Tuesday, 27 November 2012

करवा कत्ले-आम अघ, आम आदमी पीस-


किस कांग्रेस पर गर्व करते हैं मनीष तिवारी ?

Virendra Kumar Sharma 

 मिले ब्रितानी को ख़ुशी, ह्युम ढालते ढाल |
सत्तावन की मार से, जो बिगड़े थे हाल |
जो बिगड़े थे हाल, गाल नहिं आज बजाओ |
छद्म गान्धि-सन्तान,चाट तलुवे सहलाओ |
भला करे भगवान्, गर्म दल की नहिं सानी |
अधिवेशन अमृतसर, हुवे सीधे ब्रितानी | 


अपने मुंह मिट्ठू बने, मंत्री मियां मनीष ।
करवा कत्ले-आम अघ, आम आदमी पीस ।
आम आदमी पीस, झेलते आम-शूल हैं ।
कर ले जलसे-आम, किन्तु यह आम-भूल है ।
निश्चित तेरी मौत, काठियावाड़ी घोडा -
मरेगा इक लात, नजर नहीं आय भगोड़ा ।।  

ZEAL 
 ZEAL  
कहती है कटु-सत्य नित, बुरा भला बिलगाय |
ऐसी ही यह डाक्टर, बनता लौह सुभाय |
बनता लौह सुभाय, चलाये बरछी भाला |
देती झट से फाड़, कलेजा काटे काला |
करे तार्किक बात, विषय की आत्मा गहती |
देती हटकु परोस, बात दिल से है कहती ||


ब्रजघाट से हल्द्धानी वाया मुरादाबाद ,रामपुर ,रूद्रपुर

MANU PRAKASH TYAGI  
केले खा कर चल रहे, दिया कैमरा त्यागि  ।
फिर भी फोटो जो दिखे, मनु को चंगे लागि ।।

नैन लगे उस पार

आशा जोगळेकर  
स्व प्न रं जि ता
यमुना बैरिन क्यूँ हुई, मथुरा बसते श्याम ।
विरह वियोगिन बन पड़ी, छूटे काम तमाम ।। 



दाम्पत्य जीवन के आठ वर्ष

KK Yadav  

वर्ष-गाँठ आई सुखद, *आठ-गाँठ-कुम्मैद |
मस्त रहें आठो पहर, इक दूजे में कैद |

इक दूजे में कैद, किन्तु दुनिया भी घूमें |
बने बच्चियां श्रेष्ठ, पताका नभ को चूमे |

नौ रविकर कर नौमि, हुआ है तन मन गदगद |
शुभकामना असीम, वर्ष-गाँठ आई सुखद ||


*सर्व-गुण-संपन्न |


रविकर गिरगिट एक से, दोनों बदलें रंग-




 रविकर गिरगिट एक से, दोनों बदलें रंग |
रहे गुलाबी ख़ुशी मन, हो सफ़ेद जब दंग |

हो सफ़ेद जब दंग, रचे रचना गड़बड़ सी |
झड़े हरेरी सकल, होय गर बहसा-बहसी |

सुबह क्रोध से लाल, शाम पीला हो डरकर |
 है बदरंगी हाल, कृष्ण-काला मन रविकर ||

गुरूजी के साथ  

रविकर का आशीष, बेटियाँ बढ़ें हमारी

जिम्मेदारी का वहन, करती बहन सटीक |
मौके पर मिलती खड़ी, बेटी सबसे नीक |
बेटी सबसे नीक, पिता की गुड़िया रानी |
चले पकड़ के लीक, बेटियां बड़ी सयानी |
रविकर का आशीष, बेटियाँ बढ़ें हमारी |
मातु-पिता जा चेत, समझ निज जिम्मेदारी || 

 जन -नानक

udaya veer singh 
सादर नमन रविकर करे, होवे प्रकाशित आत्मा |
विश्व से अघ-तम मिटे, शैतान का हो खात्मा ||

 Akanksha
हुई सयानी जब सुता, जगी सयानी मातु |
साम दाम फिर दंड से, बात सही समझातु ||

 युवा सोच युवा खयालात 

आकर्षण होता ख़तम, व्यक्ति हो रहा गौण ।
पका पकाया माल हो, लगे मीडिया दौड़ ।
लगे मीडिया दौड़, घुटाले रेपकांड हों ।
पार्टी का हो गठन, समय तो वहां डांड़ हो ।
प्रायोजित हों न्यूज, ब्लैक मेलिंग का घर्षण ।

आम आदमी अगर, ख़त्म होता आकर्षण ।।

"बड़ी मुश्किल में हूँ, मैं किधर जाऊँ...!" (कार्टूननिस्ट-मयंक खटीमा)

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण) कार्टूनिस्ट-मयंक खटीमा (CARTOONIST-MAYANK)  

