Saturday, 3 November 2012

प्राइवेट लिमिटेड पूरती, सरिस कंपनी और-



प्राइवेट लिमिटेड पूरती, सरिस कंपनी और ।
सन सैंतीस से चल रहा, नाना जी का दौर ।
 नाना जी का दौर, आज भी प्राइवेट है ।
प्रोपेराइटर वही, बड़ा ही खुररैट है ।
नब्बे दिया करोड़, निगाहें बहुत घूरती ।
सिमिलर टू गडकरी, प्राइवेट लिमिट पूरती ।।

 गजल कहने की कोशिश जारी है-

मोटी-चमड़ी पतला-खून ।
नंगा भी, पहने पतलून  ।

भेंटे नब्बे खोखे नोट -
भांजे दर्शन, अफलातून ।

भुना शहीदी, दादी-डैड
*शीर्ष-घुटाले, लगता चून ।
 *सिर मुड़ाना  / चोटी के घुटाले 

 पंजा बना शिकंजा खूब-
मातु-कलेजी, खाए भून ।

मिली-भगत सत्ता-पुत्रों से 
लूटा तेली, लकड़ी-नून । 

दस हजार की रविकर थाल
उत फांके हों, दोनों जून ।।


“सबसे अच्छी मेरी माता” (अरुणदेव यादव)


माता के चरणों तले, स्वर्ग-लोक का सार ।
 मनोयोग से पूँजिये,  बार बार आभार ।
बार बार आभार, बचुवा बड़ा लकी है ।
जरा दबा दे पैर, मैया, लगे थकी है । 
रविकर का आशीष, ब्लॉग जो भला बनाता ।
रहे सदा तू बीस, कृपा कर भारत माता ।।

समय की पुकार है

कारे कृपण करेज कुछ, काटे सदा बवाल ।
इसीलिए तो बुरे हैं, भारत माँ के हाल ।
भारत माँ के हाल, हाल में घटना देखा ।
चोरों की घट-चाल, रेवड़ी बटना देखा ।
जाओ तनिक सुधर, समय नित यही पुकारे ।
चिंदी चिंदी होय, धरा दुष्टों धिक्कारे ।।
 


घर कहीं गुम हो गया







प्यारे प्यारे पूत पे, पिता छिड़कता जान ।
अपने ख़्वाबों को करे, उसपर कुल कुर्बान ।
उसपर कुल कुर्बान, मनाये देव - देवियाँ ।
करे सकल उत्थान, फूलता देख खूबियाँ ।
पुत्र बसा परदेश, वहीँ से शान बघारे ।
पिता हुवे बीमार, और भगवन को प्यारे ।।


"समझ"
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मरुत मरू देता बना, जल अमरू कर देत ।
मरुद्रुम कांटे त्याग दे, हो अमरूदी खेत ।
हो अमरूदी खेत, देश भी बना बनाना ।
बैठे बन्दर खाँय,  वहां लेकिन मत जाना ।
डालेंगे वे नोच, सभी की मिली भगत है ।
रावण से था युद्ध, सफल वो आज जुगत है ।।


6 comments:

  1. वाह..
    बहुत बढ़िया।
    नये ब्लॉगरों को प्रोत्साहन मिलना ही चाहिए!

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  2. बहुत सुन्दर..बढिया लिंक्स

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  3. बढिया लिंक पोस्टमार्टम के साथ (दिल्लगी में कह रहा हूं )

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  4. एक और लाजवाब प्रस्तुति!

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  5. उत्‍तम लिंकों पर अति उत्‍तम टिप्‍पणियां ..

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