किस कांग्रेस पर गर्व करते हैं मनीष तिवारी ?
Virendra Kumar Sharma
मिले ब्रितानी को ख़ुशी, ह्युम ढालते ढाल |
सत्तावन की मार से, जो बिगड़े थे हाल | जो बिगड़े थे हाल, गाल नहिं आज बजाओ | छद्म गान्धि-सन्तान,चाट तलुवे सहलाओ | भला करे भगवान्, गर्म दल की नहिं सानी | अधिवेशन अमृतसर, हुवे सीधे ब्रितानी | अपने मुंह मिट्ठू बने, मंत्री मियां मनीष । करवा कत्ले-आम अघ, आम आदमी पीस । आम आदमी पीस, झेलते आम-शूल हैं । कर ले जलसे-आम, किन्तु यह आम-भूल है । निश्चित तेरी मौत, काठियावाड़ी घोडा - मरेगा इक लात, नजर नहीं आय भगोड़ा ।। |
ZEAL
कहती है कटु-सत्य नित, बुरा भला बिलगाय |
ऐसी ही यह डाक्टर, बनता लौह सुभाय | बनता लौह सुभाय, चलाये बरछी भाला | देती झट से फाड़, कलेजा काटे काला | करे तार्किक बात, विषय की आत्मा गहती | देती हटकु परोस, बात दिल से है कहती || |
ब्रजघाट से हल्द्धानी वाया मुरादाबाद ,रामपुर ,रूद्रपुर
MANU PRAKASH TYAGI
फिर भी फोटो जो दिखे, मनु को चंगे लागि ।। |
नैन लगे उस पारआशा जोगळेकर |
दाम्पत्य जीवन के आठ वर्ष
KK Yadav
वर्ष-गाँठ आई सुखद, *आठ-गाँठ-कुम्मैद |
मस्त रहें आठो पहर, इक दूजे में कैद | इक दूजे में कैद, किन्तु दुनिया भी घूमें | बने बच्चियां श्रेष्ठ, पताका नभ को चूमे | नौ रविकर कर नौमि, हुआ है तन मन गदगद | शुभकामना असीम, वर्ष-गाँठ आई सुखद || *सर्व-गुण-संपन्न | |
रविकर गिरगिट एक से, दोनों बदलें रंग-हो सफ़ेद जब दंग, रचे रचना गड़बड़ सी | झड़े हरेरी सकल, होय गर बहसा-बहसी | सुबह क्रोध से लाल, शाम पीला हो डरकर | है बदरंगी हाल, कृष्ण-काला मन रविकर || गुरूजी के साथ |
रविकर का आशीष, बेटियाँ बढ़ें हमारी
जिम्मेदारी का वहन, करती बहन सटीक |
मौके पर मिलती खड़ी, बेटी सबसे नीक | बेटी सबसे नीक, पिता की गुड़िया रानी | चले पकड़ के लीक, बेटियां बड़ी सयानी | रविकर का आशीष, बेटियाँ बढ़ें हमारी | मातु-पिता जा चेत, समझ निज जिम्मेदारी || |
जन -नानक
udaya veer singh
विश्व से अघ-तम मिटे, शैतान का हो खात्मा || |
आज याद आयाAsha Saxena |
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बे-शक भारतीय ज्ञान और संपदा की बड़े पैमाने पर लूट हुई है आज भी औषधीय पादपों की हो रही है ,वास्तु और शिल्प की भी लेकिन भारतीय विज्ञानिक धारा के नामचीन लोगों कणाद ,आर्य भट्ट आदि ,इनके पूर्व वृतियों का भी राष्ट्रीय शैक्षिक एवं अनुसंधान परिषद् NCERT(NATIONAL COUNCIL OF EDUCATIONAL RESEARCH AND TRAINING ) द्वारा तैयार पुस्तकों में बाकायदा ज़िक्र है .हमारे वैज्ञानिक पुस्तक भाग 1 /भाग 2 भी उपलब्ध है सभी नामचीन विज्ञानियों पर अलग से भी पुस्तकें हैं .कृपया नोट करें .
ReplyDeleteअपनी जानकारी को अद्यतन करें .
TUESDAY, 27 NOVEMBER 2012
करवा कत्ले-आम अघ, आम आदमी पीस-
किस कांग्रेस पर गर्व करते हैं मनीष तिवारी ?
Virendra Kumar Sharma
ram ram bhai
मिले ब्रितानी को ख़ुशी, ह्युम ढालते ढाल |
सत्तावन की मार से, जो बिगड़े थे हाल |
जो बिगड़े थे हाल, गाल नहिं आज बजाओ |
छद्म गान्धि-सन्तान,चाट तलुवे सहलाओ |
भला करे भगवान्, गर्म दल की नहिं सानी |
अधिवेशन अमृतसर, हुवे सीधे ब्रितानी |
अपने मुंह मिट्ठू बने, मंत्री मियां मनीष ।
करवा कत्ले-आम अघ, आम आदमी पीस ।
आम आदमी पीस, झेलते आम-शूल हैं ।
कर ले जलसे-आम, किन्तु यह आम-भूल है ।
निश्चित तेरी मौत, काठियावाड़ी घोडा -
मरेगा इक लात, नजर नहीं आय भगोड़ा ।।
भारतीय ज्ञान और सम्पदा की चोरी
ZEAL
ZEAL
कहती है कटु-सत्य नित, बुरा भला बिलगाय |
ऐसी ही यह डाक्टर, बनता लौह सुभाय |
बनता लौह सुभाय, चलाये बरछी भाला |
देती झट से फाड़, कलेजा काटे काला |
करे तार्किक बात, विषय की आत्मा गहती |
देती हटकु परोस, बात दिल से है कहती ||
आपने तो सब कुछ काव्यमय कर दिया ...बधाई .
