काशी का निरालापन
रणधीर सिंह सुमन
बना बनारस रहेगा, विश्वनाथ का धाम ।
सुबह बनारस की भली, भली अवध की शाम ।
भली अवध की शाम , दफ़न आशिक माशूका ।
मौत कुआँ मशहूर, कभी न डाकू चूका ।
शिक्षा नगरी श्रेष्ठ, मुहल्ला खोजा खाली ।
दिल्ली करें प्रवास, मनाते वहीँ दिवाली ।।
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हिन्दी भाषा
Maheshwari kaneri
जय जय हिंदी लिख गई, माँ चरणों में बैठ ।
सुलगे चूल्हा, कोयला, बेढब ली'डर ऐंठ । बेढब ली'डर ऐंठ, नहीं गाई मंहगाई । जल डीजल जलजला, सिलिंडर आग लगाईं । कार्टून की गूँज, आस्था की हो चिंदी । नहीं कहूँ कुछ और, जोर से जय जय हिंदी ।। |
"कौन है जरूरी..प्यार या दोस्ती? सवाल खुद से और आप सबसे"कुछ शाश्वत सम्बन्ध हैं, परे दोस्ती प्यार ।स्वार्थ सिद्ध के योग की, करे प्यार मनुहार । करे प्यार मनुहार, स्वयं की ख़ुशी मूल है । जाता देना भूल, करेगा पर क़ुबूल है । किन्तु दोस्ती भाव, परस्पर सुख दुःख देखे । सदा प्यार से श्रेष्ठ, दोस्ती मेरे लेखे ।। |
लेटर टू अ बेस्ट फ्रेंड
यशवन्त माथुर (Yashwant Mathur)
सिस्टर इंग्लिश डोंट पुश, टू मच रस, एड्जस्ट ।
ब्राउन पीपुल लाइकिंग, यू स्टैंडिंग फस्ट ।
यू स्टैंडिंग फस्ट, बट यू नो परडेसी ।
फ्लाई नो स्काई , हेट करते हैं बेसी ।
पैक युअर बेड-रोल, टाइम हैज कम माई डीयर ।
बोलें हिंदी बोल, अर्थ से जुडती रविकर ।।
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हिंसा-प्रतिहिंसा से संतोषप्रद निर्णायक समाधान असंभव है।चरम शब्द से प्रगटते, साधारण सा भाव । चरम दशा का किस तरह, होवे भाव अघाव । होवे भाव अघाव, घाव छोटे को दारुण । करे महज कर्तव्य, दिखावा बडका कारूण । होय जरा सी बात, हटक तिल ताड़ बनाते । सहनशीलता ख़तम, फटाफट आग लगाते ।। |
जिंदगी की तरह ...
सदा
अपनी ये जो जिंदगी, लगे पुस्तकाकार ।
सदा बांटती ज्ञान तुम, बहुत बहुत आभार ।
बहुत बहुत आभार, पेज संख्या तारीखें ।
मातु पिता गुरु श्रेष्ठ, आवरण उम्दा दीखे ।
कुछ पन्ने मुड़ जाँय, कहीं पानी पड़ जाये ।
रखिये सदा संभाल, कभी सड़ने न पाये ।।
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मेरी रचना को मान देने के लिए आभार..
ReplyDeleteहिन्दीदिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteआपका इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (15-09-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
विचारोँ पर सुन्दर प्रतिक्रियात्मक उल्लेख के लिए आभार्
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