हम कतार में ,
udaya veer singhat
सदा लिबर्टी ले रहे, सेलिब्रिटी अवतार |
हम कतार में ही मरें, बार बार हर बार | बार बार हर बार, ख़त्म राशन हो जाता | ख़तम सिनेमा टिकट, नहीं एडमिशन पाता | कायर ना कमजोर, मगर आदत के मारे | दान करें मतदान, हमेशा बिना विचारे || |
ख़बरें सेहत की
Virendra Kumar Sharma
बचपन में लो बूस्टर, पियो एनर्जी ड्रिंक ।
फास्ट फ़ूड लो टिफिन में, भर लो काली इंक ।
भर लो काली इंक, लिखेगा काला काला ।
कई तरह के लिंक, निकाले देह-दिवाला ।
कामोत्तेजक ड्रग्स, करो उत्तेजित पचपन ।
झेले कहाँ शरीर, बुढापे तक रे *बचपन ।।
*बचपना
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वरदान है नींबू
Kumar Radharaman
भोजन में नियमित करूँ, निम्बू का उपयोग | निश्चित ही बचता रहा, रहता सुखी निरोग | रहता सुखी निरोग , बड़ा नींबू गुणकारी | प्रस्तुति है उत्कृष्ट, सभी पाठक आभारी | लगे स्वाद अम्लीय, मगर क्षारीय असर है | खावो नींबू खूब, स्वस्थ रखता रविकर है || |
आवश्यकता है एक " पोस्टर ब्वाय " की !
महेन्द्र श्रीवास्तव
ठगे हुवे हम हैं खड़े, देखें काले कृत्य | देखें काले कृत्य , छंद गंदे हो जाते | कुक्कुरमुत्ते उगे, मगर क्या बहला पाते ? जगना हुआ हराम, भला था सोये रहते | देखा मुंह में राम, छुरी को कैंची कहते || |
चिंतन ...सदा
सहमत होने पर हिले, जब हल्का सा शीश ।
हुवे असहमत तो भले, क्यूँ जाते हो रीश ?
क्यूँ जाते हो रीश, पटकते बम क्यूँ भाई ?
पटक रहे अति विकट, पड़े क्या उन्हें सुनाई ?
प्रकट करो निज भाव, कहो ना बुरा भला कुछ ।
सीखो संयम धैर्य, गया ना कहीं चला कुछ ।
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बंद
Ramakant Singh
फिर से जाता डाल पर, कंधे से बेताल ।
बिक्रम के उत्तर सही, फिर भी करे मलाल ।
फिर भी करे मलाल, साल भर यह दुहराए ।
कंधे पर बेताल, कभी शाखा लटकाए ।
होता हल मजदूर, सदा वह हल को तरसे ।
नेता का क्या मित्र, बंद देखोगे फिर से ।।
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बहुत बढि़या...
ReplyDelete:)बहुत बढि़या...
ReplyDeleteबढिया लिंक्स
ReplyDeleteसभी एक से एक। क्या कहने!
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबहुत बढिया लिंक्स
ReplyDeleteमैं भी हूं यहां
अच्छा लगा
सभी बहुत सुन्दर...
ReplyDeleteवाह आदरणीय सभी रचनाएँ एक से बढ़ कर एक है
ReplyDeleteउन्नयन ,वरदान निम्बू, आधा सच ,आत्म चिंतन ,जरुरत
बेहतरीन !
ReplyDeletevery nice.
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