ये दुनिया जल रही होगी
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’  
कामिल काबिल हैं भरे, नीति नियम से लैस । 
प्राप्त मार्ग-दर्शन करो, नहीं दिलाओ तैस । 
नहीं दिलाओ तैस , भस्म कर देंगे क्रोधित ।  
 मोर देख मत पैर, स्वयं पर हैं सम्मोहित । 
भेज रखे जब दूत,  नहीं क्यूँ सोवे गाफिल ।  
 जले-बुझे जग मिटे, ढेर भेजे हैं कामिल ।।  
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 फांसी का भय भी नहीं, लगता अब पर्याप्त । 
त्रस्त आम-जन हो रहे, खून-खराबा व्याप्त । 
खूनखराबा व्याप्त, मरें निर्दोष करोड़ों । 
धरा चाहती शान्ति, दण्ड को नहीं मरोड़ो । 
मानवता की हार, बचे नहिं काबा काशी । 
धारदार कानून, ख़त्म क्यूँ करना फांसी ।। 
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अनिद्रा रोग और जेट लेग के समाधान के लिए अब ख़ास चश्मे
Virendra Kumar Sharma  
जैव घड़ी चश्मा जुड़ा, करे नियामन काज | 
नहीं जेट-लेग अनिद्रा, संभव होता आज ||  | 
 
हारकर भी ... !!!
सदा  
हारे नहिं जो हार कर, विजय करे वह सत्य । 
वाह वाह क्या बात है, बने सदा अधिपत्य ।।  
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कैक्टस के फूल
Kailash Sharma  
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काँटा ने हरदम दिया, उस गुलाब का साथ ।  
रविकर चाह गुलाब की, जरा बढाया हाथ ।  
जरा बढाया हाथ, चुभन की पीड़ा सहता । 
पोछूं आंसू खून, नहीं दिल कुछ भी कहता । 
धरा धरे मरू रूप, कैक्टस से क्या घाटा । 
उगे फूल, पर कर्म, नहीं भूले वह काँटा ।।  
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मनमोहनजी का तो टीवी ख़राब है !!
Bamulahija dot Com  
  टी वी इनका ठीक है, लगा नहीं सेट टॉप । एनालाग डिजिटल हुआ, टॉप करे फ्लिप-फ्लॉप । टॉप करे फ्लिप-फ्लॉप, खबर मिलना ना मिलना । कहे बरोबर शिंद, नया गुल है ना खिलना । मंहगाई से त्रस्त, करे दिक् इन्हें गरीबी । ऍफ़ डी आई मस्त, नया ह़ी पाए टी वी ।।  | 
 
कार्टून कुछ बोलता है- मर्ज की दवा !
पी.सी.गोदियाल "परचेत"  
  मच्छर खच्चर हैं बड़े, अक्षर दिखते भैस । बैठ गुरू करता रहा, कक्षा अन्दर ऐश । कक्षा अन्दर ऐश, पढाया कितने पट्ठे । हथियारों से लैश, धमकते जाय इकट्ठे । फिर भी उनको चैन, परेशाँ जनता रविकर । करे हिफाजत शिष्य, मारते हिट से मच्छर ।।  | 
 
तीखी मिर्ची असम की, खाय रहा पंजाब-रविकर![]() 
 तीखी मिर्ची असम की, खाय रहा पंजाब । 
रविकर यूँ मत मुंह लगा, ज्वलनशील तेज़ाब । 
ज्वलनशील तेज़ाब, तनिक भी गर चख लेगा । 
सी सी सू सू आह, गुलगुला गुड़ अखरेगा । 
जले सवेरे तलक, देहरी रग रग चीखी ।  
बवासीर हो जाय, फिरा मुँह मिर्ची तीखी ।। 
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बहुत ही अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteआभार आपका
सादर
सार्थक अभिव्यक्ति .आभार
ReplyDeleteहम हिंदी चिट्ठाकार हैं
nice presentation .माँ को कैसे दूं श्रद्धांजली
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (25-11-2012) के चर्चा मंच-1060 (क्या ब्लॉगिंग को सीरियसली लेना चाहिए) पर भी होगी!
सूचनार्थ...!
लाजवाब रविकर सर वाह क्या बात है बधाई स्वीकारें
ReplyDeleteबहुत सुंदर उत्कृष्ट प्रस्तुति,,,,
ReplyDeleteलाजवाब टिप्पणियाँ....आभार
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