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ReplyDeleteकितना मुखर है इन पंक्तियों में छिपा संकेत .बढ़िया प्रस्तुति .
आज याद आया
Asha Saxena
Akanksha
हुई सयानी जब सुता, जगी सयानी मातु |
साम दाम फिर दंड से, बात सही समझातु ||
कदे औरों के ब्लॉग पे भी आया जाया करो आशा जी .क्यों देती हो निर-आशा जी .
देह के अपने इस प्रांगण में
ReplyDeleteकितनी कीं अठखेली पिया रे
मधुघट भर भर के छलकाये
औ रतनार हुई अखियाँ रे ।
खन खन चूडी रही बाजती
छम छम छम छम पायलिया रे
हाथों मेहेंदी पांव महावर
काजल से काली अंखियां रे
वसन रेशमी, रेशम तन पर
केश पाश में बांध हिया रे ।
कितने सौरभ सरस लुटाये
तब भी खिली रही बगिया रे ।
पर अब गात शिथिल हुई जावत
मधुघट रीते जात पिया रे ।
पायल फूल कंगन नही भावत
ना मेहेंदी ना काजलिया रे ।
पूजा गृह में नन्हे कान्हा
मन में बस सुमिरन बंसिया रे ।
तुलसी का एक छोटा बिरवा
एहि अब रहत मोर बगिया रे
सेवा पहले की याद करि के
रोष छोड प्रिय करो दया रे ।
दिन तो डूब रहा जीवन का
सांझ ढले, फिर रात पिया रे ।
नही इस पार जिया अब लागत
नैन लगे उस पार पिया रे ।
बांसुरी की मधुर माधुरी सी रचना पढवाई है आपने .लौट लौट के आयेंगे रसास्वादन के लिए ,आयेंगे क्यों
नहीं .
नैन लगे उस पार
आशा जोगळेकर
स्व प्न रं जि ता
यमुना बैरिन क्यूँ हुई, मथुरा बसते श्याम ।
विरह वियोगिन बन पड़ी, छूटे काम तमाम ।।
वाह रविकर सर आज इतने सारे दोहे पढ़कर आनंद आ गया वाह वाह वाह बधाई स्वीकारें
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ReplyDeleteखूबसूरत अंदाज़े सफर जान जोखिम में डालने का रिवाज़ लगता है युनिवर्सल है ऐसी खस्ता हाल है
सार्वजनिक परिवहन प्रणाली .
केले खा कर चल रहे, दिया कैमरा त्यागि ।
फिर भी फोटो जो दिखे, मनु को चंगे लागि ।
अन्ना 'गांधी " हो गए "भगतसिंह "अरविन्द ,
ReplyDeleteबिगुल बज गया क्रान्ति का ,जागेगा अब हिन्द (श्री अरुण निगम )
बिकाऊ मीडिया जो भी करता है टी आर पी के लिए करता है .
अरविन्द को कवरेज़ न देने की एवज भारी राशि मिली है सो अलग .
ram ram bhai
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बुधवार, 28 नवम्बर 2012
किस कांग्रेस पर गर्व करते हैं मनीष तिवारी ?
http://veerubhai1947.blogspot.in/
आम आदमी को "आम" की तरह ख़ास आदमी चूसता रहा है..!!
PD SHARMA, 09414657511 (EX. . VICE PRESIDENT OF B. J. P. CHUNAV VISHLESHAN and SANKHYKI PRKOSHTH (RAJASTHAN )SOCIAL WORKER,Distt. Organiser of PUNJABI WELFARE SOCIETY,Suratgarh (RAJ.) at 5TH Pillar Corruption Killer
सत्तावन में थे मरे, जब अंग्रेज हजार ।
कान्ग्रेस का जन्म हो, धर धरती हथियार ।
धर धरती हथियार, सँभाले तिलक बोस थे ।
लाल बाल अरविन्द, पाल से भरे जोश थे ।
बाँट बाँट के काट, किये टुकड़े हैं बावन ।
खड़ी होय अब खाट, पुन:आया सत्तावन ।।
करते कत्ले आम हो, पड़ें आम पर लात ।
आम आदमी की करो, किस मुंह से तुम बात ।
किस मुंह से तुम बात, राष्ट्रवादी इक साइड ।
बहू-राष्ट्र की पकड़, विदेशी जिसके गाइड ।
आम आदमी आज, तड़प करके हैं मरते ।
नेताओं का शौक, बड़े से गड्ढे करते ।।