आधा सच
सुवन सातवाँ सिलिंडर, माया लड़की रूप ।
छूट उड़ी आकाश की, वाणी सुन रे भूप ।
वाणी सुन रे भूप, कंस कंगरसिया मामा।
पैदा खुदरा पूत, आठवां कृष्णा नामा ।
लेगा तेरे प्राण, यही वह पुत्र आठवाँ ।
किचेन देवकी जेल, कहे है सुवन सातवाँ ।।
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मगन मना मानव मुआ, याद्दाश्त कमजोर | लप्पड़ थप्पड़ छड़ी छड, चाबुक रहा खखोर | चाबुक रहा खखोर, बड़ी यह चमड़ी मोटी | न कसाब न गुरू, घुटाला हाला घोटी | लेकिन दर्पण अगर, दिखा दो इसको कोई | भौंक भौंक मर जाय, लाश पर लज्जा रोई || |
कॉग्रेस का हाथ किसके साथ........
हाथ हथौड़ा है सखे, भाग सके तो भाग | खुली खदानें हैं पड़ी, भस्म कोयला आग | भस्म कोयला आग, गैस से भरी खदाने | कर खुदरा व्यापार, कमीशन इसी मुहाने | शीश घुटाले घड़े, बड़ा चिकना अति भौंड़ा | कर ले फिंगर क्रास, इटलियन हाथ हथौड़ा || वोलमार्ट का विरोध अमेरिका मे भी ( वीडियो सबूत के साथ )
SACCHAI
सिंह आज तक मौन था, सुन ली आज दहाड़ | हाड-मांस खाकर कहे, मौत स्वयं की ताड़ | मौत स्वयं की ताड़, बड़ा ऐलान किया है | बकरे की माँ गैर, तेज नख-दन्त लिया है | खाया सारे ग्राम, आज शहरों को धाये | डीजल खुदरा काम, सिलिंडर कोल चबाये | |
सिर्फ महंगाई का बढना नहीं है यह.....
सालों घर को सजा के, सजा भोगती अन्त । रक्त-मांस सर्वस्व दे, जो जीवन पर्यंत । जो जीवन पर्यंत, उसे वेतन का हिस्सा । लाएगी सरकार, नया बिल ताजा किस्सा । रविकर-पत्नी किन्तु, हड़पती कुल कंगालों । कुछ तो करो उपाय, एक बिल लाना सालों ।। |
आरएसएस के पूर्व सरसंघ चालक सुदर्शन जी का निधन
DR. ANWER JAMAL
हुवे बड़े ये दार्शनिक, है इनका सम्मान | किया समर्पित देह को, सतत लोक कल्याण | सतत लोक कल्याण, बात इक बहुत अनोखी | लिखते दोनों हाथ, साथ में बातें चोखी | रविकर करे प्रणाम, नमन सादर है करता | गये परम गति पाय, कर्म कबहूँ न मरता || |
बड़ा ब्लागर कैसे बनें ?: ‘लंगोटिया ब्लॉगिंग‘: परिभाषा, उपयोग और सावधानियां Hindi Bloggingअदना पदना ढेर हैं, हूँ उनमे से एक |सच्ची बात बताइये, नहीं रहे ना फेंक | नहीं रहे ना फेंक, बड़ा ब्लॉगर है बनना | मिले टिप्पणी चार, इन्हें सौ तो है करना | रचता दस कुंडली, मगर पड़ता है पदना | सुन्दर बढ़िया वाह, मिले यह भी न अदना | |
अन्दर लिखते सीन, करें बाहर सब नाटक-मची हाय-तोबा विकट, सड़कों पर कुहराम |राम नाम ही सत्य है, करे प्रदर्शन जाम | करे प्रदर्शन जाम, कहा की है यह ताकत | ताकत माया बाम, मुलायम ममता झाँकत | अन्दर लिखते सीन, करें बाहर सब नाटक | शतक पाप शिशुपाल, नहीं न, गर्दन काटत || |
यूपीए का डीजल बम , कांग्रेस का निकलेगा दम
Ajit
महाविषैली पूतना, बकासुरी बकवास ।
घटक घुटाले अघासुर, मन मोहन के पास ।
मन मोहन के पास, दु:शासन दुर्योधन-दिग ।
कर्ण-कपिल चिद-द्रोण, पुत्र जिंदल नाबालिग ।
महाराष्ट्र धृतराष्ट्र, निभाती फिर गांधारी ।
शकुनी की जय बोल, तय पांडव की हारी ।।
मात्राओं का दोष नहीं / इनका ही दोष है ।।
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सुन्दर प्रस्तुति है भाईसाहब .व्यंजना के निर्वहन में बहुत आगे निकल गएँ हैं आप .बधाई .
