कवि का क्या भरोसा ?
कविता कर कर के करे, कवि कुल आत्मोत्थान ।
जैसे योगी तन्मयी, करे ईश का ध्यान ।
करे ईश का ध्यान, शान में पढ़े कसीदे ।
भावों में ले ढाल, ढाल से सौ उम्मीदें ।
रोके तेज कटार, व्यंग वाणों को रविकर ।
कायम रख ईमान, हमेशा कविता कर कर ।।
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UMA SHANKER MISHRA
रोटी रोदन रात रत, रिक्त *रोटका *रोट | **राट हुवे सब राड़ सब, खूब छापते नोट | खूब छापते नोट, बनी है ***रोटिहा ममता| राज काज का खोट, कहीं न मिलती समता | छीने पहरेदार, नजर रोटी पर खोटी | बेंचे चीज अमोल, कमाती दो ठो रोटी || *बाजार * गेंहूँ का आटा ** श्रेष्ठ ***मात्र रोटी पर काम करने वाली |
नुक्कड़
भोली-भाली बालिका, ट्यूशन पढने जाय | बड़े बड़े इन भाय को, बात रही ना भाय | बात रही ना भाय, बड़ा अचरज है उनको | समझ रहे थे तेज, पढ़ाई में वे तुमको | देखो मत उस ओर, ध्यान कर ट्यूशन खाली | तन मन से मजबूत, बालिका भोली भाली || |
समाजवादी से आशावादी हो गए !!बिना मुलायम ना दिखे, नव दिल्ली सरकार । मुला देश देता भुला, देता स्वप्न नकार । देता स्वप्न नकार, खा रही ठोकर ममता । कोयला खाएं लोग, इन्हें तो चोकर जमता । रविकर पहुंचे पास, मगर विश्वास कहाँ है । एक सरोवर खास, धुले मुंह रहा नहा है ।। |
गधे ज़ाफ़रान में कूद रहे है.........सिकन्दर खान
yashoda agrawal
लोगों के जबसे बने, गधे सगे से बाप ।
मौज कर रहे गधे सब, घोड़े रस्ता नाप ।
घोड़े रस्ता नाप, कोयला ही है सोना ।
सारे घोड़े बेंच, पड़ा सोना मत रोना ।
रविकर मिटा वजूद, सूद का झंझट भोगो ।
बेचो खेत जमीर, खरीदो तोपें लोगों ।
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एक साक्षात्कार- हिन्दी रानी सेऋता शेखर मधु
मधुर गुंजन
हाय हाय हिंदी हठी, हाकिम हुज्जत हूल । फिर भी तू जिन्दा बची, महक कुदरती फूल । महक कुदरती फूल, चहकती बाजारों में । घूमे देश विदेश, पर्यटन व्यापारों में । रोजगार मिल रहे, सभी क्षेत्रो में फैली । सीख रहे वे शत्रु, नजर जिनकी थी मैली । |
स्कूल भेजने को गाडी में बिठाती हुईममता बेटे पर लुटी, टा टा करती जाय | बेटी टिफिन बनाय खुद, जाती रोज बताय | जाती रोज बताय, हुई शादी खुशहाली | नप्ता-निप्त्री पाल, रोग कमजोरी पाली | पूत बसा परदेश, प्यार फिर भी न कमता | बेटी पा सन्देश, संभाले फिर से ममता || |
Blog News: एस. एम. मासूम साहब का Major OperationDr. Ayaz Ahmad
हुआ दुआओं का असर, चर्चा है पुरजोर ।
स्वास्थ्य लाभ मासूम का, हर्ष होय चहुँओर । हर्ष होय चहुँओर, खुदा का बन्दा काबिल । चमन अमन पैगाम, नेक कर्मों में शामिल । रविकर चर्चा मंच, किया कल इनकी चर्चा । इन्तजार है अमन, पढूं फिर जल्दी परचा ।। |
गलती आवाम की ? या फिर सरकार की ?
