| जब आ गए हो तो वहीँ मिलते हैं- | 
 
ज़िंदगी के रंग ....
Pallavi saxena  
  
 बेटे की चाहत रखें, ऐ नादाँ इंसान । 
अधिक जरुरी है कहीं, स्वस्थ रहे संतान । 
स्वस्थ रहे संतान, छोड़ यह अंतर करना । 
दे बेटी को मान, तुझे धिक्कारूं वरना । 
बेटा बेटी भेद, घूमता कहाँ लपेटे । 
स्वस्थ विवेकी सभ्य , चाहिए बेटी बेटे ।।   
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पत्नी-पीड़ित -पतिGhotoo | 
 
सवैया- 
सूखत स्रोत सरोवर नित्य, सहे मन-मीन महा बाधा ।  
पैर पखारन हेतु मंगावत, भक्त पखाल भरा आधा । 
बर्तन एक मंगाय भरा, इक यग्य बड़ा रविकर नाधा । 
साइत आकर ठाढ़ भई पद चिन्ह बनाय गए पाधा ।। 
पखाल=मसक 
पाधा=उपाध्याय  
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"चित्र से काव्य तक प्रतियोगिता" अंक -२०
 http://www.openbooksonline.com/  
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सूखत स्रोत सरोवर नित्य, सहे मन-मीन महा बाधा ।
ReplyDeleteपैर पखारन हेतु मंगावत, भक्त पखाल भरा आधा ।
बर्तन एक मंगाय भरा, इक यग्य बड़ा रविकर नाधा ।
साइत आकर ठाढ़ भई पद चिन्ह बनाय गए पाधा ।।
भावमय सुंदर सवैया,,,,,रविकर जी बधाई
recent post...: अपने साये में जीने दो.
बढिया लिंक्स
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