गंगा-दामोदर ब्लॉगर्स एसोसियेशन
आज धनबाद के ब्लॉगर्स को माननीय देवेन्द्र गौतम जी का सानिध्य प्राप्त हुआ ।
इस गोष्ठी में गंगा-दामोदर ब्लॉगर्स एसोसियेशन की स्थापना की आवश्यकता महसूस की गयी । आपके विचार और सुझाव सादर आमंत्रित हैं ।
--------रविकर---------
माल मान-सम्मान पद, "कलमकार" की चाह ।
देते "कल-मक्कार" को, सुन प्रशस्ति नरनाह ।1।
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घाटे का सौदा करे, सेठ अशर्फी लाल । गाँव गाँव में बेच के, बेहद मद्दा माल । बेहद मद्दा माल, बिठाता भट्ठा सबका । एक क्षत्र हो राज्य, रो रहा ग्राहक-तबका । करी सब्सिडी ख़त्म, विदेशी वह व्यापारी । बेंचे महंगा माल, खरीदेगी लाचारी ।। |
भगवान् राम की सहोदरा (बहन) : भगवती शांता परम-4(II)
विषय परा-विज्ञान मन, औषधि प्रजनन अन्न ।
विकट तपस्या त्याग तप, इन्द्रासन हिल जाय ।
तभी उर्वशी अप्सरा, ऋषि सम्मुख मुस्काय ।
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करे कर्म कन्या कठिन, किस्मत कुंद कड़ाकु-
काँव काँव काकी करे, काकचेष्टा *काकु ।
करे कर्म कन्या कठिन, किस्मत कुंद कड़ाकु ।।
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एक समाचार
करती केस प्रताड़ना, है तलाक की चाह ।
बहस भिवानी कोर्ट में, पति की नहिं परवाह ।
पति की नहिं परवाह, पचीसों गुटखे गटके ।
छ: हजारही आय, तभी तो पति को खटके ।
तिलमिलाय कह रही, छोड़ मैं सकती पति को।
चाहूँ तुरत तलाक , नहीं छोड़ूं इस लत को ।।
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बहुत सुन्दर काव्यात्मक टिप्पणियाँ!
ReplyDeleteआपका आभार!
काव्यमय टिप्पणियों में आपका जबाब नही,,,,,
ReplyDeleteRECENT POST समय ठहर उस क्षण,है जाता,
RECENT POST समय ठहर उस क्षण,है जाता,
Deleteइस पोस्ट पर आपकी काव्यात्मक टिप्पणी की आशा रखता हूँ,,,,,