलबत्ता आप अपने बारे में बताइये आप किस गिरोह के सदस्य हैं .आपकी मानसिकता समझ में नहीं आती आप अपने ही तर्कों को काट रहें हैं .मुझे किसी पार्टी के लिए सक्रीय भी बता रहें हैं मानसिक रोगी भी .

    मेरे विचार से आप क्या और बहुत से लोग भी असहमत हो सकते हैं .

    एक बात बतलादूं आपको ये शुक्र की बात है आप भगवान को तो मानते हैं बस यही एक समानता है मेरे और आप में .हम दोनों भगवान को मानते हैं .

    मैं आपकी तरह किसी संगठन में तो काम नहीं करता पर मेरी संगत अच्छी ज़रूर है .

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    महेन्द्र श्रीवास्तव25 September 2012 12:06
    गल्ती हो गई शर्मा जी,
    मैं आपको एक पढ़ा लिखा सीरियस ब्लागर समझता था।
    इसलिए कई बार मैने आपकी बातों का जवाब भी देने की कोशिश की।
    सोचा आपकी संगत गलत है, हो जाता है ऐसा, लेकिन मुझे उम्मीद थी
    शायद कुछ बात आपकी समझ में आज जाए।
    लेकिन आप तो कुछ संगठनों के लिए काम करते हैं और वहां फुल टाईमर
    यानि वेतन भोगी हैं। यही अनाप शनाप लिखना ही आपको काम के तौर
    सौंपा गया है। एक बात की मैं दाद देता हूं कि आप ये जाने के बगैर की
    आपको लोग पढ़ते भी हैं या नहीं, कहां कहां जाकर कुछ भी लिखते रहते हैं।
    खैर कोई बात नहीं, ये बीमारी ही ऐसी है। वैसे अब आप में सुधार कभी संभव ही
    नहीं है। सुधार के जो बीज आदमी में होते है, उसके सारे सेल आपके मर
    चुके हैं। माफ कीजिएगा पूछ को सीधा करना मेरे बस की बात नहीं है।
    अब तो ईश्वर से ही प्रार्थना कर सकता हूं कि, शायद वो आपको सद् बुद्धि दे।
    ओ भाई साहब महेंद्र श्रीवास्तव जी हमारी ही बिरादरी के हो इसलिए बतला रहा हूँ "पूछ " और "पूंछ "में फर्क होता है अगर पूंछ बोले तो tail की बात कर रहे हो तो वर्तनी तो शुद्ध कर लो वरना अर्थ का अनर्थ हो जाएगा .

    " माफ कीजिएगा पूछ को सीधा करना मेरे बस की बात नहीं है।
    अब तो ईश्वर से ही प्रार्थना कर सकता हूं कि, शायद वो आपको सद् बुद्धि दे।"

    "पूछ" भाई साहब कहते हैं महत्ता को और वह अर्जित गुण है व्यक्ति विशेष का किसी के कम किए कम न होय .

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  6. दोस्त यही मोहब्बत ,यही प्यार जो आपने ज़ाहिर किया हमसे दिन रात काम करवाता है .आप हमारे लेखन की आंच में समिधा डालतें रहें ,मार्ग निर्देशन करतें रहें .
    सामग्री निकालेंहटाएंस्पैम50
    4627 में से 1-50 1

    अरे-अरे वीरु जी आप कहाँ मीडिया टाइप लोगों के चक्कर में पड कर अपने अनमोल ब्लॉग पर इस प्रकार के लेख लगा रहे हो,मीडिया के लोगों व लेख के चक्कर में ना पडे। इनका अधिकतर विश्वास समाप्त हो गया है। आप अपनी मेडिकल सम्बंधी लेख लगाते रहे। अपना नेक कार्य करते रहे। मेरी संगत अच्छी है पर
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  7. Virendra Kumar SharmaSeptember 27, 2012 7:54 AM
    दोस्त आपने मामला पूंछ का सुलझा दिया है .सीढ़ी पूंछ वाला स्वान दिखाके .आज से आपकी "पूछ "बढ़ गई समझो .एक सच्चा वाकया सुन लो .बात नोइडा (पश्चिमी उत्तर प्रदेश )के २६ सेकटर की है .हमारी बड़ी बहन रहतीं हैं वहां सो अकसर जब दिल्ली जातें हैं वहां भी आ जातें हैं .एक मर्तबा हमने देखा -एक स्वान बिना टांग उठाए मूत रहा था .

    हमसे रहा न गया .हमने मालिके स्वान से पूछा वाह भाई साहब यह बिना टांग उठाए ही मूत रहा है .कहने लगें इंटेलिजेंस है इसकी .

    तो साहब छूट तो बान भी सकती है ,भारत में ईमानदारी भी आ सकती है ,तपन वाले चंद लोग चाहिए जिन्हें केजरीवाल न बनाया जा सके ,सताया न जा सके .

    कुत्ते की पूंछ

    मसला पूंछ का


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  8. beautiful links
    good luck for ganga damodar bloggers association
    होंय भक्त बेहाल, मार डाले यह भगदड़ ।
    चढ़े चढ़ावा ढेर, गिनें आयोजक रोकड़
    बहुत बढिया

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