Thursday, 3 May 2012

तीन-पांच पैंतीस, रात छत्तिस हो जाती

"इनविजिलेटर"


पाठ पढ़ाती पत्नियाँ, घरी घरी हर जाम   |
बीबी हो गर शिक्षिका,  घर में ही इक्जाम | 
 
घर में ही इक्जाम, दृष्टि पैनी वो राखे |
गर्दन करदे जाम, जाम रविकर कस चाखे  |

तीन-पांच पैंतीस, रात छत्तिस हो जाती |
पति तेरह ना तीन, शिक्षिका पाठ पढ़ाती ||
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Injustice-2


दुष्ट लगा दुष्कर्म में, मिले जहाँ संजोग ।
लात मारता मर्म में, केवल जाने भोग ।

मनमानी कर छुरा भोंकता ।
तमाशबीन सब नहीं टोकता ।

 कोर्ट सुनाकर फांसी, ख़त्म करे ये रोग ।। 

6 comments:

  1. तीन-पांच में शाम, रात छत्तिस हो जाती |
    पति तेरह ना तीन, शिक्षिका पाठ पढ़ाती ||

    बहुत खूब,....रविकर जी,......

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  2. ़़़
    मैने बाद में लिखा
    आप पहले यहां ले आये
    वाह रविकर जी उल्लू मैं हूँ
    पर आप तो उल्लू की रात
    की आँख निकल आये ।

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  3. बहुत बढ़िया!
    --
    आज चार दिनों बाद नेट पर आना हुआ है। अतः केवल उऊपस्थिति ही दर्ज करा रहा हूँ!
    --
    हम भी उलूक के घर हो आये हैं!

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  4. पत्नी शिक्षिका ना हो तब भी लेती रहती है एक्ज़ाम :)

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  5. बहुत खूब,उम्दा लेखन.

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