Tuesday, 22 May 2012

छी छी छी हालात, काट के बोटी-बोटी-

भ्रूण जीवी स्वान


मुंडे डाक्टर मारता, गर्भ-स्थिति नव जात |
कुक्कुर को देवे खिला, छी छी छी हालात |

छी छी छी हालात, काट के बोटी-बोटी |
मारो सौ सौ लात, भूत की छीन लंगोटी |

करिहै का कानून, अभी जब कातिल गुंडे |
रहम याचिका थाम, पाक ले छूटे मुंडे || 

6 comments:

  1. फांसी सरेआम हो और जल्दी हो लेकिन इसके लिए एक बड़ी तब्दीली की ज़रूरत है।
    देखिए
    http://ahsaskiparten.blogspot.com/2012/05/evil.html

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  2. Replies
    1. छी छी छी हालात, काट के बोटी-बोटी |
      मारो सौ सौ लात, भूत की छीन लंगोटी |

      वाह मान गये भूत की लंगोटी तक पहुंच गये ।

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  3. भ्रूण जीवी स्वान
    भ्रूण जीवी स्वान

    ये कुत्ते कोई मामूली कुत्ते नहीं हैं साहब .ये डॉ .सुन्दम मुंडे के कुत्ते हैं .आप पूछेंगे ये मुंडे साहब कौन हैं ? ये साहब राजनीति के बिगडेल कुत्ते हैं .पेशे से डॉ कहलातें हैंबीड (महारष्ट्र )में इनका क्लिनिक है बड़ा सा आधुनिक साजो सामान से लैस .यहाँ गर्भस्थ भ्रूण की लैंगिक शिनाख्त से लेकर उसे ठिकाने लगाने के पूरे इंतजाम हैं .कोई माई का लाल इनका कुछ नहीं बिगाड़ सका है आज तक .इनका काम कसाइयों से भी बदतर है .व्यवस्था गत दोष है इनका हमारे समाज में होना पल्लवित होना .ये गर्भस्थ शिशु की चोरी छिपे लैंगिक जांच करतें हैं .लडकी होने पर माँ बाप (दम्पति )की सहमती से भ्रूण गिरा देतें हैं .इस अपराध में ये ज़नाब पहले भी धरे गए थे .लेकिन अपनी राजनीतिक बिसात के चलते खुला खेल फरुख्खाबादी खेलते रहे .

    इस मर्तबा इन्होने ने एक छ :मासा गर्भस्थ को गिरा दिया .दुर्घटना यह हुई इस मर्तबा वह औरत भी मर गई जो यह धत कर्म करवाने आई थी .

    कन्या भ्रूण के साथ खुद भी गई .भ्रूण को ये महाशय अपने पालतू कुत्तों को खिलाते आयें हैं ताकि कोई सनद न रहे .यह उस शर्मा का बाप निकला जिसने तंदूर काण्ड किया था .प्रेमिका के टुकड़े करके तंदूर में उसे जला दिया था .ताकि सनद न रहे .

    यह मामला व्यक्ति गत गुणदोष का उत्ता नहीं है जित्ता राजनीतिक व्यवस्था गत गुण दोष का है .आज राजनीति में मंद बुद्धि बैठे हुएँ हैं जो अफज़ल गुरु के अपराध को ,कसाब की फांसी को और एक गुंडों से घिरी महिला के उस अपराध को जिसमे उसने अपनी आत्म रक्षा के लिए उन्हें मौत के घाट उतार दिया था एक ही तराजू से तौलते हुए राष्ट्र पति से सजा माफ़ी की बात करते हुए कहतें हैं फलां का नम्बर २८ है फलां २६ .

    जब तक सामाजिक व्यवस्था चौकस चाक चौबंद नहीं होगी बीड काण्ड और शहरों में भी ऐसे ही होते रहेंगे .समाज ही इन्हें जहां ये हैं वहां ऐसी सजा दे सकता है जो न कोई क़ानून दे पा रहा है अपनी सुस्त चाल के चलते न राजनीतिक प्रबंध जो काग भगोड़ों के हाथ में आ गया .इटली से संचालित हो रहा है .

    जब भी कोई ऐसी घटना घटती है मन गहरे अवसाद से भर जाता है .मन आक्रोश से उस राजनीतिक व्यवस्था के प्रति जिसके चलते अब व्यभिचारी शब्द का चलन ही प्रति -बंधित हो गया है .कोई किसी को आज व्यभिचारी नहीं कह सकता है .

    यौन कर्मी है साहब वह .यौन खिलाड़ी है यौन क्रीडा कर रहा है .जो किसी मासूम के चेहरे पे तेज़ाब फैंके वह भी आज प्रेमी कहलाता है .फिर अपराधी कौन होता है भाई साहब ?कोई होता भी है या नहीं .सारी व्यवस्थाएं एक एक करके टूट रहीं हैं .

    पहले कोई लडकी किसी छोटे से बालक या किसी बहुत अशक्त व्यक्ति के संरक्षण में भी बाहर निकलती थी तो एक सामाजिक भय होता था उसे तंग करने से पहले गुंडे मवाली हज़ार बार सोचते थे अब उसके साथ कोई भी हो वह सोचतें हैं इसे तो देख लेंगें .

    जहां राजनीतिक व्यवस्था और प्रबंध चौपट हो जाता है वहां सबसे पहले सामाजिक व्यवस्था टूटती है .वर्जनाये एक एक करके टूटीं हैं .टूटती हैं संविधानिक संस्थाएं .इस दौर में यही हो रहा है .

    व्यवस्था गत दोष है ऐसे शातिरों का सुन्दम मुंडों का समाज में पोषण प्राप्त करते रहना राजनीतिक तौर पर मुटियाते रहना .

    सन्दर्भ -सामिग्री :-Gruesome twist in female foeticide case

    Beed's Doc Death who fed foetuses to his dog

    case given to crime branch after preliminary inquiry /MUMBAI MIRROR ,MAY 22,2012 ,LEAD STORY FRONT PAGE
    Posted 2 days ago by veerubhai
    क्या बात है भाई साहब आपकी .ब्लोगर बंधू मूल पाठ भी यहाँ पढ़ें -
    कुंडलियाँ विषकन्या को भी लपेटें जो दिल्ली के सिंह आसन पर पालथी मारे बैठी है .

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  4. शुक्रिया रविकर भाई ,
    ले लो बधाई ,
    लपेटो विषकन्या को ,
    लूटो भलाई .
    करो कुछ कमाई .

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  5. करिहै का कानून, अभी जब कातिल गुंडे |
    रहम याचिका थाम, पाक ले छूटे मुंडे ||

    बहुत अच्छी प्रस्तुति,,,,

    RECENT POST काव्यान्जलि ...: किताबें,कुछ कहना चाहती है,....

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