राष्ट्रवाद की तरफ या, 'बहू'-राष्ट्र की ओर ।
यह बैठूं निरपेक्ष गुट, जैसे बैठ करोर ।
जैसे बैठ करोर, हमें नृप से क्या हानी ।
गवर्नमेंट सर्वेंट, छोड़ ना होउब रानी ।
एक ऑप्शन और, बात यह बहुत बाद की ।
 जीतेगा उन्माद, हार हो राष्ट्रवाद की ।।
   
भाई जी तो फॉर्म में, गुगली देते डाल।
पत्रकार की हड़बड़ी, जला मधुबनी हाल ।।

 अब जमीन का मोल क्या, गर किसान के पास ।
 सोना उगलेगी वही, खरीदार गर ख़ास ।।

मिला दंड था तभी तो, छोड़ा पाकिस्तान ।
दुष्ट पंथ दो काज हों, पिछड़े हिन्दुस्तान ।।

अल्संख्यकों को मिले, पहला हक़ श्रीमान ।
बने नामधारी तभी, लूटपाट  सामान  ।।

आम आदमी को "आम" की तरह ख़ास आदमी चूसता रहा है..!!

PD SHARMA, 09414657511 (EX. . VICE PRESIDENT OF B. J. P. CHUNAV VISHLESHAN and SANKHYKI PRKOSHTH (RAJASTHAN )SOCIAL WORKER,Distt. Organiser of PUNJABI WELFARE SOCIETY,Suratgarh (RAJ.) at 5TH Pillar Corruption Killer
सत्तावन में थे मरे, जब अंग्रेज हजार ।
कान्ग्रेस का जन्म हो, धर धरती हथियार ।
धर धरती हथियार, सँभाले तिलक बोस थे  ।
लाल बाल अरविन्द, पाल से भरे जोश थे ।
बाँट बाँट के काट, किये टुकड़े हैं बावन ।
खड़ी होय अब खाट, पुन:आया सत्तावन ।।

करते कत्ले आम हो, पड़ें आम पर लात ।
आम आदमी की करो, किस मुंह से तुम बात ।
किस मुंह से तुम बात, राष्ट्रवादी इक साइड ।
बहू-राष्ट्र की पकड़, विदेशी जिसके गाइड  ।
आम आदमी आज, तड़प करके हैं मरते ।
नेताओं का शौक, बड़े से गड्ढे करते ।।

7 comments:

  1. बे-शक भारतीय ज्ञान और संपदा की बड़े पैमाने पर लूट हुई है आज भी औषधीय पादपों की हो रही है ,वास्तु और शिल्प की भी लेकिन भारतीय विज्ञानिक धारा के नामचीन लोगों कणाद ,आर्य भट्ट आदि ,इनके पूर्व वृतियों का भी राष्ट्रीय शैक्षिक एवं अनुसंधान परिषद् NCERT(NATIONAL COUNCIL OF EDUCATIONAL RESEARCH AND TRAINING ) द्वारा तैयार पुस्तकों में बाकायदा ज़िक्र है .हमारे वैज्ञानिक पुस्तक भाग 1 /भाग 2 भी उपलब्ध है सभी नामचीन विज्ञानियों पर अलग से भी पुस्तकें हैं .कृपया नोट करें .

    अपनी जानकारी को अद्यतन करें .


    TUESDAY, 27 NOVEMBER 2012

    करवा कत्ले-आम अघ, आम आदमी पीस-

    किस कांग्रेस पर गर्व करते हैं मनीष तिवारी ?
    Virendra Kumar Sharma
    ram ram bhai

    मिले ब्रितानी को ख़ुशी, ह्युम ढालते ढाल |
    सत्तावन की मार से, जो बिगड़े थे हाल |
    जो बिगड़े थे हाल, गाल नहिं आज बजाओ |
    छद्म गान्धि-सन्तान,चाट तलुवे सहलाओ |
    भला करे भगवान्, गर्म दल की नहिं सानी |
    अधिवेशन अमृतसर, हुवे सीधे ब्रितानी |

    अपने मुंह मिट्ठू बने, मंत्री मियां मनीष ।
    करवा कत्ले-आम अघ, आम आदमी पीस ।
    आम आदमी पीस, झेलते आम-शूल हैं ।
    कर ले जलसे-आम, किन्तु यह आम-भूल है ।
    निश्चित तेरी मौत, काठियावाड़ी घोडा -
    मरेगा इक लात, नजर नहीं आय भगोड़ा ।।

    भारतीय ज्ञान और सम्पदा की चोरी
    ZEAL
    ZEAL

    कहती है कटु-सत्य नित, बुरा भला बिलगाय |
    ऐसी ही यह डाक्टर, बनता लौह सुभाय |
    बनता लौह सुभाय, चलाये बरछी भाला |
    देती झट से फाड़, कलेजा काटे काला |
    करे तार्किक बात, विषय की आत्मा गहती |
    देती हटकु परोस, बात दिल से है कहती ||

    ReplyDelete
  2. आपने तो सब कुछ काव्यमय कर दिया ...बधाई .

