दुखी हो लेना ही पर्याप्त नहीं है.
प्रतिभा सक्सेना
राहें चुन विध्वंस की, मस्त आसुरी शक्ति ।
धर्म रूप अंकुश कहाँ, जो कर सके विरक्ति ।
जो कर सके विरक्ति, चाटुकारों की टोली ।
इर्द-गिर्द थे जमा, एक से थे हमजोली ।
तोड़ केंद्र बेजोड़, दिया इतिहासिक आहें ।
चलिए रखें समेट, आज तक पड़ी कराहें ।।
|
चिंतन ...सदा |
गन्दी, किन्तु चर्चित पोस्ट पर की गई टिप्पणी
लिंक नहीं दे रहा हूँ-
तीर नुकीले तीर जब, नाविक नहीं अधीर |
फजीहतें-थुक्का करे, तुक्का होवे तीर | तुक्का होवे तीर, परखिये हाथी देशी| अफ्रीकन से तेज, रौंदते खेती वेशी | छोड़ गधे की बात, बंद बेतुकी दलीलें | पान सुपारी चाप, साधिये तीर नुकीले || तीर=पास चाप=धनुष सुपारी= - - - - गधे= - - - - |
बरसता सावन
Roshi
कुदरत कसक कुदाँव की, कजरी कहाँ सुनाय |
गर्जन वर्षण भीगना, बदले आज सुभाव | बदले आज सुभाव, व्यस्तता बंद कोठरी | काम काम हर याम, चंचला हुई भोथरी | सत्य-भाव अवसान, झूठ की रविकर फितरत | बनावटी हर चीज, मिलावट झेले कुदरत || |
जखम - छुपाना पड़ेगा"अनंत" अरुन शर्मा
पाना अब मुश्किल हुआ, खोना है आसान ।
बड़े दानदाता जमे, मन में ऊंची ठान ।
मन में ऊंची ठान, गिराकर पलक उठाऊं । गिरे ज़मीं पर लोग, गिरा पर गाँठ लगाऊं । मुश्किल जीना होय, कठिन हो जख्म छुपाना । गम-सागर का नमक, छिड़क के खुब तड़पाना ।। |
रचवायें शुभ-काव्य, क्षमा मांगे अघ-रविकरश्री राम की सहोदरी : भगवती शांता सर्ग-1 / 2/ 3
से
कुण्डली
रविकर नीमर नीमटर, वन्दे हनुमत नाँह ।
विषद विषय पर थामती, कलम वापुरी बाँह । कलम वापुरी बाँह, राह दिखलाओ स्वामी । बहन शांता श्रेष्ठ, मगर हे अन्तर्यामी । नहीं काव्य दृष्टांत, उपेक्षित त्रेता द्वापर । रचवायें शुभ-काव्य, क्षमा मांगे अघ-रविकर । नीमटर=किसी विद्या को कम जानने वाला नीमर=कमजोर
|
विवाहेतर सम्बन्ध (लेख)
Kavita Verma
सपने ज्यादा गति बढ़ी, समय किन्तु घट जाय |
महत्वकांक्षा अहम् मद, मेटे नहीं मिटाय | मेटे नहीं मिटाय, गौण बच्चे का सपना | घर-ऑफिस बाजार, स्वयं ही हमें निबटना | मांगे हम अधिकार, लगे कर्तव्य खटकने | भोगवाद की जीत, मिटे ममता के सपने ||
'दिल' और 'दिमाग'
विवेक मिश्र
दिल-दिमाग में पक रही, खिचड़ी नित स्वादिष्ट ।
दिल को दूजा दिल मिला, नव-रिश्ते हों श्लिष्ट ।
नव-रिश्ते हों श्लिष्ट, मस्त हो जाती काया ।
पर दिमाग अति-क्लिष्ट, नेक दिल को भरमाया ।
पड़ती दिल में गाँठ, झोंकता प्रीत आग में ।
दिल बन जाय दिमाग, फर्क नहिं दिल दिमाग में ।। |
लिंक लिखाड़ पर चुनिन्दा लेख आपकी टिप्पणियों के साथ पढ़ना वाकई अच्छा लगता है !!
ReplyDeleteबहुत ही अच्छे लिंक्स संयोजित किये हैं आपने ...
ReplyDeleteआभार सहित
सादर
वाह रविकर सर क्या बात है खूबसूरत उम्दा रचना.
ReplyDeleteशुक्रवार, 30 नवम्बर 2012
ReplyDeleteचिंतन ...
निहत्थे शक्तिहीन से युद्ध उचित नहीं - ऐसा शास्त्रों में कहा है
तो स्त्री के साथ जो अन्यायी युद्ध होता है ,
वह सिद्ध करता है कि उसमें अपार क्षमता है
पति और बच्चों से बढकर कोई शस्त्र नहीं
और यदि वह इन अवश्यम्भावी शस्त्रों से विहीन है
तो इसके बगैर भी उसकी आत्मिक शक्ति उसके लिए शिव धनुष के समान है
अबला ना वह कभी थी ना है ना होगी ...
बढ़िया प्रस्तुति निश्चय है धूप ताप सहने की क्षमता भी इस सबला की ज्यादा है .
बढ़िया क्षेपक जोड़ा है सरजी -
चिंतन ...
सदा
आत्म-चिंतन
अबला है न थी कभी, शक्ति रूप सन्तान |
सदा आत्मिक-शक्ति शिव, साधे धनुष महान ||
गन्दी, किन्तु चर्चित पोस्ट पर की गई टिप्पणी
ReplyDeleteलिंक नहीं दे रहा हूँ-
तीर नुकीले तीर जब, नाविक नहीं अधीर |
फजीहतें-थुक्का करे, तुक्का होवे तीर |
तुक्का होवे तीर, परखिये हाथी देशी|
अफ्रीकन से तेज, रौंदते खेती वेशी |
छोड़ गधे की बात, बंद बेतुकी दलीलें |
पान सुपारी चाप, साधिये तीर नुकीले ||
नाविक = घाव करें गंभीर, की तरफ इशारा है -
तीर=पास
चाप=धनुष
सुपारी= - - - -
गधे= - - - -
अजी इसमें श्लील अश्लील क्या है बात छोटे लाल उर्फ़ पुन्नू की है यहाँ तो लिंग की पूजा होती रही है लिंगायत सम्प्रदाय द्वारा .और शिव लिंग किसका प्रतीक है बोले तो ध्यान से देखिये :योनी में से लिंगोथ्थान (शुद्धता वादी क्षमा करें )बात प्रतीकों की ,उनकी व्याख्या में विविधता की है .
मर्दों का कोम्प्लेक्स है "छोटे लाल "महिलाओं के लिए प्रेम सर्वोपरि है पुन्नू जी की कद काठी नहीं .हाँ सिर्फ अपना काम निपटने पर भागने न दें पुन्नू को .