शिक्षक दिवस की शुभकामनाएँ --अरे गुरु जी का वह डंडा !
यशवन्त माथुर (Yashwant Mathur)
जो मेरा मन कहे
जो मेरा मन कहे
माता ने बंधवा दिया, इक गंडा-ताबीज |
डंडे के आगे मगर, हुई फेल तदबीज |
हुई फेल तदबीज, लुकाये गुरु के डंडे |
पड़े पीठ पर रोज, व्यर्थ सारे हतकंडे |
रविकर जाए चेत, पाठ नित पढ़ कर आता |
अक्षरश:दे सुना, याद कर भारति माता ||
शिक्षा का स्वरुप और शिक्षक का योगदान - शिक्षक दिवस पे .
कमल कुमार सिंह (नारद )नारद -
जार जार शुभ ज्ञान है, शिक्षा बिक बाजार |
ऊंची कोठी शान है, ऊंचा गुरु आगार |
ऊंचा गुरु आगार, उदारीकरण दिखाए |
जब विदेश में नित्य, निवेशित ज्ञान कराये |
मुद्रा से है ज्ञान, ज्ञान से बड़ी चाकरी |
रिश्तों का अवसान, बुरा परिणाम आखरी ||
जीवन शैली रोग मधुमेह २ में खानपान ,जोखिम और ....
Virendra Kumar Sharma
कबीरा खडा़ बाज़ार में
कबीरा खडा़ बाज़ार में
अतिशय मोटी अक्ल में, आई मोटी बात |
पांच मर्तवा खाइए, प्राकृतिक सौगात |
प्राकृतक सौगात, फास्ट-फूडों से बचिए |
रिस्य रिसर्चर राय, सुगढ़ काया यह रचिए |
समाधान मधुमेह, छोड़ दें आदत खोटी |
सतत आकलन देह, होय न अतिशय मोटी ||
पांच मर्तवा खाइए, प्राकृतिक सौगात |
प्राकृतक सौगात, फास्ट-फूडों से बचिए |
रिस्य रिसर्चर राय, सुगढ़ काया यह रचिए |
समाधान मधुमेह, छोड़ दें आदत खोटी |
सतत आकलन देह, होय न अतिशय मोटी ||
अगले बरस के नुक्कड़डॉटकॉम महाशिखर सम्मान की घोषणा
अविनाश वाचस्पति
पक्का रविकर दिख रहा, पुरस्कार बड़वार |
हर रचना पर कर रहा, हर संध्या तकरार |
हर संध्या तकरार, वंदना पूजा करता |
होय तुषारापात, दोष दूजे सिर धरता |
खुराफात का शेर, टहलते देता धक्का |
हूँ काबिल हर-मेर, देर क्यूँ करिए पक्का ||
कार्टून कुछ बोलता है - कोलमाल है भई सब कोलमाल है ......
दाने दाने को दिखा, कोयलांचल मुहताज ।
दान दून दे दनादन, दमके दिल्ली राज ।
दमके दिल्ली राज, घुटे ही करें घुटाला ।
बाशिंदों पर गाज, किसी ने नहीं सँभाला ।
नक्सल भी नाराज, विषैला धुवाँ मुहाने ।
धधके अंतर आग, लुटाते लंठ खदाने ।।
Amrita Tanmay
अजब निराला ढंग है, लहर लहर लहराय |
मर्मस्पर्शी रंग है, सहलाए टकराय |
सहलाए टकराय, सदा आनंदित करती |
हुई कभी जो शांत, उदासी कैसी भरती |
लहरे सारी देह, नेह की मेह पुकारे |
अवगाहन की चाह, सुनो हे मोहन प्यारे ||
बैसवारी baiswari
प्रश्न-काल को टाल दें, रविकर गुरु-घंटाल |
रट्टू तोते भी फंसे, पिंजरा अंतरजाल |
पिंजरा अंतरजाल, सतत सर्फिंग उपयोगी |
उभय पक्ष जब मस्त, भला कक्षा क्यूँ होगी ?
इंटरनेट पर चैट, तेज कर भेड़-चाल को |
जश्न-काल अल-मस्त, ख़तम कर प्रश्न-काल को ||
रिश्तों की यह बानगी, करे प्रभावित देह |
आत्मीय लूला कटुक, पाकीजा हो नेह |
पाकीजा हो नेह, मिले बिन खर्चे कौड़ी |
जरा नहीं संदेह, करे है छाती चौड़ी |
पर रविकर दुश्वार, यार का प्यार पराया |
दुनिया लंगी मार, गिराए नश्वर काया ||
आकाओं से दोस्ती, काकाओं का नाम |
बाँकी काकी ढूँढ़ के, पहुँचाना पैगाम |
पहुँचाना पैगाम, राम का नाम पुकारो |
जाओ ब्लॉगर धाम, चरण चुम्बन कर यारो |
पायेगा पच्चास, मगर बचना घावों से |
रविकर पाए पांच, कुटटियां आकाओं से |
Kashish - My Poetry
ओस रात का दर्द है, आंसू दिल का दर्द |
गर्द भरी यह राह है, बाकी यादें सर्द |
बाकी यादें सर्द , मर्द औरत के रिश्ते |
करूँ बयानी फर्द, रहे हैं रिसते -पिसते |
गहरा घना अंधेर, देर मत करना ईश्वर |
आना जाना फेर, मुक्त कर हारा रविकर ||
वाह वाह क्या बात है, नक्कालों की नाक |
लम्बी होती जा रही, काट सके तो काट |
काट सके तो काट, बड़ी इ'स्टील लगाईं |
इ'स्टोलेन पद लेख, चाहिए बड़ी सफाई |
देखी चोर जमात, निरर्थक भाव जमाते |
निकलेगी बारात, सड़क पर दिखें पिटाते ||
रमता जोगी ही करे, अब समता की बात |
सत्ता-स्वामी जानते, खुराफात संताप |
खुराफात संताप, अंगूठा दिखा रहे अब |
एकलव्य को नाप, द्रोण कहकहा रहे जब |
सत्ता लेती साध, साध रविकर न पाता |
पढ़ जाए इक आध, नहीं अब इन्हें सुहाता ||
मेरे होने का ...
