Entry | Pageviews | |||||||||
---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|
41
| ||||||||||
20
| ||||||||||
19
| ||||||||||
9
| ||||||||||
8
| ||||||||||
7
| ||||||||||
7
|
अर्द्ध -अनिद्रा बोले तो सेमी -सोम्निया (Semi -somnia)बला क्या है ?Virendra Kumar Sharma
ram ram bhai
डायन यह प्रौद्यिगिकी, बेवफा हुश्न के बैन । उल्लू जागे रातभर, गोली खाय कुनैन । गोली खाय कुनैन, अर्धनिद्रा बेचैनी । देखे झूठे सैन, ताकता फिर मृग-नैनी । बढ़े मूत्र का जोर, टेस्ट मधुमेह करायन । औषधि नियमित खाय, खाय पर निद्रा-डायन ।। |
पुस्तकें मौन हैं !
संतोष त्रिवेदी
महबूबा नाराज है, कूड़े में सरताज ।
बोल चाल कुल बंद है, कौन उठावे नाज ।
कौन उठावे नाज, अकेले खेले झेले ।
तीनों बन्दर मस्त, दूर सब हुवे झमेले ।
खाली कर ये रैक, पुस्तकें नहीं अजूबा ।
करदे या तो पैक, रही अब न महबूबा ।।
|
इक ऐसा सच!!!
Rajesh Kumari
व्यथा मार्मिक है सखी, शुरू कारगिल युद्ध । तन मन में हरदम चले, वैचारिकता क्रुद्ध । वैचारिकता क्रुद्ध , पकड़ जग-दुश्मन लेता । दुष्ट दानवी सोच, छेद वह काया देता । लड़िये जब तक सांस, कामना सत्य हार्दिक । रखिये याद सहेज, बड़ी यह व्यथा मार्मिक ।। |
ब्लॉगर होते जा रहे, पॉलिटिक्स में लिप्त |
राजग यू पी ए भजें, मिला मसाला तृप्त | मिला मसाला तृप्त, उठा ले लाठी डंडा | बने प्रचारक पेड, चले लेखनी प्रचंडा | धैर्य नम्रता ख़त्म, दांत पीसे अब रविकर | दे देते हैं जख्म, कटकहे कितने ब्लॉगर - |
ब्लॉग परिचय ''यादें ''
आमिर दुबई
आदरणीय अशोक जी, कहें सलूजा सा'ब । यादें इनका ब्लॉग है, पढ़ते गजल जनाब । पढ़ते गजल जनाब, बड़े जिंदादिल शायर । कंकड़ पत्थर बीच, दीखते आप *सफायर ।। स्वस्थ रहें सानंद, बधाई देता रविकर । शानदार हर शेर, नौमि करता हूँ सादर ।। *नीलम |
विचार
देश भक्ति के नाम पर, भाषण यह उत्कृष्ट |
विंस्टन चर्चिल दाद दें, अंकित स्वर्णिम पृष्ट | अंकित स्वर्णिम पृष्ट, मरा था कर्जन वायली | पर गांधी की दृष्टि, धींगरा व्यर्थ हाय ली | सत्य अहिंसा थाम, काम कर गए शक्ति के | राष्ट्रपिता का नाम, देवता देशभक्ति के || |
जी संपादकों की समझदारी बढ़ी होगी
रणधीर सिंह सुमन
सुनी सुनाई पर सदा, करते थे एतबार । सत्ता-डंडा जोड़ दो, हो कितना खूंखार । हो कितना खूंखार, निखर कर यह आयेंगे । जिंदल मुर्दल सीध, सभी तब हो जायेंगे । क्राइसिस पर अफ़सोस, मगर हिम्मत रख भाई । तनिक मीडिया दोष, करे क्यूँ सुनी सुनाई ।। |
सदा
खलता जब खुलते नहीं, रविकर सम्मुख होंठ |
देह-पिंड में क्यूँ सिमट, खुद को लेता गोंठ || |
नरेन्द्र मोदी : सावधानी हटी, दुर्घटना घटी ...
महेन्द्र श्रीवास्तव
कांगरेस की डूबती, लुटिया बारम्बार ।
हार हार हुल्लड़ हटकु, हरदम हाहाकार ।
हरदम हाहाकार, मौत का कह सौदागर ।
बढ़ा गई सोनिया, विगत मोदी का आदर ।
तरह तरह के चित्र, बिगाड़ें इमेज देश की ।
शत्रु समझ गुजरात, चाल अघ कांगरेस की ।।
|
आसक्ति की मृगतृष्णा
बाँध-बूँध कर लें छुपा, विचलित मन की मीन । विचलित मन की मीन, जीन का किया परीक्षण । बढ़े लालसा काम, काम नहिं आवे शिक्षण । नोट जमा रंगीन, सीन को चूमे रविकर । 'पानी' मांगे मीन, मरे पर जोड़-गाँठ कर । |
आपके लिंक लिक्खाड हमेशा मजेदार होते हैं
ReplyDeleteउम्दा संकलन !!
ReplyDeleteबहुत ही अच्छे लिंक्स चयनित किये हैं आपने ... आभार
ReplyDeleteकांगरेस की डूबती, लुटिया बारम्बार ।
ReplyDeleteहार हार हुल्लड़ हटकु, हरदम हाहाकार ।
हरदम हाहाकार, मौत का कह सौदागर ।
बढ़ा गई सोनिया, विगत मोदी का आदर ।
तरह तरह के चित्र, बिगाड़ें इमेज देश की ।
शत्रु समझ गुजरात, चाल अघ कांगरेस की ।।
बढ़िया प्रस्तुति भाई साहब .
मोदी का क्या बिगड़े मोदी हैं कुलश्रेष्ठ ,..........पूरी करें दिनेश कुं
बढ़िया प्रस्तुति भाई साहब .
ReplyDeleteमोदी का क्या बिगड़े मोदी हैं कुलश्रेष्ठ ,..........
सचमुच न बोलें ,मुख न खोलें तो दोनों सोनिया और राहुल बहुत बड़े विचारक है दोनों में से एक तो आयेगा
,मोदी की झोली भर जाएगा .
नरेन्द्र मोदी : सावधानी हटी, दुर्घटना घटी ...
महेन्द्र श्रीवास्तव
आधा सच...
ReplyDeleteभाव जगत का आलोडन यदि अभिव्यक्ति न पाए ,तो और भी तड़ पाये।एक घटना को शब्द दे दिए हैं आपने
,एक आ -कांक्षा को पर लग गए हैं जैसे ,वो आयेगा ,ज़रूर आयेगा .
व्यथा मार्मिक है सखी, शुरू कारगिल युद्ध ।
तन मन में हरदम चले, वैचारिकता क्रुद्ध ।
वैचारिकता क्रुद्ध , पकड़ जग-दुश्मन लेता ।
दुष्ट दानवी सोच, छेद वह काया देता ।
लड़िये जब तक सांस, कामना सत्य हार्दिक ।
रखिये याद सहेज, बड़ी यह व्यथा मार्मिक ।।
...जय हो !
ReplyDeleteआभार
रविकर की टिप्पणी सदा मन को भाये
ReplyDeleteलगे मन ज्यों सोने पे सुहागा हो जाये !
आप के स्नेह का आभार !