घर कहीं गुम हो गयाप्यारे प्यारे पूत पे, पिता छिड़कता जान ।
अपने ख़्वाबों को करे, उसपर कुल कुर्बान ।
उसपर कुल कुर्बान, मनाये देव - देवियाँ ।
करे सकल उत्थान, फूलता देख खूबियाँ ।
पुत्र बसा परदेश, वहीँ से शान बघारे ।
पिता हुवे बीमार, और भगवन को प्यारे ।।
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समय की पुकार है
कारे कृपण करेज कुछ, काटे सदा बवाल ।
इसीलिए तो बुरे हैं, भारत माँ के हाल ।
भारत माँ के हाल, हाल में घटना देखा ।
चोरों की घट-चाल, रेवड़ी बटना देखा ।
जाओ तनिक सुधर, समय नित यही पुकारे ।
चिंदी चिंदी होय, धरा दुष्टों धिक्कारे ।।
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“सबसे अच्छी मेरी माता” (अरुणदेव यादव)
माता के चरणों तले, स्वर्ग-लोक का सार ।
मनोयोग से पूँजिये, बार बार आभार ।
बार बार आभार, बचुवा बड़ा लकी है ।
जरा दबा दे पैर, मैया, लगे थकी है ।
रविकर का आशीष, ब्लॉग जो भला बनाता ।
रहे सदा तू बीस, कृपा कर भारत माता ।।
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"समझ"मरुत मरू देता बना, जल अमरू कर देत । मरुद्रुम कांटे त्याग दे, हो अमरूदी खेत । हो अमरूदी खेत, देश भी बना बनाना । बैठे बन्दर खाँय, वहां लेकिन मत जाना । डालेंगे वे नोच, सभी की मिली भगत है । रावण से था युद्ध, सफल वो आज जुगत है ।। |
सर्ग-5 : भगवती शांता इतिश्री राम की सहोदरी : भगवती शांताभाग-1
चंपा-सोम
कई दिनों का सफ़र था, आये चंपा द्वार |
नाविक के विश्राम का, बटुक उठाये भार ||
राज महल शांता गई, माता ली लिपटाय |
मस्तक चूमी प्यार से, लेती रही बलाय ||
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तुम्हे पाने की जिद"अनंत" अरुन शर्मा
दास्ताँने - दिल (ये दुनिया है दिलवालों की )
बंदिश समझो बन्दगी, इधर उधर मत ताक । बहु-तेरे है ताक में, तेरे आशिक-काक । तेरे आशिक-काक, रंजिशे रविकर रखते । रही उन्हीं की धाक, हमेशा साजिश करते । बारिस में मत भीग, मिलेगा उन्हें बहाना । मत कर जिद नादिरे, प्यार तेरा है पाना ।। |
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ReplyDeleteआदरणीय रविकर ये पंक्तियाँ तो ह्रदय में बस गईं. अति सुन्दर सर वाह क्या बात है. मेरी रचना को स्थान दिया अनेक-2 धन्यवाद
ReplyDeleteमाता के चरणों तले, स्वर्ग-लोक का सार ।
मनोयोग से पूँजिये, बार बार आभार ।
क्या बात है .
ReplyDeletebahut sundar likhaa hai ji !
ReplyDeleteआपका टिप्पणी करने का ये अंदाज बहुत भाता है रविकर जी ... आप मानो या ना मानो आपकी टिप्पणी का इंतजार मैं कई दिनों से कर रहा था ... लिंक-लिक्खाड़ पर मेरे ब्लॉग का लिंक आना मेरे लिए सोने पर सुहागा है।
ReplyDeleteआपको कोटि कोटि धन्यवाद रविकर जी।
सराहनीय प्रस्तुति आभार
ReplyDeleteभारत माँ के हाल, हाल में घटना देखा ।
ReplyDeleteचोरों की घट-चाल, रेवड़ी बटना देखा ।
सुंदर पंक्तियाँ,,,,रविकर जी आपने सही कहा,,,,