    ReplyDelete

  3. कितना मुखर है इन पंक्तियों में छिपा संकेत .बढ़िया प्रस्तुति .

    आज याद आया
    Asha Saxena
    Akanksha
    हुई सयानी जब सुता, जगी सयानी मातु |
    साम दाम फिर दंड से, बात सही समझातु ||

    कदे औरों के ब्लॉग पे भी आया जाया करो आशा जी .क्यों देती हो निर-आशा जी .

    ReplyDelete
  4. देह के अपने इस प्रांगण में
    कितनी कीं अठखेली पिया रे
    मधुघट भर भर के छलकाये
    औ रतनार हुई अखियाँ रे ।
    खन खन चूडी रही बाजती
    छम छम छम छम पायलिया रे
    हाथों मेहेंदी पांव महावर
    काजल से काली अंखियां रे
    वसन रेशमी, रेशम तन पर
    केश पाश में बांध हिया रे ।
    कितने सौरभ सरस लुटाये
    तब भी खिली रही बगिया रे ।

    पर अब गात शिथिल हुई जावत
    मधुघट रीते जात पिया रे ।
    पायल फूल कंगन नही भावत
    ना मेहेंदी ना काजलिया रे ।
    पूजा गृह में नन्हे कान्हा
    मन में बस सुमिरन बंसिया रे ।
    तुलसी का एक छोटा बिरवा
    एहि अब रहत मोर बगिया रे

    सेवा पहले की याद करि के
    रोष छोड प्रिय करो दया रे ।
    दिन तो डूब रहा जीवन का
    सांझ ढले, फिर रात पिया रे ।
    नही इस पार जिया अब लागत
    नैन लगे उस पार पिया रे ।

    बांसुरी की मधुर माधुरी सी रचना पढवाई है आपने .लौट लौट के आयेंगे रसास्वादन के लिए ,आयेंगे क्यों

    नहीं .





    नैन लगे उस पार
    आशा जोगळेकर
    स्व प्न रं जि ता
    यमुना बैरिन क्यूँ हुई, मथुरा बसते श्याम ।
    विरह वियोगिन बन पड़ी, छूटे काम तमाम ।।

    ReplyDelete
  5. वाह रविकर सर आज इतने सारे दोहे पढ़कर आनंद आ गया वाह वाह वाह बधाई स्वीकारें

    ReplyDelete

  6. खूबसूरत अंदाज़े सफर जान जोखिम में डालने का रिवाज़ लगता है युनिवर्सल है ऐसी खस्ता हाल है

    सार्वजनिक परिवहन प्रणाली .


    केले खा कर चल रहे, दिया कैमरा त्यागि ।
    फिर भी फोटो जो दिखे, मनु को चंगे लागि ।

    ReplyDelete
  7. अन्ना 'गांधी " हो गए "भगतसिंह "अरविन्द ,

    बिगुल बज गया क्रान्ति का ,जागेगा अब हिन्द (श्री अरुण निगम )

    बिकाऊ मीडिया जो भी करता है टी आर पी के लिए करता है .

    अरविन्द को कवरेज़ न देने की एवज भारी राशि मिली है सो अलग .

    ram ram bhai
    मुखपृष्ठ

    बुधवार, 28 नवम्बर 2012
    किस कांग्रेस पर गर्व करते हैं मनीष तिवारी ?

    http://veerubhai1947.blogspot.in/

    आम आदमी को "आम" की तरह ख़ास आदमी चूसता रहा है..!!
    PD SHARMA, 09414657511 (EX. . VICE PRESIDENT OF B. J. P. CHUNAV VISHLESHAN and SANKHYKI PRKOSHTH (RAJASTHAN )SOCIAL WORKER,Distt. Organiser of PUNJABI WELFARE SOCIETY,Suratgarh (RAJ.) at 5TH Pillar Corruption Killer
    सत्तावन में थे मरे, जब अंग्रेज हजार ।
    कान्ग्रेस का जन्म हो, धर धरती हथियार ।
    धर धरती हथियार, सँभाले तिलक बोस थे ।
    लाल बाल अरविन्द, पाल से भरे जोश थे ।
    बाँट बाँट के काट, किये टुकड़े हैं बावन ।
    खड़ी होय अब खाट, पुन:आया सत्तावन ।।

    करते कत्ले आम हो, पड़ें आम पर लात ।
    आम आदमी की करो, किस मुंह से तुम बात ।
    किस मुंह से तुम बात, राष्ट्रवादी इक साइड ।
    बहू-राष्ट्र की पकड़, विदेशी जिसके गाइड ।
    आम आदमी आज, तड़प करके हैं मरते ।
    नेताओं का शौक, बड़े से गड्ढे करते ।।

    ReplyDelete