सियानी गोठ
अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)
रविकर गिरगिट एक से, दोनों बदलें रंग | रहे गुलाबी खिला सा, हो सफ़ेद हो दंग | हो सफ़ेद हो दंग, रचे रचना गड़बड़ सी | झड़े हरेरी सकल, तनिक जो बहसा बहसी | कभी क्रोध से लाल, कभी पीला हो डरकर | बुरा है इसका हाल, घोर काला मन रविकर || |
माँ के गर्भाशय का बेटियों में सफल प्रत्यारोपण
Virendra Kumar Sharma
कहते हम हरदम रहे, महिमा-मातु अनूप ।
पावन नारी का यही, सबसे पावन रूप ।
सबसे पावन रूप, सदा मानव आभारी ।
जय जय जय विज्ञान, दूर कर दी बीमारी ।
गर्भाशय प्रतिरोप, देख ममता रस बहते ।
माँ बनकर हो पूर्ण, जन्म नारी का कहते ।।
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कुछ आंसू घडियाली सेडाली दुनिया पर नजर, होती जलकर कोल |खाली गाली दे रहे, खोल सके ना पोल | खोल सके ना पोल, दुश्मनी करें प्यार से | ममता को एहसास, बने नहिं काम रार से | रहा भरोसा डोल, चाल यह देखी भाली | बढ़ा मुलायम रोल, नजर माया ने डाली || |
आज के व्यंजन
kush
सोते कवि को दे जगा, गैस सिलिंडर आज ।
असम जला, बादल फटा, गरजा बरसा राज ।
गरजा बरसा राज, फैसला पर सरकारी ।
मार पेट पर लात, करे हम से गद्दारी ।
कवि "कुश" जाते जाग, पुत्र रविकर के प्यारे ।
ईश्वर बिन अब कौन, यहाँ हालात सुधारे ।। |
Untitledकविता विकास
काव्य वाटिका
मस्त मस्त है गजल यह , किसका कहें कमाल । खुश्बू जो पाई जरा, हुवे गुलाबी गाल । हुवे गुलाबी गाल, दिखे प्यारे गोपाला । काले काले श्याम, मुझे अपने में ढाला । बहुरुपिया चालाक, शाम यह अस्तव्यस्त है । वो तो राधा संग, दीखता बड़ा मस्त है ।। |
गधे का गाना (काव्य-कथा)
Kailash Sharma
अपनी अच्छी आदत पर भी, समय जगह माहौल देखकर |
इस्तेमाल अकल का करके, अंकुश लगा दबाना बेहतर | कथा गधे की यही सिखाये, यही कहे चालाक लोमड़ी- जो भी ऐसा नहीं करेगा, गधा बनेगा गा-कर पिटकर || |
भारत भारत खुला.
खुला खुला भारत खुला, धुला धुला पथ पाय |
ईस्ट-वेस्ट इण्डिया में, सब का मन हरसाय | सब का मन हरसाय, आय के चाय पिलाओ | डबल-रोटियां खाय, हुकूमत के गुण गाओ | बंद हमेशा बंद, कंद के पड़ते लाले | गोरे लाले मस्त, रो रहे लाले काले || |
क्या ब्लॉग जगत के नारी वादियों की वाद प्रियता शून्य हो चली है?क्वचिदन्यतोSपि...बढ़िया घटिया पर बहस, बढ़िया जाए हार | घटिया पहने हार को, छाती रहा उभार | छाती रहा उभार, दूर की लाया कौड़ी | करे सटीक प्रहार, दलीले भौड़ी भौड़ी | तर्कशास्त्र की जीत, हारता मूर्ख गड़रिया | बढ़िया बढ़िया किन्तु, तर्क से हारे बढ़िया || |
मौका बढ़िया ताड़ के, नेहरु लेते साध |
नेता जी से हो गया, शुद्ध युद्ध अपराध | शुद्ध युद्ध अपराध, भेज कर चिट्ठा बरसे | सहा सोवियत रूस, सभी गोरे थे हरसे | बना ब्रिटिश अभिलेख, आज रविकर नहिं चौका | नेहरु का कश्मीर, गालियों का है मौका || |
uttam
ReplyDeleteबहुत बढिया।
ReplyDeleteपिसकर पाती रंग ज्यों ,लाल मेंहदी रंग
ReplyDeleteगिरगिट सा बदलो नहीं,रंग समय के संग
रंग समय के संग , बनो मत अवसरवादी
लाज राखिये श्वेत - रंग की होती खादी
श्याम रंग में डूब,माथ पर चंदन घिसकर
सीख ! मेंहदी लाल -रंग पाती है पिसकर ||
बहुत बढ़िया बेहतरीन चर्चा ...!!
ReplyDeleteआभार .
बहुत बढ़िया सर
ReplyDeleteबहुत बढ़िया बेहतरीन रविकर सर !!!!!!
ReplyDeleteमाननीय श्री देवेन्द्र गौतम जी और श्री रविकर जी के प्रयास से " गंगा-दामोदर ब्लॉगर्स एसोसियेशन " के शुरुवात की पहल की गयी । यह बहुत ही सराहनीय कदम होगा तथा साहित्य प्रेमी इससे लाभान्वित होंगे । आशा है जल्द से जल्द इस एसोसियेशन के गठन के लिए मित्र - बंधु आगे आयेंगे । -- शुभ आकांक्षी (कविता विकास)
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