ReplyDeleteशनिवार, 15 सितम्बर 2012
सज़ा इन रहजनों को मिलनी चाहिए
Dr. shyam guptaSeptember 13, 2012 10:10 AM
वीरू भाई आपने जो भी लिखा सब सत्य है..यही होरहा है आजकल...परन्तु आप यदि अमेरिका में यदि बैठे हैं तो आपको कैसे पता चलेगा कि कौन गलत है कौन सही....असीम या आपका वक्तव्य ही क्यों सही माना जाय..???
--वास्तव में तो --राष्ट्रीय प्रतीकों से छेड़छाड बिलकुल उचित नहीं ..
सत्य तथ्य यह है कि हम लोग बड़ी तेजी से बिना सम्यक सोच-विचारे अपनी जाति -वर्ग ( पत्रकार , ब्लोगर , लेखक तथा तथाकथित प्रगतिशील विचारक आदि एक ही जाति के हैं और यह नवीन जाति-व्यवस्था का विकृत रूप बढता ही जा रहा है ) का पक्ष लेने लगते हैं |
---- देश-राष्ट्र व नेता-मंत्री में अंतर होता है ...देश समष्टि है,शाश्वत है....नेता आदि व्यक्ति, वे बदलते रहते हैं, वे भ्रष्ट हो सकते हैं देश नहीं ..अतः राष्ट्रीय प्रतीकों से छेड़-छाड स्पष्टतया अपराध है चाहे वह देश-द्रोह की श्रेणी में न आता हो.. यदि किसी ने भी ऐसा कार्टून बनाया है तो निश्चय ही वे अपराध की सज़ा के हकदार हैं ....साहित्य व कला का भी अपना एक स्वयं का शिष्टाचार होता है..
--- अतः वह कार्टूनिष्ट भी देश के अपमान का उतना ही अपराधी है जितना आपके कहे अनुसार ये नेता...
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ब्लॉग
भारतीय ब्लॉग लेखक मंच
श्याम स्मृति..The world of my thoughts...डा श्याम गुप्त का चिट्ठा..
जरा बच के : ये हैं ब्लाग के आतंकी !
ReplyDeleteआधा सच
सुवन सातवाँ सिलिंडर, माया लड़की रूप ।
छूट उड़ी आकाश की, वाणी सुन रे भूप ।
वाणी सुन रे भूप, कंस कंगरसिया मामा।
पैदा खुदरा पूत, आठवां कृष्णा नामा ।
लेगा तेरे प्राण, यही वह पुत्र आठवाँ ।
किचेन देवकी जेल, कहे है सुवन सातवाँ ।।
पूरे सच से ये भाकुवे वाकिफ ही कहाँ हैं .
शनिवार, 15 सितम्बर 2012
सज़ा इन रहजनों को मिलनी चाहिए
डॉ श्याम गुप्त जी !
जिन पर संसद की मर्यादा का भार था ,वह रहजन हो गए ,थुक्का फजीहत की है सांसदों ने संसद की जिनमें तकरीबन १५० तो अपराधी हैं .क्या नहीं होता संसद में क्या नोट के सहारे संख्या नहीं बढ़ाई जाती ?क्या इसी संसद में इक राज्य पाल को बूढी गाय और पूर्व राष्ट्र पति को यह नहीं कहा गया -इक हथिनी पाल रखी है .क्या ये तमाम राहजन(रहजन ) आज जिनके हाथ काले हैं संसद की मर्यादा का दायित्व निभा सके ?
असीम त्रिवेदी को आज इस पीड़ा में किसने डाला .किसने किया उसे आत्महत्या के लिए प्रेरित .वह तो चित्र व्यंग्य से अपनी रोटी चला रहा था .उस रोटी को भी उसने देश की वर्तमान अवस्था से दुखी होकर दांव पे लगा दिया .जिन नेताओं को सज़ा मिलनी चाहिए उनके प्रति यदि सहानुभूति जतलाई गई ,सारे युवा गुमराह हो जायेंगे ,
ये असीम त्रिवेदी की और श्याम गुप्त जी यहाँ अमरीका में हमारी व्यक्तिगत दुखन नहीं है ,हत्यारों के बीच खड़े होकर उन्हें हत्यारा कहना बड़ी हिम्मत का काम होता है .जोखिम का भी .असीम ने यह जोखिम क्या लखनऊ वालों को तमाशा दिखाने के लिए उठाया है जो उसे सज़ा दिलवाने की पेश कर रहें हैं .