Amrita TanmayAmrita Tanmay
अजब निराला ढंग है, लहर लहर लहराय |
मर्मस्पर्शी रंग है, सहलाए टकराय |
सहलाए टकराय, सदा आनंदित करती |
हुई कभी जो शांत, उदासी कैसी भरती |
लहरे सारी देह, नेह की मेह पुकारे |
अवगाहन की चाह, सुनो हे मोहन प्यारे ||
गुरु,चेला और गुरुघंटाल !
संतोष त्रिवेदीबैसवारी baiswari
प्रश्न-काल को टाल दें, रविकर गुरु-घंटाल |
रट्टू तोते भी फंसे, पिंजरा अंतरजाल |
पिंजरा अंतरजाल, सतत सर्फिंग उपयोगी |
उभय पक्ष जब मस्त, भला कक्षा क्यूँ होगी ?
इंटरनेट पर चैट, तेज कर भेड़-चाल को |
जश्न-काल अल-मस्त, ख़तम कर प्रश्न-काल को ||
कुछ रिश्ते ... (1)
सदा
रिश्तों की यह बानगी, करे प्रभावित देह |
आत्मीय लूला कटुक, पाकीजा हो नेह |
पाकीजा हो नेह, मिले बिन खर्चे कौड़ी |
जरा नहीं संदेह, करे है छाती चौड़ी |
पर रविकर दुश्वार, यार का प्यार पराया |
दुनिया लंगी मार, गिराए नश्वर काया ||
नहीं पढूंगी तुम्हारी पोस्टों को ..
ZEAL at ZEALआकाओं से दोस्ती, काकाओं का नाम |
बाँकी काकी ढूँढ़ के, पहुँचाना पैगाम |
पहुँचाना पैगाम, राम का नाम पुकारो |
जाओ ब्लॉगर धाम, चरण चुम्बन कर यारो |
पायेगा पच्चास, मगर बचना घावों से |
रविकर पाए पांच, कुटटियां आकाओं से |
हाइकु - जीवन
Kailash SharmaKashish - My Poetry
ओस रात का दर्द है, आंसू दिल का दर्द |
गर्द भरी यह राह है, बाकी यादें सर्द |
बाकी यादें सर्द , मर्द औरत के रिश्ते |
करूँ बयानी फर्द, रहे हैं रिसते -पिसते |
गहरा घना अंधेर, देर मत करना ईश्वर |
आना जाना फेर, मुक्त कर हारा रविकर ||
लम्पट और नक्कालों से सावधान
मनोज पाण्डेय
वाह वाह क्या बात है, नक्कालों की नाक |
लम्बी होती जा रही, काट सके तो काट |
काट सके तो काट, बड़ी इ'स्टील लगाईं |
इ'स्टोलेन पद लेख, चाहिए बड़ी सफाई |
देखी चोर जमात, निरर्थक भाव जमाते |
निकलेगी बारात, सड़क पर दिखें पिटाते ||
द्रोण
अरुण चन्द्र रॉय at सरोकाररमता जोगी ही करे, अब समता की बात |
सत्ता-स्वामी जानते, खुराफात संताप |
खुराफात संताप, अंगूठा दिखा रहे अब |
एकलव्य को नाप, द्रोण कहकहा रहे जब |
सत्ता लेती साध, साध रविकर न पाता |
पढ़ जाए इक आध, नहीं अब इन्हें सुहाता ||
छा गए रविकर आज ,,
ReplyDeleteकहें कोयले को कागा ,
भाज भगौड़े काग ,
खत्म अब तेरा काज .
भई रविकर भाई बेहद सटीक काव्यात्मक सारांश दोनों पोस्टों का .आभार .अब पोस्ट देखें दोनों जगह शोभित हैं आपकी -कुंडली
अतिशय मोटी अक्ल में, आई मोटी बात |
पांच मर्तवा खाइए, प्राकृतिक सौगात |
प्राकृतक सौगात, फास्ट-फूडों से बचिए |
रिस्य रिसर्चर राय, सुगढ़ काया यह रचिए |
समाधान मधुमेह, छोड़ दें आदत खोटी |
सतत आकलन देह, होय न अतिशय मोटी ||
बहुत बढिया ।
ReplyDeleteवाह वाह....आभार ।
ReplyDeleteशानदार प्रस्तुति के लिए शुक्रिया और आभार रविकर जी !
ReplyDeleteवाह:अच्छी प्रस्तुति ..
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद सर!
ReplyDeleteसादर
Good retorts ! (as usual)
ReplyDeleteबेहद खास अंदाज में सुन्दर प्रस्तुति..ये केवल आप ही कर सकते हैं.. बधाई..
ReplyDeleteमेरी रचना शामिल करने के लिए आभार कविराज , सभी लिंक पठनीय ...
ReplyDeleteवाह यहाँ भी वही है जो वहाँ है
ReplyDeleteपता नहीं लगता रविकर कहाँ कहाँ है !