श्रद्धांजलि........(26 नवंबर विशेष)
यशवन्त माथुर (Yashwant Mathur)
सादर हे हुत-आत्मा, श्रद्धांजलि के फूल ।
भारत अर्पित कर रहा, करिए इन्हें क़ुबूल ।
करिए इन्हें क़ुबूल, भूल तुमको नहिं पायें ।
किया निछावर जान, ढाल खुद ही बन जाएँ ।
मरते मरते मार, दिए आतंकी चुनकर ।
ऐसे पुलिस जवान, नमन करते हम सादर ।।
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शिवम् मिश्रा
खाने को दाने नहीं, अम्मा रही भुनाय ।
दानवता माने नहीं, दुनिया को सुलगाय ।
दुनिया को सुलगाय, करे विध्वंसक धंधे ।
करते इस्तेमाल, दुष्ट धर्मान्धी कंधे ।
भेजें चटा अफीम, साधु की शान्ति मिटाने ।
भारत है तैयार, नहीं घुस, मुंह की खाने ।
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होना ही चाहिए -
udaya veer singh
आँखें पथराती गईं, नहीं सुबह नहिं शाम |
हँसी -ख़ुशी के आ रहे, नहीं कहीं पैगाम | नहीं कहीं पैगाम, दाम नित्य मौत वसूले | मिटता गया वजूद, आज तो जीवन भूले | बुझती आशा ज्योति, दागती गर्म सलाखें | अब आयेगा कौन, करकती रविकर आँखें | |
"दोहा सप्तक" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)
भ्रष्टाचारी व्यवस्था, सबसे प्यारा नोट |
सर्वोपरि अब स्वार्थ है, मिटें विकट अघ खोट | मिटें विकट अघ खोट, लोट ले इस वैतरणी | माल मलाई घोट, मूल निकले इस करणी | जीने का अंदाज, बदल सज्जन नर-नारी | वही यहाँ खुशहाल, बना जो भ्रष्ट चारी || |
थानेदार बदलता है
मनोज कुमार
बरगद के नीचे कई, गई पीढ़िया बीत | आते जाते कारवाँ, वर्षा गर्मी शीत | वर्षा गर्मी शीत, रीत ना बदल सकी है | चूल्हा जाया होय, आत्मा वहीँ पकी है | मिला क़त्ल का केस, हुआ थाना फिर गदगद | जड़-गवाह चुपचाप, आज भी ताके बरगद ||
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हाथ धोने के पीछे का विज्ञान(दूसरी क़िस्त )Virendra Kumar Sharma
ram ram bhai
गंदे हाथों को रगड़, ले साबुन या राख | सर्वव्याप्त जीवाणु हैं, सेहत करते खाख | सेहत करते खाख, कीजिये लाख सुरक्षा | हवा धूल जल वस्तु, भरे घर दफ्तर कक्षा | छोड़ फिरंगीपना, भला मानुष बन बन्दे | पॉक्स फ्लू ज्वर एड्स, तपेदिक हैजा गंदे || |
बस मूक हूँ .............पीड़ा का दिग्दर्शन करके
वन्दना
दर्दनाक घटना घटी, मेरा पास पड़ोस । दुष्टों की हरकत लटी, था *धैया में रोष । था *धैया में रोष, कोसते हम दुष्कर्मी । जेल प्रशासन ढीठ, दिखाया बेहद नरमी । उठे मदद को हाथ, पीडिता की खातिर अब । अपराधी को सजा, मिलेगी ना जाने कब ।। *धैया ग्राम हमारे कालेज के बगल में ही है जहाँ यह घटना हुई- |
बहुत बहुत धन्यवाद अंकल!
ReplyDeleteआपकी हर टिप्पणी लाजवाब होती है।
सादर
बहुत ही बढ़िया रोचक और लाजवाब रविकर सर बधाई स्वीकारें.
ReplyDeleteवाह ... बहुत ही बढिया ।
ReplyDeleteआभार आपका जो आपने इस पोस्ट को यहाँ स्थान दिया हम और कुछ तो नही कर सकते बस अपनी अपनी तरह कोशिश करने के सिवा ताकि ऐसे दरिंदों की दरिंदगी और कानून की लचर व्यवस्था का सबको पता चल सके ………फिर आप तो इस बारे में हम सबसे ज्यादा जानते होंगे बहुत मन व्यथित है ।
ReplyDeleteमरते मरते मार, दिए आतंकी चुनकर ।
ReplyDeleteऐसे पुलिस जवान,नमन करते हम सादर ।।
आपकी हमेशा तरह हर टिप्पणी लाजवाब,,
लाजवाब!
ReplyDeleteशहीदों को नमन!
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ओह..!
बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण हैं ऐसे प्रायोजित हादसे!
मगर हमारा कानून अन्धा भी है और बहरा भी!
बदलाव होना जरूरी है कानून की धाराओं में!