Monday, 26 November 2012

चली बचाने लाज, केजरी देवर प्यारा-रविकर

"आप" का उदय और भाजपाईयो का रुदन:एक लेखा जोखा

DR. PAWAN K. MISHRA  

 मोदी को करके खफा, योगी को नाराज ।
घर से बाहर "जेठ" कर, चली बचाने लाज ।
चली बचाने लाज, केजरी देवर प्यारा ।
चूमा-चाटी नाज, बदन जब नगन उघारा ।
हुई फेल सब सोच, बिठा नहिं पाई गोदी ।
बचे हुवे हैं राड़, खिलाफत धंधा मोदी ।।

अरुंधती राय : केजरीवाल के खुलासे

मनोज पटेल 

हत्यारे फासिस्ट ठग, व्यभिचारिणी जमात |
भ्रष्टाचारी व्यवस्था, खुराफात अभिजात |
खुराफात अभिजात, भूल दंगे से आगे |
देश गर्त में जात, मरें अब सभी अभागे |
देख देख श्मशान, अनीती से नहिं मारें |
शासन करते रहे, सदा से ही हत्यारे ||

राष्ट्रवादी आज फुर्सत में बिताते-कल लड़ेंगे आपसी वो फौजदारी-
  2 1 2  2     2 1 2 2     2 1 2 2 

टिप्पणी भी अब नहीं छपती हमारी ।
छापते हम गैर की गाली-गँवारी ।

कक्ष-कागज़ मानते कोरा नहीं अब-
ख़त्म होती क्या गजल की अख्तियारी ।

राष्ट्रवादी आज फुर्सत में बिताते -
कल लड़ेंगे आपसी वो फौजदारी |

नाक पर उनके नहीं मक्खी दिखाती-
मक्खियों ने दी बदल अपनी सवारी ।

पोस्ट अच्छी आप की लगती हमें है 
झेल पाता हूँ नहीं ये नागवारी ।

ढूँढ़ लफ्जों को गजल कहना कठिन है-
चल नहीं सकती यहाँ रविकर उधारी ।।

श्रद्धांजलि........(26 नवंबर विशेष)

यशवन्त माथुर (Yashwant Mathur) 
सादर हे हुत-आत्मा, श्रद्धांजलि के फूल ।
भारत अर्पित कर रहा, करिए इन्हें क़ुबूल ।
  करिए इन्हें क़ुबूल, भूल तुमको नहिं पायें ।
किया निछावर जान, ढाल खुद ही बन जाएँ ।
मरते मरते मार, दिए आतंकी चुनकर ।
ऐसे पुलिस जवान, नमन करते हम सादर ।। 

शिवम् मिश्रा 
 खाने को दाने नहीं, अम्मा रही भुनाय ।
दानवता माने नहीं, दुनिया को सुलगाय ।
दुनिया को सुलगाय, करे विध्वंसक धंधे ।
करते इस्तेमाल, दुष्ट धर्मान्धी कंधे । 
भेजें चटा अफीम, साधु की शान्ति मिटाने ।
भारत है तैयार, नहीं घुस, मुंह की खाने ।

होना ही चाहिए -

udaya veer singh 
 आँखें पथराती गईं, नहीं सुबह नहिं शाम |
हँसी -ख़ुशी के आ रहे,  नहीं कहीं पैगाम |
नहीं कहीं पैगाम, दाम नित्य मौत वसूले |
मिटता गया वजूद, आज तो जीवन भूले |
बुझती आशा ज्योति, दागती गर्म सलाखें |
अब आयेगा कौन, करकती रविकर आँखें |


थानेदार बदलता है

मनोज कुमार 

बरगद के नीचे कई, गई पीढ़िया बीत |
आते जाते कारवाँ, वर्षा गर्मी शीत |
वर्षा गर्मी शीत, रीत ना बदल सकी है |
चूल्हा जाया होय, आत्मा वहीँ पकी है |
मिला क़त्ल का केस, हुआ थाना फिर गदगद |
जड़-गवाह चुपचाप, आज भी ताके बरगद ||

