आनुवंशिक तौर पर सुधरी फसलों की हकीकत ,कितना खतरनाक है यह खेल जो खेला जा रहा है .(दूसरी क़िस्त ) .
Virendra Kumar Sharma
धरती बंजर कर रहा, पौरुष पर आघात |
सत्यानाशी बीज का, छल कपटी आयात |
छल कपटी आयात, जड़ों हिजड़ों की पीड़ा |
करते दावा झूठ, फसल को खाता कीड़ा |
बढे कर्ज का बोझ, बड़ी आबादी मरती |
उत्पादन घट जाय, होय बंजर यह धरती ||
करकश करकच करकरा, कर करतब करग्राह ।
तरकश से पुरकश चले, डूब गया मल्लाह ।
डूब गया मल्लाह, मरे सल्तनत मुगलिया ।
जजिया कर फिर जिया, जियाये बजट हालिया ।
धर्म जातिगत भेद, याद आ जाते बरबस ।
जीता औरंगजेब, जनेऊ काटे करकश ।
करकश=कड़ा करकच=समुद्री नमक
करकरा=गड़ने वाला
कर = टैक्स
करग्राह = कर वसूलने वाला राजा
Madan Mohan Saxena
उच्चस्तर पर सम्पदा, रहे भद्रजन लूट ।
संचित जस-तस धन करें, खुली मिली है छूट ।
खुली मिली है छूट, बटे डीरेक्ट कैश अब ।
मनरेगा से वोट, झपटता पंजा सरबस ।
लेकिन मध्यम वर्ग, गिरे गश खा कर रविकर ।
मंहगाई-कर जोड़, छुवें दोनों उच्चस्तर ॥
सौदायिक बिन व्याहता, करने चली सिंगार |
गहने पहने मांग कर, लेती कई उधार |
(भाजपा की ओर इशारा)
लेती कई उधार, खफा पटना पटनायक |
खानम खाए खार, करे खारिज खलनायक |
(जदयू, बीजद , मुस्लिम)
हौदा हाथी रहित, साइकिल बिना घरौंदा |
नहीं हिन्दु में ताब, पटे ना मोदी सौदा ||
(माया-मुलायम)
सौदायिक= स्त्री-धन
नइखे= नहीं
आनुवंशिक तौर पर सुधरी फसलों की हकीकत ,कितना खतरनाक है यह खेल जो खेला जा रहा है .(दूसरी क़िस्त ) .
Virendra Kumar Sharma
धरती बंजर कर रहा, पौरुष पर आघात |
सत्यानाशी बीज का, छल कपटी आयात |
छल कपटी आयात, जड़ों हिजड़ों की पीड़ा |
करते दावा झूठ, फसल को खाता कीड़ा |
बढे कर्ज का बोझ, बड़ी आबादी मरती |
उत्पादन घट जाय, होय बंजर यह धरती ||
छल कपटी आयात, जड़ों हिजड़ों की पीड़ा |
करते दावा झूठ, फसल को खाता कीड़ा |
बढे कर्ज का बोझ, बड़ी आबादी मरती |
उत्पादन घट जाय, होय बंजर यह धरती ||
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Madan Mohan Saxena
उच्चस्तर पर सम्पदा, रहे भद्रजन लूट ।
संचित जस-तस धन करें, खुली मिली है छूट ।
खुली मिली है छूट, बटे डीरेक्ट कैश अब ।
मनरेगा से वोट, झपटता पंजा सरबस ।
लेकिन मध्यम वर्ग, गिरे गश खा कर रविकर ।
मंहगाई-कर जोड़, छुवें दोनों उच्चस्तर ॥
संचित जस-तस धन करें, खुली मिली है छूट ।
खुली मिली है छूट, बटे डीरेक्ट कैश अब ।
मनरेगा से वोट, झपटता पंजा सरबस ।
लेकिन मध्यम वर्ग, गिरे गश खा कर रविकर ।
मंहगाई-कर जोड़, छुवें दोनों उच्चस्तर ॥
सौदायिक बिन व्याहता, करने चली सिंगार |
गहने पहने मांग कर, लेती कई उधार |
(भाजपा की ओर इशारा)
लेती कई उधार, खफा पटना पटनायक |
खानम खाए खार, करे खारिज खलनायक |
(जदयू, बीजद , मुस्लिम)
गहने पहने मांग कर, लेती कई उधार |
(भाजपा की ओर इशारा)
लेती कई उधार, खफा पटना पटनायक |
खानम खाए खार, करे खारिज खलनायक |
(जदयू, बीजद , मुस्लिम)
हौदा हाथी रहित, साइकिल बिना घरौंदा |
नहीं हिन्दु में ताब, पटे ना मोदी सौदा ||
(माया-मुलायम)
नहीं हिन्दु में ताब, पटे ना मोदी सौदा ||
(माया-मुलायम)
सौदायिक= स्त्री-धन
नइखे= नहीं
बहुत सुंदर प्रस्तुति,,,
ReplyDeleteRECENT POST: पिता.
ReplyDeleteआनुवंशिक तौर पर सुधरी फसलों की हकीकत ,कितना खतरनाक है यह खेल जो खेला जा रहा है .(दूसरी क़िस्त ) .
Virendra Kumar Sharma
ram ram bhai
धरती बंजर कर रहा, पौरुष पर आघात |
सत्यानाशी बीज का, छल कपटी आयात |
छल कपटी आयात, जड़ों हिजड़ों की पीड़ा |
करते दावा झूठ, फसल को खाता कीड़ा |
बढे कर्ज का बोझ, बड़ी आबादी मरती |
उत्पादन घट जाय, होय बंजर यह धरती ||
बहुत बढ़िया प्रस्तुति सर जी ,टर्मिनेटर बीज (एक फसली बीजों )की हकीकत बयाँ.
करकश करकच करकरा, कर करतब करग्राह ।
ReplyDeleteतरकश से पुरकश चले, डूब गया मल्लाह ।
डूब गया मल्लाह, मरे सल्तनत मुगलिया ।
जजिया कर फिर जिया, जियाये बजट हालिया ।
धर्म जातिगत भेद, याद आ जाते बरबस ।
जीता औरंगजेब, जनेऊ काटे करकश ।
बहुत बढ़िया कुंडली सर जी .
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