आख़िर ऐसा क्यों हुआ ...............
Sunil Kumar at दिल की बातें
जामा पौधा प्यार का, पहला पहला प्यार ।
फूला नहीं समा रहा, तन जामा में यार ।
तन जामा में यार, घटा कैफे में नामा ।
मुझे पजामा बोल, करे जालिम हंगामा ।
रविकर पहली डेट, बना दी मुझको मामा ।
मेरे गीत जिताते आये, जीवन की हर बाजी मीत |
मेरे गीत बताते आये, जन मन की मनमोहक प्रीत |
मेरे गीत सिखाते आये, दुनिया की हर सुन्दर रीत |
मेरे गीत मिटाते आये, ईर्ष्या नफरत,दंगा, भीत ||
सुंदर प्रस्तुति,..
ReplyDeleteबेहतरीन ।
ReplyDeleteहा-हा-हा मस्त है!
ReplyDeleteक्या बात है...बहुत खूब
ReplyDeleteपाजामा में हंगामा बहुत खूब जी !
ReplyDeleteमस्त
ReplyDeleteरविकर पहली डेट, बना दी मुझको मामा ।
ReplyDeleteकरे नया आखेट, भागती खींच पजामा ।।
मेरे गीत सिखाते आये, दुनिया की हर सुन्दर रीत |
मेरे गीत मिटाते आये, ईर्ष्या नफरत,दंगा, भीत ||
अति उत्कृष्ट अनु -टिप्पणियाँ कह गएँ हैं आप भाई साहब .हर मर्तबा आंचलिक शब्दार्थ दिया करें एक अंचल से दूसरे तक पहुँचते पहुँचते इनके अर्थ बदल जाते हैं .शुक्रिया मसलन जामा भेष को भी कह दिया जाता है ..कृपया यहाँ भी पधारें -
बुधवार, 9 मई 2012
शरीर की कैद में छटपटाता मनो -भौतिक शरीर
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आरोग्य समाचार
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क्या डायनासौर जलवायु परिवर्तन और खुद अपने विनाश का कारण बने ?
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