Friday, 4 May 2012

कर रविकर विषपान, विषय-नव पाए कैसे-

डा. अरुणा कपूर. at मेरी माला,मेरे मोती

हुवे कलम घिस्सू कई, सबकी बढ़िया शान |
थी लक्ष्मी रूठी सदा, था शारद-वरदान |

था शारद-वरदान , झमाझम लक्ष्मी बरसी |
भावों का अवसान, कलम विषयों में हरसी |

कर रविकर विषपान, विषय-नव  पाए कैसे |
घिसे-पिटे सब्जेक्ट, लिखाए  जैसे तैसे ||

अंति‍म गांठ...

रश्मि at रूप-अरूप 


जोड़-गाँठ में अति निपुण, मन की गांठें खोल |
गाँठ स्वयं तू खोल नत, खोले दुनिया पोल |

खोले दुनिया पोल, गाँठ का पूरा बन्दा |
कर देगा मुंह बंद, खिलाकर सबको चन्दा |

पर चन्दा बदनाम, होय इस सांठ-गाँठ में  |
मत होने दे शाम,  भुलाया जोड़-गाँठ में ||

शब्द अनवरत...!!!

...???


 अंतर-मन से बतकही, होती रहती मौन ।
सिंहावलोकन कर सके, हो अतीत न गौण ।

हो अतीत न गौण, जांच करते नित रहिये ।
चले सदा सद्मार्ग, निरंतर बढ़ते रहिये ।

परखो हर बदलाव,  मुहब्बत  अपनेपन से ।
रहे अबाध बहाव, प्रेम-सर अंतर्मन से |


बंधन

Asha Saxena at Akanksha -  
 

 बंधन काटे ना कटे, कट जाए दिन-रैन ।
विकट निराशा से भरे, आशा दीदी बैन ।

आशा दीदी बैन, चैन मन को ना आये  ।
न्योछावर सर्वस्व,  बड़ी बगिया महकाए ।

फूलों को अवलोक, लोक में खुशबू  तेरी  ।
नारी मत कर शोक, मान ले मैया मेरी ।।  




स्कूल में चरस और गांजा ,भुगतोगे भाई, खामियाजा

veerubhai at ram ram bhai
(1)
शुभ लक्षण त्रि-लघु समझ, गला जांघ अंगुष्ठ ।
ये छोटे गुणवान के,  तन-मन उनके  पुष्ट ।
पिला रहे जा'पानी ।
खोवे व्यर्थ जवानी ।
प्राकृतिक संरचना खोती, अति रोग घेरते दुष्ट ।।  

(2)
 आनंदम आनंदम आनंदम, ढूंढ रहे सब सुख संगम ।
मिथ्या जीत की आदत ऐसी, सहना कठिन होता है गम ।
दारू चरस या ड्रग गांजा ।
चचा भतीजा मामा भांजा ।
मद-मस्ती की हेरोइन माता, हुक्का चिलम बाप का दम ।।  


पाल बाबा का प्रेयर पैकेज

कमल कुमार सिंह (नारद ) at नारद  

चार तरह की चल रही, दुनिया में सरकार |
नेता बाबा माफिया, हाथों में तलवार |

हाथों में तलवार, अलग साम्राज्य बना लें |
ताल मेल अंदाज, हाथ दो रक्त सना ले |

निर्मल अदना जीव, बहुत से घाघ बिराजें |
गोली बोली वोट, चोट से कोरट साजे ||


टिप्पणियां दे कर चले, खले दले संताप |
मित्र अगर सहमत नहीं, निकल चलें चुपचाप |
 
निकल चलें चुपचाप, क्लेश क्यों विकट बढ़ाना |
दूजा रस्ता नाप, ढूँढ़ ले और ठिकाना |
 
जीवन के दिन चार, यार कुछ कर ले बढ़िया |
शब्दों का व्यापार, मत कर तल्ख़ टिप्पणियाँ ||
dineshkidillagi.blogspot.com

5 comments:

  1. बहुत ही बढिया।

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  2. बहुत खूब.................

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  3. बंधन काटे ना कटे, कट जाए दिन-रैन ।
    विकट निराशा से भरे, आशा दीदी बैन ।

    बहुत बेहतरीन//

    MY RECENT POST ....काव्यान्जलि ....:ऐसे रात गुजारी हमने.....

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  4. टिप्प्णी से हुवा हो अगर कोई संताप
    महोदय कर देना उल्लूक को माफ ।

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