फ़लस्तीन बच्चों के प्रति .......
यशवन्त माथुर (Yashwant Mathur)
दोनों पक्षों को ख्याल करना पड़ेगा-
*धर्मान्धता *पाखण्ड से बचाना जरुरी है यह बचपन - माँ बाप और दुश्मन में कौन हितैषी हो सकता है इनका ?? कटती मानव नाक है, दर्दनाक यह दृश्य | घटे धर्म की साख है, धर्म लगे अस्पृश्य | धर्म लगे अस्पृश्य, सुनों रे *धर्मालीकी | *धर्मध्वजी जा चेत, कर्म नहिं करो अलीकी | बचपन मन अनजान, बमों से जान सटकती | करो उपाय सटीक, नाक मानव की कटती || |
इज़राइल-फिलिस्तीन विवाद और उसका मूल कारण ( भाग-1)
आशुतोष की कलम
मसला युद्धों से भरा, लंबा यह संघर्ष । लड़ते भिड़ते हो गए, इन्हें हजारों वर्ष । इन्हें हजारों वर्ष, पीढियां खपती जाती । खप्पर भरते जाँय, कालिका भी मुस्काती। लगे लाश अम्बार, धर्म में नफरत जीती । नहीं भूलते पक्ष, पुरानी बातें बीती । |
हमलावर यह सिद्ध, कराती सत्ता हांसी | राष्ट्र-शत्रु यह घोर, छुपा कर क्यूँ हो फांसी || सच में इस झूठी और घोटालेबाज सरकार पर शक़ यहां तक होता है कि कसाब को सचमुच फांसी हुई भी है या नहीं ?! जो भी हो मच्छर बधाई का पात्र है :) मैंने लिखा - सोया शासन-तंत्र तब जागा मच्छर एक ! काम बुरे सौ-सौ किये , एक कर गया नेक !! काम कर गया नेक , काट कर आतंकी को ! दोज़ख़ दीन्हा भेज , कसबिये ज़ेहादी को !! क्रेडिट ले सरकार ; कसब का कुनबा रोया ! अफ़जल ! करले ख़ैर… जब तलक शासन सोया !! … शुभकामनाओं सहित… राजेन्द्र स्वर्णकार
मच्छर भी कर दे कभी, घटना बड़ी अनीक |
वाह वाह राजेद्र जी, कहते बात सटीक |
कहते बात सटीक , मगर संसद के मच्छर |
लगते कितने ढीठ, पालते हैं हमलावर |
काटे केवल माल, काटते सीधा रविकर |
मरेंगे अपनी मौत, मार नहिं पाए मच्छर ||
---रविकर
|
आँसू को शबनम लिखते हैंश्यामल सुमन |
मनमोहनजी का तो टीवी ख़राब है !!
Bamulahija dot Com
टी वी इनका ठीक है, लगा नहीं सेट टॉप । एनालाग डिजिटल हुआ, टॉप करे फ्लिप-फ्लॉप । टॉप करे फ्लिप-फ्लॉप, खबर मिलना ना मिलना । कहे बरोबर शिंद, नया गुल है ना खिलना । मंहगाई से त्रस्त, करे दिक् इन्हें गरीबी । ऍफ़ डी आई मस्त, नया ह़ी पाए टी वी ।। |
ये दुनिया जल रही होगी
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
कामिल काबिल हैं भरे, नीति नियम से लैस ।
प्राप्त मार्ग-दर्शन करो, नहीं दिलाओ तैस ।
नहीं दिलाओ तैस , भस्म कर देंगे क्रोधित ।
मोर देख मत पैर, स्वयं पर हैं सम्मोहित ।
भेज रखे जब दूत, नहीं क्यूँ सोवे गाफिल ।
जले-बुझे जग मिटे, ढेर भेजे हैं कामिल ।।
|
कार्टून कुछ बोलता है- मर्ज की दवा !
पी.सी.गोदियाल "परचेत"
मच्छर खच्चर हैं बड़े, अक्षर दिखते भैस । बैठ गुरू करता रहा, कक्षा अन्दर ऐश । कक्षा अन्दर ऐश, पढाया कितने पट्ठे । हथियारों से लैश, धमकते जाय इकट्ठे । फिर भी उनको चैन, परेशाँ जनता रविकर । करे हिफाजत शिष्य, मारते हिट से मच्छर । |
बहुत बहुत धन्यवाद अंकल !
ReplyDeleteसादर
ReplyDeleteकटती मानव नाक है, दर्दनाक यह दृश्य |
घटे धर्म की साख है, धर्म लगे अस्पृश्य |
धर्म लगे अस्पृश्य, सुनों रे *धर्मालीकी |
*धर्मध्वजी जा चेत, कर्म नहिं करो अलीकी |
बचपन मन अनजान, बमों से जान सटकती |
करो उपाय सटीक, नाक मानव की कटती ||
काव्य फलक नै परवाज़ भर रहा है रविकर जी का बढ़िया प्रयोग अलीकी ,धर्म ध्वजी जैसे शब्दों के बाने का .
इत खारिज हो याचिका, उत जाता दफ़नाय-रविकर
ReplyDeleteहमलावर यह सिद्ध, कराती सत्ता हांसी |
राष्ट्र-शत्रु यह घोर, छुपा कर क्यूँ हो फांसी ||
सच में इस झूठी और घोटालेबाज सरकार पर शक़ यहां तक होता है कि कसाब को सचमुच फांसी हुई भी है या नहीं ?!
जो भी हो मच्छर बधाई का पात्र है
:)
मैंने लिखा -
सोया शासन-तंत्र तब जागा मच्छर एक !
काम बुरे सौ-सौ किये , एक कर गया नेक !!
काम कर गया नेक , काट कर आतंकी को !
दोज़ख़ दीन्हा भेज , कसबिये ज़ेहादी को !!
क्रेडिट ले सरकार ; कसब का कुनबा रोया !
अफ़जल ! करले ख़ैर… जब तलक शासन सोया !!
बेहतरीन तंज .कुछ भी कर सकती है साख खो चुकी सरकार
बहुत सुंदर...
ReplyDeleteबेहतरीन दिल्लगी दिनेश भाई की - क्या कहने? एक श्रम-साध्य और सार्थक प्रयास हेतु बधाई
ReplyDeleteसादर
श्यामल सुमन
09955373288
http://www.manoramsuman.blogspot.com
http://meraayeena.blogspot.com/
http://maithilbhooshan.blogspot.com/
Aabhar Ravikar ji !
ReplyDeleteबहुत विचारणीय कथ्य होता है आपके वक्तव्यों में - लिंक्स के चुनाव बढ़िया !
ReplyDelete