"इनविजिलेटर"
पाठ पढ़ाती पत्नियाँ, घरी घरी हर जाम |
बीबी हो गर शिक्षिका, घर में ही इक्जाम |
बीबी हो गर शिक्षिका, घर में ही इक्जाम |
घर में ही इक्जाम, दृष्टि पैनी वो राखे |
गर्दन करदे जाम, जाम रविकर कस चाखे |
तीन-पांच पैंतीस, रात छत्तिस हो जाती |
पति तेरह ना तीन, शिक्षिका पाठ पढ़ाती ||
तीन-पांच पैंतीस, रात छत्तिस हो जाती |
पति तेरह ना तीन, शिक्षिका पाठ पढ़ाती ||
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दुष्ट लगा दुष्कर्म में, मिले जहाँ संजोग ।
लात मारता मर्म में, केवल जाने भोग ।
मनमानी कर छुरा भोंकता ।
तमाशबीन सब नहीं टोकता ।
कोर्ट सुनाकर फांसी, ख़त्म करे ये रोग ।।
Injustice-2
दुष्ट लगा दुष्कर्म में, मिले जहाँ संजोग ।
लात मारता मर्म में, केवल जाने भोग ।
मनमानी कर छुरा भोंकता ।
तमाशबीन सब नहीं टोकता ।
कोर्ट सुनाकर फांसी, ख़त्म करे ये रोग ।।
तीन-पांच में शाम, रात छत्तिस हो जाती |
ReplyDeleteपति तेरह ना तीन, शिक्षिका पाठ पढ़ाती ||
बहुत खूब,....रविकर जी,......
़़़
ReplyDeleteमैने बाद में लिखा
आप पहले यहां ले आये
वाह रविकर जी उल्लू मैं हूँ
पर आप तो उल्लू की रात
की आँख निकल आये ।
बहुत बढ़िया!
ReplyDelete--
आज चार दिनों बाद नेट पर आना हुआ है। अतः केवल उऊपस्थिति ही दर्ज करा रहा हूँ!
--
हम भी उलूक के घर हो आये हैं!
पत्नी शिक्षिका ना हो तब भी लेती रहती है एक्ज़ाम :)
ReplyDeleteबहुत खूब........
ReplyDeleteबहुत खूब,उम्दा लेखन.
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