ये कैसे भले मानस प्रधान मंत्री हैं जो कहतें हैं :हम जायेंगे तो लड़ते हुए जायेंगे .हाथ में खंजर लिए ये किससे शहादती मुद्रा में लड़ने की बात कह रहें हैं ?क्या उस निरीह जनता से जिसके पहले इन्होनें ,गोसे (उपले ,कंडे )छीन लिए ,जिस जंगल से वह इक्का दुक्का लकड़ी बीनता था उसे वहां से बे -दखल कर दिया और अब कह रहें हैं इक महीने में आधे गैस सिलिंडर से काम चलाओं .जो साल में सातवाँ सिलिंडर खरीदेगे उनसे खुले बाज़ार की कीमत ७६० रुपया ली जायेगी ,सातवें ,आठवें ,नौवें सिलिंडर की भी ..
लखनऊ में बैठा आदमी कार्टूनिस्ट की पीड़ा क्या समझ सकता है .पकड़ा जाना चाहिए चोर की माँ को ,जिनपे जिम्मेवारी है संसद की गरिमा ,मर्यादा ,सविधानिक संस्थाओं की मर्यादाओं को बनाए रखने की ,वह देश के शौर्य के प्रतीक सेनापति (पूर्व सेना अध्यक्ष )को कहतें हैं :इसकी औकात क्या है ये तो सरकारी नौकर है .
पकड़ा जाना चाहिए इन्हें .
आज नेताओं ने गत पैंसठ सालों में सब कुछ तोड़ दिया है .अब तो विनाश के बाद सुधार की अवस्था है .
जब किसी भवन (इमारत ) की शीर्ष मंजिल गिर जाती है तब सुरक्षा के लिए बाकी मंजिलों को भी गिराया जाता है .
व्यंग्य चित्र या चित्र व्यंग्य की धार लिखे हुए शब्दों लेखन से कहीं ज्यादा होती है इस धार से कार्टूनिस्ट भी छिलता है बच नहीं पाता है .शासन श्याम गुप्त जी मर्यादाओं से चलता है .अपने प्रताप से चलता है .व्यंग्यकार अपने व्यंग्य की धार खुद भी झेल लेता है .मुक़दमे इन नेताओं पर चलने चाहिए जो निशि बासर संसद का अपमान करतें हैं .तिरंगे का अपमान करते हैं .जिसने आज आम आदमी को असीम त्रिवेदी जैसे आदमी को हर संवेदन शील व्यक्ति को वहां लाकर खडा कर दिया है जहां से वह पत्थर उठाकर अपना सिर खुद फोड़ रहा है .
शासन ने देश को स्वाभिमान विहीन कर दिया है .यह बात व्यक्ति के अपने दर्द की बात है व्यभि चारी मंत्री को उसे माननीय कहना पड़ता है .जो खुद संविधानिक संस्थाओं को गिरा रहें हैं उन वक्र मुखियों के मुंह से देश की प्रतिष्ठा की बात अच्छी नहीं लगती .फिर चाहे वह दिग्विजय सिंह हों या मनीष तिवारी .उन्हें और किसी और को भी यह हक़ नहीं है कि वह त्रिवेदी पे इलज़ाम लगाएं .आपको भी जो उसके लिए सजा की पेश कर रहें हैं सज़ा का क्वांटम भी बता देते .
मेरे आदरणीय दोस्तों ,मान्य सभी चिठ्ठाकार बंधू और बांध्वियों ,आपका आवाहन करता हूँ टिप्पणियों की समिधा बिंदास होकर डाले ,मुद्दा भारत धर्मी समाज का है ,भारत की अस्मिता का है .मेरा कोई आग्रह नहीं है ,मैं ने जो कहा है वह सत्य है .मैं ऐसा मानता भर हूँ .
वीरुभाई ,43 ,309 ,सिल्वरवुड ड्राइव ,कैंटन ,मिशिगन 48 188
सज़ा इन रहजनों को मिलनी चाहिए
सुप्रभात..! हिन्दी पखवाड़े की हार्दिक शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteवाह ... बहुत ही बढिया ।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया..
ReplyDeleteहिन्दी पखवाड़े की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
ReplyDelete--
बहुत सुन्दर प्रविष्टी!
इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (16-09-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!