ZEAL at ZEAL
कर्म करें सब गलत वे, रखे सही की आस |
सड़ी गली वस्तुओं से, चाहें सरस सुवास | चाहें सरस सुवास, किन्तु कुछ नहीं करेंगे | चाहें दुष्ट विनाश, हाथ पर हाथ धरेंगे | आये शुभ मतदान, दान दारु का लेकर | पड़े पियक्कड़ तान, खो रहे आया अवसर | |
वाह सर मज़ा आ गया, क्या बात है
ReplyDeleteमेरी धरोहर
ReplyDeleteलोगों के जबसे बने, गधे सगे से बाप ।
मौज कर रहे गधे सब, घोड़े रस्ता नाप ।
घोड़े रस्ता नाप, कोयला ही है सोना ।
सारे घोड़े बेंच, पड़ा सोना मत रोना ।
रविकर मिटा वजूद, सूद का झंझट भोगो ।
बेचो खेत जमीर, खरीदो तोपें लोगों ।
दोस्त !देश को हम भारत माता ही कहतें हैं .और आज इसकी हमने क्या तो हालत बना दी है यह प्रयोग ऐसे ही जैसे हम कहतें हैं हिंदी के साथ बलात्कार हो रहा है दिन रात .संविधान कोम रखैल बनाया हुआ है ,संसद को बंधक ,आम प्रयोग रहें हैं ये इस दौर के कार्टून कार ने कुछ भी तो नया नहीं किया सिवाय इनको आइना दिखाने के -
सामने दर्पण के जब
सामने दर्पण के जब तुम आओगे ,
ReplyDeleteअपनी करनी पर बहुत पछताओगे .
बस इतना भर कहा है असीम भाई ने ,जिनका कद आज बहुत ऊंचा हो गया है .दैनिक जागरण में एक कार्टून छपा है जिसमें अशोक की लाट में तीन शेरोन की जगह तीन सियार दिखाएँ हैं ,राहुल ,चिदंबरम ,एक और युवा सांसद है कोंग्रेसी .....
जी -
Deleteबस शिकायत है भारत माता के चित्र के दुरुपयोग से -
मैंने अपनी कुंडलियों में बस इसी चित्र का मुद्दा उठाया है |
असीम के साथ हूँ-
पर भारत माँ के उस चित्र से नाराज हूँ -
दें अपनी बेबाक राय..
ReplyDeleteDainik Jagran
21 hours ago
http://www.jagran.com/news/national-ashim-will-release-today-9656704.html
यही लिंक है इस कार्टून का जिसमें असीम के तीन भेदियों की जगह कोंग्रेस के राहुल -चिदंबरम -सिंधिया की तिकड़ी है .
बहुत बढ़िया..
ReplyDeleteशुक्रिया रविकर भाई
ReplyDeleteइस चर्चा मंच पर प्रथमागमन पर मुझे अनेकों बधाइयाँ
और आप भाई लोंगों की नज़र मेरे ब्लागों पर लगी रहे
यही कामना है और साथ ही स्वागत करूँगी मैं आप सभी का
शनिवारीय नई-पुरानी हलचल में
सादर
यशोदा
बहुत ही अच्छे लिंक्स ... आभार आपका
ReplyDeleteGreat comments on all the posts.
ReplyDeleteआपकी बात में सार है.
ReplyDeleteयह दिल को छू गयी है.
सर जी , एक पंथ दोकाज का आपका यह अनोखा तरीका पसंद आया ! टिपण्णी की टिपण्णी भी और कविता भी ! बहुत खूब !
ReplyDeleteआपका अंदाज़े बयां निराला है!
ReplyDeleteरविकर जी , सबसे पहले आपका आभार और ईमान हमेशा कायम रहना ही चाहिए जीवन के हर क्षेत्र में ..आपने सही कहा है..
ReplyDeleteमेरी रचना यहाँ शामिल करने के लिए आभार...और टिप्पणी शानदार !!
ReplyDeleteबेहतरीन !
ReplyDeleteबहुत ही अच्छे लिंक्स ... आभार
ReplyDeleteबहुत सार्थक प्रस्तुति .आभार
ReplyDeleteआपकी हर टिप्पणी कमाल की होती है अंकल
ReplyDeleteसादर
आपकी प्रतिक्रियाएं छा जाती हैं बहुत खूब
ReplyDeleteकायम रख ईमान, हमेशा कविता कर कर-रविकर
ReplyDeleteकविता भी कर टिप्पणी भी कर
आभारी हैं होसला अफजाई भी कर !