संपादकीय - नीतीश, लालू और बिहार का विकास

haresh Kumar 

बकरे की माँ छोडती, नहीं मनाती खैर ।
लाइन से बकरे खड़े, खैर मनाते गैर ।
खैर मनाते गैर, किन्तु उनकी भी बारी ।
कातिल शातिर ढीठ, भरी इसमें मक्कारी ।
देखों इसका दांव, बने बड़का पटनायक ।
किन्तु अभी है भाव, बढ़ा जाता नालायक  ।। 


"टोपी मत उछालो" (कार्टूननिस्ट-मयंक खटीमा)

टोपी क्या मिली? 
उछालने ही लगे!


रहा भुनाता विश्व यह, बड़े बड़ों का नाम ।
आदत इसकी यूँ पड़ी , चले सड़ों का नाम ।
चले सड़ों का नाम, पिन्हाते रहते टोपी ।
 चलते गाँधी आज, हुई मकु नीति अलोपी ।
अन्ना अपने बाप, हमारा अब भी नाता ।
टोपी बेटा पहिर, नाम को चला भुनाता ।।



रावण की अयोध्या

prerna argal 

 मर्जी रावन की चले, खले देश संसार |
नारि-हरण हो राम जी, सुनिए गहन पुकार |
सुनिए गहन पुकार, दुष्ट पापी हैं छाये |
नर वानर हलकान, अयोध्या कौन बचाए |
देते रिश्ते चीर, चीर हरते खुद दर्जी |
आया राक्षस राज, चले इनकी ही मर्जी ||


ram ram bhai
गंदे हाथों को रगड़, ले साबुन या राख |
सर्वव्याप्त जीवाणु हैं, सेहत करते खाख |
सेहत करते खाख, कीजिये लाख सुरक्षा |
हवा धूल जल वस्तु, भरे घर दफ्तर कक्षा |
छोड़ फिरंगीपना, भला मानुष बन बन्दे |
पॉक्स फ्लू ज्वर एड्स, तपेदिक हैजा गंदे ||

बस मूक हूँ .............पीड़ा का दिग्दर्शन करके

वन्दना 


दर्दनाक घटना घटी, मेरा पास पड़ोस ।
दुष्टों की हरकत लटी, था *धैया में रोष ।
था *धैया में रोष, कोसते हम दुष्कर्मी ।
जेल प्रशासन ढीठ, दिखाया बेहद नरमी ।
उठे मदद को हाथ, पीडिता की खातिर अब ।
अपराधी को सजा, मिलेगी ना जाने कब ।।
*धैया ग्राम हमारे कालेज के बगल में ही है जहाँ यह घटना हुई-

9 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    अभी तो तीन रंगीन पट्टियाँ खाली है रविकर जी!
    कुछ और टिप्पणियों से-
    जल्दी से इन्हें भी सँवार दीजिए!

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  2. शुक्रिया रविकर जी!

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  3. bahut bahut dhanyawaad ravikarji meri prastuti ko shamil karane ke liye.aur usko sawanr kar is tarah pesh karane ke liye .aabhaar.

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  4. दोहे है बडे धासू
    करेजे मे लगे फासू

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  5. kejrival me hi doob gaya link likkhad.nice .सार्थक प्रस्तुति आभार न्यायालय का न्याय :प्रशासन की विफलता

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  6. आज का दिन किसको टिपियाकर शुरू कर रहे हो!

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  7. बहुत ही अच्‍छे लिंक्‍स ... आभार आपका

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  8. सभी शैर वजनी हैं भर्ती का कोई नहीं है .बढ़िया गजल .अंदाज़े गजल .कहतें हैं कि रविकर है अंदाज़े बयाँ और ...

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  9. बहुत अच्छी लिंक्स दी हैं |
    आशा

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