गंगा-दामोदर ब्लॉगर्स एसोसियेशन
आज धनबाद के ब्लॉगर्स को माननीय देवेन्द्र गौतम जी का सानिध्य प्राप्त हुआ ।
इस गोष्ठी में गंगा-दामोदर ब्लॉगर्स एसोसियेशन की स्थापना की आवश्यकता महसूस की गयी । आपके विचार और सुझाव सादर आमंत्रित हैं ।
--------रविकर---------
समय ठहर उस क्षण,है जाता,
सजनी जीवन सजना है ।
दिल दोनों धौकनी बने,
कानों को तो बजना है ।
स्वेद-कणों की बात करें क्या,
गंगा यमुने का संगम हो
जीवन के इन प्रेम पलों हित,
जाने क्या क्या तजना है ।।
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"नेता सचमुच महान हैं" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक)
बिलकुल बात सटीक है, बड़े महीन महान |
नियत हमेशा लगी है, क्या क्या कैसे तान ?
क्या क्या कैसे तान, बात कर नव वितान की |
अपना हिन्दुस्तान, जाति यह गिरगिटान की |
भाय भतीजावाद, नया धंधा इक पाला |
देती दुनिया दाद, करे अपना मुंह काला ||
नियत हमेशा लगी है, क्या क्या कैसे तान ?
क्या क्या कैसे तान, बात कर नव वितान की |
अपना हिन्दुस्तान, जाति यह गिरगिटान की |
भाय भतीजावाद, नया धंधा इक पाला |
देती दुनिया दाद, करे अपना मुंह काला ||
गाँठ पड़ना ठीक है !
संतोष त्रिवेदी
मन की गाँठों से सदा, बढ़ता दुःख अवसाद ।
मन की गाँठे खोल दे, पाए मधुरिम स्वाद ।
पाए मधुरिम स्वाद, गाँठ का पूरा कोई ।
चले गाँठ-कट चाल, पकड़ के खुपड़ी रोई ।
रविकर लागे श्रेष्ठ, सदा ही गाँठ जोड़ना ।
अपना मतलब गाँठ, जानते दुष्ट छोड़ना ।।
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पेड़ पर नहीं उगते पैसे क्या ? उगते हैं, उगते हैं, उगते हैंझूठ बोलने से भला, मारो-मन मुँह-मौन । चले विदेशी बहू की, कर बेटे का गौन । कर बेटे का गौन, कौन रोकेगा साला । ससुर निठल्ला बैठ, निकाले अगर दिवाला । आये वह ससुराल, दुकाने ढेर खोलने । भैया वन टू आल, लगे हैं झूठ बोलने ।। देश चराने के लिए, पैसे की दरकार । पैसे पाने के लिए, अपनी हो सरकार । अपनी हो सरकार, नहीं आसान बनाना । सब जुगाड़ का खेल, बुला परदेशी नाना । नाना नया नकार, निखारे नाम पुराने । मनी-प्लांट लो लूट, चलो फिर देश चराने ।। पैसा पा'के पेड़ पर, रुपया कोल खदान । किन्तु उधारीकरण से, चुकता करे लगान । चुकता करे लगान, विदेशी खाद उर्वरक । जब मजदूर किसान, करेगा मेहनत भरसक । पर मण्डी मुहताज, उन्हीं की रहे हमेशा । लागत नहीं वसूल, वसूलें वो तो पैसा ।। |
बढ़ने चला हूँई. प्रदीप कुमार साहनी |
कथरी
देवेन्द्र पाण्डेय
कथरी का इक अर्थ है, नागफनी हे मित्र । उलट पलट के ओढ़ना, देखे चित्र विचित्र । देखे चित्र विचित्र, मोतियाबिंद पालती । आँखों का वह नूर, उसी की दवा डालती । रहता उनका साथ, छोड़ कर कैसे जाऊं । नई कथरिया ओढ़, शीघ्र ही साथ निभाऊं ।। |
मेरे सुपुत्र के ब्लॉग से उनकी रचनाबेतरतीबWoRds UnSpoKeN !!बड़े अरसों बाद मिले थे वो आज हमसे ख्याबों में . . हम आज तलक चल रहे लड़खड़ा के . . - खुद से पलकें झुक गयी . .ओंठ कांपने लगे . . जब आप हमारे दरमियाँ फासले नापने लगे . . - नजदीकियां जब जब हमारे नजदीकतर होती रहीं . . आपके इशारों को फिर हम भी जरा भांपने लगे। छूट गयी आदत मगर बयां भी ऐसे करें . लोग फिर कहने लगे हम यकीं कैसे करें। कैसे अजीब अजीब जख्म दिए,तूने मुझे ऐ बेखबर . . के जब-जब महसूस होते हैं,हम मुस्कुराने लग जाते हैं| देवघर के सत्संग आश्रम में भगदड़, 9 की मौत |
वाह !
ReplyDeleteवाह ,,,, क्या बात है रविकर जी,,,आभार ,,
ReplyDeleteवाह....बहुत खूब....
ReplyDeleteटिप्पणियों का काव्यात्मक प्रस्तुतिकरण बहुत बढ़िया है।।
ReplyDeleteलेखक को ऊर्जा मिलती है नया लिखने की!
वाह बहुत बढ़िया..रविकर जी..
ReplyDeleteकोई तोड़ नहीं है आपका !
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ReplyDeleteमंदिर मठ मस्जिद मचे, भगदड़ हर इक साल ।
मौत-तांडव कर हते, होंय भक्त बेहाल ।
होंय भक्त बेहाल, मार डाले यह भगदड़ ।
चढ़े चढ़ावा ढेर, गिनें आयोजक रोकड़ ।यही तो विडंबना है हमारे दौर की .यहाँ मिशिगन के गुरद्वारों में कहीं दिल्ली नर संहार (१९८४)के
खून सने चित्र लगें हैं कहीं ओपरेशन ब्ल्यू स्टार के ---
आतंकियों को बतलाया गया शहीद जरनैल सिंह ,शहीद फलाने सिंह .....सभी आतंकियों की इंदिरा जी के हत्यारों की तस्वीरें बड़े फ्रेम में
मुखरित हैं .कैसा है यह गुरु का द्वारा (अखाड़ा ?).
ram ram bhai
ReplyDeleteमुखपृष्ठ
मंगलवार, 25 सितम्बर 2012
आधे सच का आधा झूठ